महारानी विक्टोरिया 1837 में ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैण्ड की महारानी के रूप में सिंहासन पर आरूढ़ हुई थीं। 1877 में उन्हें भारत की सम्राज्ञी घोषित किया गया था। अपने उदार विचारों के कारण ही वह भारतीय जनमानस में प्रसिद्ध हुई थीं।
विक्टोरिया का जन्म 24 मई 1819 में हुआ था। जब वे मात्र आठ महीने की ही थीं, तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। विक्टोरिया के मामा ने उनका पालन-पोषण किया और शिक्षा-दीक्षा का कार्य बड़ी निपुणता से संभाला। वे स्वयं भी बड़े योग्य और अनुभवी व्यक्ति थे। उनकी संगत में ही विक्टोरिया ने राजकाज का कार्य सम्भालना शुरू कर दिया था।
विवाह हो जाने के बाद विक्टोरिया अपने पति को राजकाज से दूर ही रखती थीं, लेकिन धीरे-धीरे पति के प्रेम, विद्वत्ता और चातुर्य आदि गुणों से प्रभावित होने पर वे पतिपरायण बनकर उनकी इच्छानुसार चलने लगीं। किंतु 43 वर्ष की अवस्था में ही वे विधवा हो गईं। इस दुःख को सहते हुए भी उन्होंने 39 वर्ष तक बड़ी ईमानदारी और न्याय के साथ शासन किया।
मात्र अठारह वर्ष की उम्र में ही विक्टोरिया राजगद्दी पर आसीन हो गई थीं। भारत का शासन प्रबन्ध 1858 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथ से लेकर ब्रिटिश राजसत्ता को सौंप दिया गया।इसकी जो उदघोषणा, महारानी के नाम से की गई, उससे वह भारतीयों में जनप्रिय हो गईं, क्योंकि ऐसा विश्वास किया जाता था कि उदघोषणाओं में जो उदार विचार व्यक्त किए गए थे, वे महारानी विक्टोरिया ने कभी भी भारत-भ्रमण नहीं किया और भारतीय प्रशासन का संचालन संवैधानिक शासक की हैसियत से करते हुए उन्हीं नीतियों का अनुमोदन किया, जिसकी सिफ़ारिश उनके उत्तरदायी मंत्रियों ने की। ड्यूक ऑफ़ कनाट महारानी विक्टोरिया का पुत्र और इंग्लैंण्ड के राजघराने का प्रमुख सदस्य था। फिर भी उन्होंने भारतीयों के बीच बड़ी लोकप्रियता अर्जित की है। महारानी विक्टोरिया के भारत की सम्राज्ञी नियुक्त होने की खुशी में दो स्थानों हरदोई में विक्टोरिया मेमोरियल हरदोई तथा कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता भवनों का निर्माण किया गया। सुल्तानपुर में महारानी विक्टोरिया की याद में उनकी पहली जयन्ती पर ‘सुंदर लाल मेमोरियल हॉल’ का निर्माण करवाया गया था। वर्तमान समय में इसे विक्टोरिया मंज़िल के नाम से जाना जाता है। 22 जनवरी 1901 में जब उनकी मृत्यु हुई, तो सारे भारत में शोक मनाया गया। सोशल मिडिया से