लखनऊ। संजोग वॉल्टर। सज्जाद बाकर। अवध की महफिलों में अपनी गायकी से चार चांद लगाने वाली साल की ज़रीना बेगम (88 ) जिंदगी से ज़ंग हार गयीं । लखनऊ के नबी उल्लाह रोड़ स्थित के के अस्पताल में पिछले 2 माह से भर्ती थी जिनके इलाज के लिए सूबे के मुख्य मंत्री ने सहायता दी थी। के के अस्पताल प्रबंधन ने भी जरीना बेगम के बिल को माफ कर दिया था।
बेगम अख्तर से तालीमयाफ्ता ज़रीना बेगम को सरकार ने बेगम अख्तर अवार्ड से नवाजा था। शनिवार सुबह उन्होंने आखिरी साँस ली थी।
ज़रीना बेगम के दामाद मोहम्मद नावेद बताते हैं कि बदलते लखनऊ में जरीना बेगम की गायिकी लगातार गुम होती जा रही है। इस बीच पारिवारिक विवादों ने भी उन्हें एक छोटे से कमरे में सीमित कर दिया। इन्हीं परेशानियों के बीच कुछ साल पहले उनके शौहर कुर्बान अली का इंतकाल हो गया। उसके बाद रही-सही कसर लकवे के हमले ने पूरी कर दी। उनकी बेटी रूबीना और दिव्यांग बेटा अयूब उनके साथ रहते हैं।
ज़रीना बेगम की जिंदगी के बारे में नावेद बताते हैं कि अम्मी मूल रूप से बहराइच के नानपारा की रहने वाली थी । गाने में उनकी दिलचस्पी बचपन में अपने आसपास के माहौल से हुई। उनके वालिद शहंशाह हुसैन नानपारा के मुकामी कव्वाल थे। पर उनके घर में लड़कियों के गाने को कोई तवज्जो नहीं मिलती थी ।
ज़रीना बेगम की किस्मत उनको ऑल इंडिया रेडियो ले आई। यहाँ उनके हुनर को बेगम अख्तर ने निखारा था। ऑल इंडिया रेडियो ने उनको ए ग्रेड आर्टिस्ट के रूप में स्वीकार किया था ।
फोटो श्रीमती रफत फ़ातिमा की फेसबुक वॉल से।