सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों का रिव्यू पीटिशन खारिज किया, निर्भया के गांव में खुशी
नयी दिल्ली -देश-दुनिया को झकझोरने वाले ‘निर्भया‘ कांड के तीन गुनहगारों की मौत की सजा सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहाल रखे जाने के बाद इस कांड के भुक्तभोगी परिवार और उसके बलिया स्थित पैतृक गांव के लोगों ने खुशी का इजहार किया है. बिहार की सरहद से सटे बलिया जिले के नरही थाना क्षेत्र में स्थित दिल्ली के सामूहिक बलात्कार कांड की पीडि़ता के पैतृक गांव मेड़वार कलां में आज अपराह्न जैसे ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की जानकारी मिली, कांड के भुक्तभोगी परिवार और गांववासियों में खुशी की लहर दौड़ गयी. फैसले के बाद गांव में लोगों ने मिठाई बांटी और मंदिर में विशेष पूजा की. मंदिर में महिलाओं ने दुग्धाभिषेक कर खुशी जतायी. निर्भया के दादा लाल जी सिंह ने आज के फैसले पर खुशी का इजहार करते हुए कहा कि अगर अब तक दरिंदों को फांसी मिल गयी होती तो आये दिन सामने आ रही हैवानियत की घटनाएं शायद ना होतीं. सिंह ने कहा कि अब उनकी पोती के गुनहगारों को बिना देर किये फांसी पर लटका देना चाहिए. इस बीच, निर्भया की मां ने टेलीफोन पर कहा कि उनका परिवार लगभग छह वर्ष से संघर्ष कर न्याय की लड़ाई लड़ रहा है. उन्हें खुशी है कि दरिंदों को किसी न्यायालय से अब तक कोई राहत नहीं मिली है. उन्हें न्यायालय के आज के फैसले से तसल्ली हुई है लेकिन एक नाबालिग दरिंदा कानून का लाभ उठाकर फांसी की सजा से बच गया, इसका दु:ख है. निर्भया के पिता ने कहा कि वह फैसले से खुश हैं. उन्हें पूरा विश्वास था कि सुपीम कोर्ट न्यायालय से दरिंदों को कोई राहत नहीं मिलेगी. मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय ने 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए सनसनीखेज निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड और हत्या के मामले में फांसी के फंदे से बचने का प्रयास कर रहे तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिकाएं आज खारिज कर दीं. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने दोषी मुकेश, पवन गुप्ता और विनय कुमार की याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि पांच मई, 2017 के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कोई आधार नहीं है. इस सनसनीखेज अपराध में चौथे मुजरिम अक्षय कुमार सिंह ने मौत की सजा के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर नहीं की थी. राजधानी में 16 दिसंबर, 2012 को हुए इस अपराध के लिए निचली अदालत ने 12 सितंबर, 2013 को चार दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी. इस अपराध में एक आरोपी राम सिंह ने मुकदमा लंबित होने के दौरान ही जेल में आत्महत्या कर ली थी जबकि छठा आरोपी एक किशोर था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 मार्च, 2014 को दोषियों को मृत्यु दंड देने के निचली अदालत के फैसले की पुष्टि कर दी थी. इसके बाद, दोषियों ने शीर्ष अदालत में अपील दायर की थीं जिन पर न्यायालय ने पांच मई, 2017 को फैसला सुनाया था.
निर्भया गैंगरेप के दोषियों की मौत की सजा सुप्रीम कोर्ट ने रखी बरकरार, पिता बोले-जल्दी फांसी हो
निर्भया गैंगरेप मामले में दोषियों के रिव्यू पीटिशन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है और तीनों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी है. अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए दोषियों के वकील से जानना चाहा कि पूर्व में अदालत द्वारा इस संबंध में दिये गये फैसले में कहां कमी रह गयी, जिसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया जा सका. अदालत ने कहा कि दोषियों के लिए फांसी की सजा सही है. इस मामले में अदालत ने पहले मुकेश और फिर पवन व विनय के मामले की सुनवाई करते हुए फैसला दिया. ऐसे में इन दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रही. अब इनके पास दो विकल्प शेष हैं- एक बार और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का और दूसरा राष्ट्रपति से दया याचिका का. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह ने मीडिया से कहा कि हमें मालूम था कि उनकी पुनर्विचार याचिका खारिज होगी. पर अब इसमें आगे क्या होगा? बहुत समय गुजर गया है और महिलाओं के खिलाफ खतरा इस दौरान बढ़ा है. मुझे उम्मीद है कि उन्हें जल्द फांसी पर लटकाया जाएगा, यह सही होगा. एजेंसी