प्रकृति संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी दूषित हो रही है और निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है। इस स्थिति को ध्यान में रखकर 1992 में ब्राजील में विश्व के 174 देशों का ‘पृथ्वी सम्मेलन’ आयोजित किया गया था। इसके पश्चात् 2002 में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाए गये। वस्तुतः प्रकृति के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है, अन्यथा मंगल ग्रह आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन-चक्र भी एक दिन समाप्त हो जायेगा।
आज विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस है।
प्रकृति जिन तीन तत्वों के बिना अधूरी है, वह हैं:-जल-जंगल-जमीन
विश्व में सबसे समृद्ध देश वही हुए हैं, जहाँ यह तीनों तत्व प्रचुर मात्रा में हों। भारत देश जंगल, वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है। हमारे देश में भी वन्य जीवों की विभिन्न और विचित्र प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इन सभी वन्य जीवों के विषय में ज्ञान प्राप्त करना केवल कौतूहल की दृष्टि से ही आवश्यक नहीं है, वरन यह काफ़ी मनोरंजक भी है। जैसे * भूमंडल पर सृष्टि की रचना कैसे हुई?* सृष्टि का विकास कैसे हुआ और उस रचना में मनुष्य का क्या स्थान है?
* प्राचीन युग के अनेक भीमकाय जीवों का लोप क्यों हो गया और उस दृष्टि से क्या अनेक वर्तमान वन्य जीवों के लोप होने की कोई आशंका है?
* मानव समाज और वन्य जीवों का पारस्परिक संबंध क्या है? * यदि वन्य जीव भूमंडल पर न रहें, तो पर्यावरण पर तथा मनुष्य के आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
प्रकृति के संरक्षण के लिए समस्त मानव प्रजाति को निम्नलिखित प्रयास करना चाहिए :
· जंगलों को न काटे।· जमीन में उपलब्ध पानी का उपयोग तब ही करें जब आपको जरूरत हो।· कार्बन जैसी नशीली गैसों का उत्पादन बंद करे।
· उपयोग किए गए पानी का चक्रीकरण करें।· ज़मीन के पानी को फिर से स्तर पर लाने के लिए वर्षा के पानी को सहेजने की व्यवस्था करें।
· ध्वनि प्रदूषण को सीमित करें।· प्लास्टिक के लिफाफे छोड़ें और रद्दी काग़ज़ के लिफाफे या कपड़े के थैले इस्तेमाल करें।
· जिस कमरे मे कोई ना हो उस कमरे का पंखा और लाईट बंद कर दें।· पानी को फ़ालतू ना बहने दें।
· आज के इंटरनेट के युग में, हम अपने सारे बिलों का भुगतान आनलाईन करें तो इससे ना सिर्फ हमारा समय बचेगा बल्कि काग़ज़ के साथ साथ पैट्रोल डीजल भी बचेगा।· ज्यादा पैदल चलें और अधिक साइकिल चलाएं।
· प्रकृति से धनात्मक संबंध रखने वाली तकनीकों का उपयोग करें। जैसे-
o जैविक खाद का प्रयोगo डिब्बा-बंद पदार्थो का कम इस्तेमाल। · जलवायु को बेहतर बनाने की तकनीकों को बढ़ावा दें।
· पहाड़ खत्म करने की साजिशों का विरोध करें।याद रखिए कि प्रकृति संतुलित है तो हमारा जीवन भी संतुलित है।
राम कृपाल यादव