स्वप्निल संसार। लखनऊ । अदीब वॉल्टर
उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए 29 मई 2018 एक दुखद दिन साबित हुआ। 1992 बैच यूपी प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) अधिकारी राजेश साहनी ने लखनऊ के गोमतीनगर में यूपी एंटी-टेरर स्क्वाड (एटीएस) मुख्यालय में अपने कमरे के अंदर एक सेवा पिस्तौल के साथ से गोली मार दी ।
पुलिस के अनुसार, श्री साहनी लगभग 10.30 बजे कार्यालय पहुंचे और जल्द ही अपने बंदूकधारक मनोज से अपनी सेवा रिवॉल्वर को अपने आधिकारिक वाहन में रखने के लिए कहा और फिर लगभग 12.45 बजे उन्होंने खुद को गोली मार ली । एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि वह कभी हथियार नहीं लेते थे, लेकिन कुछ हफ्ते पहले सेवा पिस्तौल जारी किया गया था ।
वह हाल ही में पिथौरागढ़ निवासी रमेश सिंह कन्याल से संबंधित मामले की तख्तीश कर रहे थे, जिसे इस्लामाबाद, पाकिस्तान में एक भारतीय राजनयिक के घर पर बग करने के लिए आईएसआई की मदद करने के लिए गिरफ्तार किया गया था, जहां उन्होंने 2015 और 2017 के बीच एक कुक के रूप में काम किया था । इससे पहले, लगभग दो साल के लिए वे राष्ट्रीय जांच एजेंसी में भी रहे। वह 2014 में यूपी एटीएस में शामिल हो गए थे ।
छुट्टी के दिन ऑफिस क्यों आये?
अपने हमराह से किस मिशन पर जाने के लिए रिवाल्वर मंगवाई थी ?
राजेश साहनी जी जैसे सुलझे हुए इंसान ऐसी कौनसी परेशानी में आ गए जो आत्महत्या करनी पड़ी ?
अगर आत्महत्या थी तो कोई सुसाइड नोट क्यों नहीं छोड़ा ?
आईपीएस अधिकारी राजेश साहनी उत्तर प्रदेश पुलिस के बेहद शानदार काबिल अफसरों में गिने जाते थे । उनकी मौत की खबर से पूरे पुलिस महकमे में शोक की लहर फैल गई । जैसे ही आईपीएस अधिकारी राजेश साहनी की मौत की खबर मिली ही एटीएस के मुख्यालय के दोनों गेट बंद करा दिए गए, ताकि ना कोई बाहर से अंदर आ सके और ना ही अंदर से कोई बाहर जा पाए ।
ऐसे मशहूर हुए थे राजेश साहनी-
राजेश साहनी 2006 में लखनऊ के चौक सर्किल के सीओ पद पर तैनात थे, और एक रोज़ परिवर्तन चौराहे पर चेकिंग चल रही थी। राजेश साहनी जी ने जब एक जीप को रोकना चाहा तो जीप ड्राइवर ने रफ़्तार तेज़ की राजेश जी तुरंत जीप के बोनेट पर चढ़ गए जिसे जीप ड्राइवर जीप रोक दे लेकिन जीप ड्राइवर और जीप में बैठे अन्य चार लोग समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता थे और अपनी रसूख दिखाते हुए राजेश साहनी ो बोनेट पे बिठाये ढाई किलोमीटर दूर सप्रू मार्ग स्थित एसएसपी ऑफिस ले गए। रसूखदारों को लगा की एसएसपी उनके दबाव में काम करेंगे लेकिन उनकी सोच के विपरीत काम हुआ और वे पांचो गिरफ्तार करके जेल भेज दिए गए।