नियम ताक पर! दंगा और हत्या केस की जांच आरोपी के कहने पर सीबीसीआईडी ट्रांसफर
चश्मदीद गवाह का बयान,फोरेसिंक जांच और कुड़की का आदेश फिर भी नही हुई गिरफ्तारी
लखनऊ। वजीरगंज में करीब पांच साल पहले दंगे के दौरान अंधाधुंध फायरिंग में गोली लगने से दो युवकों की मौत हो गयी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर रिवॉल्वर की फॉरेसिंक जांच तक में आरोप साबित हुए लेकिन पुलिस से लेकर शासन तक में हनक रखने वाले तीन आरोपी आज भी खुलेआम घूम रहे है जबकी न्याय के लिए बूढा पिता अफसरों के चक्कर काट रहा है। इतना ही नियमों को ताक पर रख आरोपी की पत्नी के कहने पर जांच को लम्बित करने के लिए सीबीसीआईडी ट्रांसफर कर दी गई। बूढा पिता एक बार फिर इंसाफ के लिए दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है।
वजीरगंज के पत्थर वाली गली में बीती 16 जनवरी 2013 की शाम को किसी बात को लेकर समुदाय के दो गुटों के बीच पथराव शुरू हुआ। इसी बीच दोनों ओर से फायरिंग होने लगी। पिता के लिए टिफिन लेकर जा रहे 23 साल वेद प्रकाश यादव और सुलेमान की गोली लगने से मौत हो गयी। दो युवकों की मौत के बाद खेल शुरू हुआ जांच। आरोप है की करीब 20 दिन तक तत्कालीन विवेचक नारद मुनि मौके पर जांच करने और चश्मदीद से बातचीत करने तक नही पहुंचे। जांच एसआईटी के पांच पहुंची तो चांद उर्फ़ हसन,तकी अब्बास उर्फ़ डॉक्टर सहित अली मो0 जाफरी उर्फ़ शाहिद का नाम सामने आया। इस बीच अदालत ने एक चश्मदीद गवाह के बयान और अन्य साक्षों के आधार पर सम्मन जारी किया लेकिन तीनों आरोपी अदालत नही पहुंचे। उंची हनक रखने वाले शाहिद ने इस बीच पत्नी जेबा जाफरी के माध्यम से प्रार्थना शासन को भेजा। जिस पर सचिव गृह अनुभाग तीन ने आदेश कर जांच को सीबीसीआईडी भेज दिया। जबकी वेद के पिता अशोक यादव का कहना है की फॉरेसिंक जांच में शानू की रिवॉल्वर से ही गोली चलने की पुष्टी हो चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है की अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी तो दूर आरोपियों के कहने पर जांच ट्रांसफर करने वाले अधिकारियों के खिलाफ आखिर जांच कब की जायेगी।
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