शंकराचार्य ने चार धाम इसीलिए बनाये थे कि एक स्थान के लोग दूसरे स्थान पर जाएंगे तो उनसे कुछ सीखेंगे और कुछ सिखायेंगे। आपस में मिलकर बैठने, खाने-पीने से अपनत्व तो पैदा ही होता है, साथ ही अनुभव में भी वृद्धि होती है। किताबों में हम जिन स्थानों के बारे में पढ़ते हैं तो उतनी जानकारी हमें नहीं हो पाती है लेकिन जब हम वहां स्वयं जाकर देखते हैं कि वह स्थान कैसा है तो वह अनुभव अमिट बन जाता है। गंगोत्री और यमुनोत्री में गंगा जी कैसे निकलती हैं, यह देखकर ही उसकी वास्तविकता का पता चलता है। इस प्रकार पर्यटन हमारे अनुभव और अपनत्व को बढ़ाता है। धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से कई रमणीक स्थल हैं। इनके बारे में संक्षिप्त रूप से हम यहां बताना चाहते हैं- जिम कॉर्बेट है शांत पर्यटक स्थल
उत्तराखंड जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का ‘ढिकाला जोन’ पाटिल दून घाटी पर स्थित एक बहुत ही खूबसूरत और शांत पर्यटक स्थल है। ये ऐसी जगह है जहां आप अपने तनाव को दूर कर सकते हैं यहां की खूबसूरती और शांति आपको अपने से बांध लेगी और ये जगह छोड़ने का आपका मन बिलकुल नहीं करेगा। ढिकाला दुनिया भर में अपनी वाइल्ड लाइफ के लिए मशहूर है। वैसे तो कार्बेट के और भी जोन हैं जैसे झीरना, बिजरानी, सीताबनी, गैराल, दुर्गा देवी ये सभी बहुत ही खूबसूरत हैं और टाइगर रिजर्व भी है लेकिन ढिकाला इन सब में अपनी अलग पहचान के लिए जाना जाता है। ढिकाला बहुत ही घना जंगल है। यहां पर सफारी करते वक्त कब आपका सामना टाइगर से हो जाए कोई नहीं बता सकता। सफारी के दौरान ढिकाला जोन में सबसे ज्यादा जानवरों का साइट सीन घना जंगल होने के कारण जानवरों की संख्या ज्यादा है। यहां आपको हिरण, जंगली हाथी, चीतल, कोबरा सांप, तरह तरह के सरीसृपों और विभिन्न पक्षियों को देखने का अवसर मिलेगा।
जिम कॉर्बेट में अगर आप जंगल के अंदर रहना चाहते हैं और जंगल के बीचों बीच जानवरों की आहट के साथ आप रात गुजारना चाहते हैं तो आप ढिकाला जोन में ये एडवेन्चर भी कर सकते हैं। यहां रहने के लिए एक बेहद खूबसूरत और जन्नत जैसी जगह पर रेस्टहाउस है। ये खूबसूरत रिजोर्ट 100 साल पुराना है इसे अंग्रेजों ने बनवाया था। इसकी बनावट आपको आकर्षित करेगी, ये काफी बड़ा है। इस जोन में केवल 20 परिवार ही एक दिन में रह सकते हैं। यहां सरकार का सख्त पहरा है। सब कुछ सरकार की निगरानी में होता है। उत्तराखंड सरकार के अधीन होने के कारण यहां के नियम दूसरे टूरिस्ट प्लेसों से अलग हैं। यहां जाने के लिए आपको 45 दिन पहले ऑनलाइन बुकिंग करवानी पड़ेगी। यहां पर उसी जिप्सी की एंट्री होती है जिसका जिम कॉर्बेट का परमिट होता है। सख्त चेकिंग के बाद आपको गेट से अंदर भेजा जाता है और जंगल की सुरक्षा के लिहाज से आप मीट, शराब, सिगरेट जंगल के अंदर नहीं ले जा सकते। इससे आप को खतरा हो सकता है। मीट की खूशबू दूर से ही टाइगर को आने लगती है इसलिए किसी भी तरह का मांस अंदर ले जाना सख्त मना है।यहां पर रामनगर तक आप ट्रेन, बस, कार और बाइक किसी से भी जा सकते हैं। आपको उत्तराखंड के रामनगर तक जाना होगा वहां से आप को सफारी करनी होगी। ढिकाला के अंदर जाने के लिए ये वही सफारी होगी जिसे आप ऑनलाइन बुक करेंगे।
गंगाजी को देखना है तो जाइए ऋषिकेश
उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश ऐसी जगह है जो बेहद खूबसूरत है। गंगा के किनारे बैठ कर आप घंटों इस जगह की खूबसूरती को निहार सकते हैं। ऋषिकेश कैंपिग और वॉटर राफ्टिंग के लिए मशहूर है। यहां गंगा का पानी काफी साफ है जिससे गंगा नदी देखने में बहुत ही सुंदर लगती है। अगर आप एडवेंचर स्पोर्ट्स का शौक रखते हैं तो ऋषिकेश आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है। यहां आप पांच हजार रूपए जेब में डालकर मजे से घूम सकते हैं।
मसूरी-उत्तराखण्ड में मसूरी एक बहुत ही खूबसूरत नगर है। मसूरी को पर्वतों की रानी के नाम से भी जाना जाता है। यह देहरादून से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वीकेंड पर आप मसूरी घूमने का प्लान बना सकते हैं। सितम्बर से दिसम्बर मसूरी किसी जन्नत से कम नहीं लगती। यहां आप गनहिल, म्युनिसिपल गार्डन, तिब्बती मंदिर, चाइल्डर्स लॉज, कैम्पटी फॉल, नाग देवता मंदिर, मसूरी झील, जॉर्ज एवरेस्ट हाउस, ज्वालाजी मंदिर पर घूम सकते हैं।
कसौली-हिमाचल प्रदेश में स्थित कसौली छोटा सा हिल स्टेशन है ये चंडीगढ़ से काफी पास है। यहां का मौसम गर्मियों में भी काफी सुहाना होता है और सर्दियों में यहां का पारा माइनस में चला जाता है। यहां बर्फबारी देखने का एक अलग ही मजा है। अपनी सफाई और सुंदरता के कारण मशहूर कसौली में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इसे कभी कभार छोटा शिमला कहा जाता है और यह पर्वतीय स्थान फर, रोडोडेंड्रॉन, अखरोट, ओक और विलो के लिए प्रसिद्ध है। यहां का मंकी प्वाइंट पर्यटकों को खूब पसंद आता है।
मैकलोडगंज-यह हिमाचल प्रदेश में बसी बेहद खूबसूरत जगह है जहां जाकर एक अलग एहसास की अनुभूति होती है। तिब्बत के लोगों की एक बड़ी आबादी के कारण इसे छोटा ल्हासा या ढासा के नाम से भी जाना जाता है। मैकलोडगंज में भागसू वॉटरफॉल, तिब्बतियन म्यूजियम, कालचक्र मंदिर, सनसेट प्वाइंट जैसी कई बेहतरीन जगहों पर घूमकर आपका दिन बन जाएगा।
बनारस का ठाठ निराला
बनारस दुनिया के सबसे प्राचीनतम शहरों में से एक है यहां के प्राचीन मंदिरों और घाटों पर घूमने देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से लोग आते हैं। वाराणसी को शिव की भूमि भी कहा जाता है। मान्यता है कि यह शहर पृथ्वी के स्तर से ऊपर है क्योंकि इस पर पूर्ण रूप से भोले नाथ की कृपा है। वैसे तो बनारस अपने घाटों, गंगा आरती और मंदिरों के लिए मशहूर है लेकिन बनारसी खाने का भी जवाब नहीं। आज हम आपको वाराणसी में मिलने वाले कुछ खास व्यंजनों का स्वाद चखवाएंगे-वाराणसी में लक्सा रोड़ पर बनारस की सबसे मशहूर चाट की दुकान है दीना चाट भंडार, जिसे अब दुकान के मालिक की तीसरी पीढ़ी चला रही है। यहां की टमाटर चाट को दुनिया भर से लोग खाने आते हैं ये बहुत ही स्वादिष्ट है और इसे मिट्टी के कुल्हड़ में परोस कर दिया जाता है जिससे चाट का स्वाद और बढ़ जाता है।काशी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित है बनारसी लस्सी की मशहूर दुकान ब्लू लस्सी। यहां हर वक्त देशी विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। भोलेनाथ की धुन में बनाई जाने वाली ब्लू लस्सी बनारस की खास पहचान है यहां हर फ्लेवर की लस्सी मिलती है अनार, सेब, चॉकलेट आदि।जब दुनिया अपने घरों पर बेड टी का इंतजार कर रही होती है तो सयाने बनारसी सुबह 6 बजे ही गर्मा गरम पूरी सब्जी और जलेबी का नाश्ता करके फिट हो जाते हैं। लौंगलता तो बनारस की ऐसी डिश है, जिसका स्वाद हर बनारसी जानता है और ये लगभग हर दुकान पर मिलती है। मैदे को गूंथकर उसे रोटी की तरह बेल लेते हैं। फिर इसमें खोया और लौंग डालकर फोल्ड करके घी में डीप फ्राई करते हैं। एक बार जो लौंगलता खा लेता है, वो इसका दीवाना हो जाता है। (हिफी)
