फूलपुर और गोरखपुर के बाद कैराना और नूरपुर में भाजपा की पराजय ने पार्टी के नेताओं को चिंतन करने पर मजबूर किया है लेकिन यह चिंतन अधूरा नजर आता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पाण्डेय के नेतृत्व में भाजपा नेताओं ने काशी क्षेत्र में कैराना और नूरपुर में पराजय का कारण विशेष रूप से नौकरशाही को बताया। इसके अलावा गन्ना मूल्य का भुगतान न होने पर विशेष जोर दिया। गन्ना और जिन्ना का उल्लेख राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) नेता जयंत चैधरी ने भी किया था। उन्हांेने कहा था कि भाजपा ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की फोटो का विवाद खड़ा करके हिन्दुओं के ध्रुवीकरण का प्रयास किया लेकिन हमने गन्ना किसानों की समस्या को उठाया और गन्ना जीत गया जबकि जिन्ना हार गये। गन्ना भुगतान न होने और चीनी मिलों की समस्या केन्द्र से लेकर राज्य सरकार तक को परेशान किये है। यह समस्या यूपी के साथ अन्य राज्यों में भी है। इसी प्रकार भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं का यह कहना कि अफसर उनकी बात नहीं सुनते, यह भी पूरा सच नहीं है। भाजपा भी उन दलालों को रोक नहीं पायी जो पूर्ववर्ती सपा सरकार में सक्रिय थे। इन में से कई नेता तो अब भाजपा में ही शामिल हो गये हैं और उनके दलाल पहले से ज्यादा सक्रिय हैं। इन्हीं दलालों की वजह से सामान्य किसान का न तो गेहूं खरीदा जा रहा है और न गन्ना खरीदा गया। गन्ना मूल्य के भुगतान में यही दलाल सक्रिय रहे हैं। भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में इन दलालों और बिचैलियों से मुक्ति दिलाने का वादा किया था।
भगवान शंकर की नगरी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी के भदोही में भाजपा की यह समीक्षा बैठक हुई। भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने अब प्रदेशों के सभी क्षेत्र में बैठक करने को कहा है क्योंकि काशी क्षेत्र से आने वाले सांसदों और विधायकों ने अपने क्षेत्र के अफसरों पर उनकी और कार्यकर्ताओं की जायज शिकायतों को न सुनने का आरोप लगाया। जनप्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि यही अफसर सपा-बसपा की सरकारों में जब ऊपर से लगाम लगायी जाती थी तो उनके जनप्रतिनिधियों की बात सुनते थे। भाजपा के प्रतिनिधियों की यह बात पूरी तरह से सच नहीं है। यह बात तो किसी से छिपी नहीं कि सरकार के बदलने के साथ ही अफसरों की भी तैनाती बदल जाती है। इन अफसरों की जब तैनाती हुई थी तब वहां के जनप्रतिनिधियों ने कोई आपत्ति नहीं की थी। दरअसल ये जनप्रतिनिधि जायज की जगह नाजायज कार्य ही करवाने का दबाव बनाते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महत्वपूर्ण विभागों में अच्छे अफसरों की ही तैनाती की थी। कैराना और नूरपुर क्षेत्र को लेकर यदि गन्ने के भुगतान को हार का मुख्य कारण बताया जा रहा है तो वहां के जनप्रतिनिधियों ने गन्ना किसानों की कितनी मदद की थी, यह भी बताना चाहिए। गन्ना किसान के पास यदि 10 एकड़ जमीन है तो क्या उसने पूरे क्षेत्र में ही गन्ना उगाया होगा लेकिन उसने इतना गन्ना बेचा। इसके पीछे अधिकारी नहीं भाजपा नेताओं के दलालों की भूमिका रही है। इसी प्रकार गन्ना मूल्य का भुगतान सामान्य किसानों को नहीं मिल सका और जिन्हें लाखों रुपये का भुगतान मिल गया और हजारों रुपये बाकी रह गये, उनकी सेहत पर क्या फर्क पड़ता है। इस प्रकार एक बड़ा किसान खुश हो गया लेकिन 10 छोटे किसान नाराज हो गये।
कैराना में भी बकाया गन्ना मूल्य को लेकर किसान नाराज थे क्योंकि वहां 800 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य बकाया है। जाट समुदाय के जो किसान 2014 और 2017 में भाजपा का समर्थन करते थे, वह इस बार क्यों नाराज हुए? इसकी गहराई में जाया जाए तो यही पता चलता है कि तब उन सरकारों में नेताओं के दलालों ने इन किसानों का गन्ना बिकवाने से लेकर भुगतान कराने तक में बाधा डाली थी और भाजपा सरकार के दौरान भी वही दलाल सक्रिय रहे हैं। शामली के प्रशासनिक अधिकारियों पर आरोप लगाया जा रहा है कि उसने बकाया गन्ना मूल्य के बारे में बताया ही नहीं। इस आरोप से भी यही साबित होता है कि कैराना और नूरपुर विधानसभा के उपचुनाव में प्रचार करते समय और उससे पहले भी भाजपा नेता और कार्यकर्ता किसानों के सम्पर्क में नहीं थे बल्कि वे प्रशासनिक अधिकारियों से ही मिल जुल रहे थे। किसानों से अगर सीधे मिले होते तो उन्हंे पता चल जाता कि किस तरह गन्ना खरीदने और उसका भुगतान देने में परेशान किया जा रहा है। क्या यह संभव है कि भाजपा नेता और कार्यकर्ता किसानों से डोर-टु-डोर मिल रहे थे और किसानों ने उन्हें यह नहीं बताया कि उनका गन्ना मूल्य बकाया है। गन्ना किसानों की नकदी फसल होती है और उससे जो पैसा मिलता है, किसान उसी से अपने बेटे-बेटी का व्याह करते हैं। इस पैसे को बच्चों की शिक्षा पर खर्च किया जाता है। इसलिए किसान यह समस्या बता रहे थे लेकिन भाजपा के लोग उसे सुनने को तैयार नहीं थे क्योंकि वे अफसरों और कथित दबंगों से मिलकर रणनीति बनाने में ही लगे रहे।
बहरहाल, कैराना और नूरपुर उपचुनाव में भाजपा की हार के कारणों पर एक गुप्त रिपोर्ट बनायी गयी है जो केन्द्र और प्रदेश नेतृत्व को भेजी गयी। इस रिपोर्ट को प्रदेश नेतृत्व के लिए भेजा गया तो उस में यही कारण गिनाये गये हैं कि जिला स्तर के अफसर भाजपा कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनते हैं। इससे जिले के अफसरों पर दबाव बढ़ सकता है। हालांकि कुछ बातें काफी महत्वपूर्ण हैं जैसे गांव में आवारा पशु, विशेष रूप से गाय-सांड इस तरह खुले रहते हैं कि फसल कब चट हो जाए, कोई नहीं जानता। किसान कितना पहरा देगा। इसी रिपोर्ट में थाना, तहसील तथा ब्लाक स्तर पर भ्रष्टाचार कम न होने की बात भी कही गयी है। यह भी कहा गया कि निजी स्कूलों की फीस पर सरकार नियंत्रण नहीं कर पायी है क्योंकि अध्यादेश बहुत लचर है। यह भी कहा गया कि चयन आयोगों के गठन के बाद भी युवा बेरोजगारों को नौकरी नहीं मिल सकी, शिक्षामित्र और आंगनबाड़ी कार्यकत्र्रियों की समस्या दूर न होना भी एक कारण बताया गया है। एक मुद्दा यह भी उठाया गया है कि सपा सरकार के भ्रष्टाचारों की जांच ठीक से नहीं की गयी है। यह बात समझ मंे नहीं आती है और भाजपा की रणनीति से जुड़ी है। नरेश अग्रवाल जैसे समाजवादी पार्टी के नेता अपने कुनबे के साथ अब भाजपा मंे आ गये हैं, उनके कार्यकलापों की जांच कैसे करायी जाएगी। इसी तरह कहा गया कि सरकारी वकीलों की नियुक्ति में और आयोगों में संघ व भाजपा के कार्यकर्ताओं को जगह न देने की बात भी शामिल है। संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं की अगर उपेक्षा हुई है, तब तो शिकायत जायज है लेकिन इन्हीं को वरीयता दी जाए, यह भी तो उचित नहीं है। खनन पर रोक लगाने का भी विरोध किया गया है जबकि श्री योगी के इस कदम से खनन माफियाओं पर प्रतिबंध लगा था।
मुख्यमंत्री श्री योगी पर भी एक तरह से ये आरोप लगाये गये हैं और इससे पता चलता है कि भाजपा मंे भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। काशी क्षेत्र की बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 2017 के पहले कोई भी कार्य बिना पैसे लिये नहीं होता था। लेकिन हमारी सरकार जीरो टालरेन्स पर काम कर रही है। भ्रष्टाचार का कोई स्थान नहीं है, जो भी विकास में बाधक होगा, जेल जाएगा। श्री योगी ने कहा कि बहुत से लोगों को यह रास्ता रास नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री की इस बात को भी गंभीरता से समझना होगा। श्री योगी का संकेत सपा, बसपा और अन्य विपक्षी दलों की एकता की तरफ है, साथ ही भाजपा के उन लोगों की तरफ भी जो निरर्थक आरोप लगाते हैं। हालांकि श्री योगी ने यह भी कहा कि नरेन्द्र मोदी को रोकने के लिए भ्रष्टाचारी, आतंकी व नक्सली समर्थित लोग गठबंधन बना रहे हैं। हम इस नापाक गठबंधन को तोड़ेंगे। दरअसल, कैराना और नूरपुर उपचुनाव में भाजपा की पराजय का मुख्य कारण यह गठबंधन ही है जिसने प्रदेश की दो बड़ी पार्टियों के साथ कांग्रेस और रालोद के मतदाताओं को एक साथ खड़ा कर दिया। (हिफी)