गूगल ने डूडल बनाकर उर्दू की महान लेखिका और पद्मश्री से सम्मानित इस्मत चुग़ताई के जन्मदिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है. 21 अगस्त, 1915 को जन्मी इस मशहूर लेखिका को ‘इस्मत आपा’ के नाम से भी जाना जाता है. वे उर्दू साहित्य की सबसे विवादित और सर्वप्रमुख लेखिका थीं, जिन्होंने महिलाओं के सवालों को नए सिरे से उठाया. उन्होंने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबके की दबी-कुचली सकुचाई और कुम्हलाई, लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों और उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयां किया.इस्मत चुगताई का जन्म बदायूं के उच्च मध्यवर्गीय परिवार में हुआ. वे दस भाई बहन थे, जिनमें इस्मत आपा का नौवां नंबर था. छह भाई और चार बहनें.उनके पिता सरकारी महकमे में थे तो इस वजह से उनका तबादला जोधपुर, आगरा और अलीगढ़ में होता रहता, जिस वजह से परिवार को जल्दी-जल्दी घर बदलना पड़ता.इसलिए इस्मत आपा का जीवन इन सब जगहों पर गुजरा.सारी बहनें उम्र में बड़ी थीं, तो जब तक वे बड़ी होतीं उनकी शादी हो गई. ऐसे में बहनों का साथ कम और भाइयों का साथ उन्हें ज्यादा मिला.अब लड़कों के साथ रहना तो उनकी जैसी हरकतें और आदतें सीखना भी लाजिमी था.इस तरह इस्मत आपा बिंदास हो गईं, और हर वह काम करतीं जो उनके भाई करते. जैसे फुटबॉल से लेकर गिल्ली डंडा तक खेलना. इस तरह उनके बिंदास व्यक्तित्व का निर्माण हुआ, जिसकी झलक उनकी लेखनी में देखने को मिली. आधुनिक उर्दू अफसानागोई के चार आधार स्तंभ माने जाते हैं,जिनमें मंटो, कृशन चंदर, राजिंदर सिंह बेदी और चौथा नाम इस्मत चुगताई का आता है.
उनके बड़े भाई मिर्जा अजीम बेग चुगताई उर्दू के बड़े लेखक थे,जिस वजह से उन्हें अफसाने पड़ने का मौका मिला.उन्होंने चेखव, ओ’हेनरी से लेकर तोलस्तॉय और प्रेमचंद तक सभी लेखकों को पढ़ डाला.उनका पश्चिम में लिखे गए अफसानों से गहरा जुड़ाव रहा. इस्मत आपा ने 1938 में लखनऊ के इसाबेला थोबर्न कॉलेज से बी.ए. किया. कॉलेज में उन्होंने शेक्सपीयर से लेकर इब्सन और बर्नाड शॉ तक सबको पढ़ डाला.23 साल की उम्र इस्मत आपा को लगा कि अब वे लिखने के लिए तैयार हैं.उनकी कहानी के साथ बड़ा ही दिलचस्प वाकया पेश आया.उनकी कहानी उर्दू की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘साक़ी’ में छपी. कहानी थी ‘फसादी’.पाठक इस्मत से वाकिफ थे नहीं,इसलिए उन्हें लगा कि आखिर मिर्जा अजीम ने अपना नाम क्यों बदल लिया है,और इस नाम से क्यों लिखने लगे.
‘लिहाफ’ पर केस
उनके जीवन पर राशिद जहां का काफी असर रहा.वे पेशे से डॉक्टर और लेखक भी थीं.इस्मत ने एक जगह लिखा,“उन्होंने मुझे बिगाड़ने का काम किया क्योंकि वे काफी बोल्ड थीं और अपने दिल की बात कहने से कभी चूकी नहीं, मैं उनके जैसा बनना चाहती थी.”इस्मत आपा बी.ए. और बी.टी (बैचलर्स इन एजुकेशन) करने वाली पहली मुस्लिम महिला थीं.उन्होंने 1942 में शाहिद लतीफ (फिल्म डायरेक्टर और स्क्रिप्टराइटर) से निकाह कर लिया.लेकिन शादी से दो महीने पहले ही उन्होंने अपनी सबसे विवादास्पद कहानी ‘लिहाफ’ लिख ली थी.कहानी लिखने के दो साल बाद इस पर अश्लीलता के आरोप लगे.यह कहानी एक हताश गृहिणी की थी जिसके पति के पास समय नहीं है और यह औरत अपनी महिला नौकरानी के साथ में सुख पाती है.हालांकि दो साल तक चले केस को बाद में खारिज कर दिया गया.
मंटो और इस्मत को लेकर कई किस्से फेमस थे. कइयों ने तो उन्हें शादी तक करने के लिए कह डाला था.मंटों की यह पंक्तियां इस्मत आपा को समझने के लिए काफी होंगी, “अगर इस्मत आदमी होती तो वह मंटो होती और अगर मैं औरत होता तो इस्मत होता.’यही नहीं, मंटो ने इस्मत की लेखनी को लेकर भी काफी सटीक लिखा है जो उनके थॉट प्रोसेस और लेखनी को बखूबी जाहिर कर देती है, “इस्मत की कलम और जुबान दोनों तेज चलते हैं.जब वे लिखना शुरू करती हैं तो उनकी सोच आगे निकलने लगती है और शब्द उनसे तालमेल नहीं बिठा पाते.जब वे बोलती हैं तो उनके शब्द एक के ऊपर एक चढ़ जाते हैं.अगर वे किचन में चली जाएं तो हर ओर तबाही आ जाए.वे इतना तेज सोचती हैं कि आटा गूंधने से पहले ही दिमाग में चपाती बना लेती हैं. अभी आलू छिले भी नहीं और उनकी कल्पना में सब्जी बन चुकी होती है.”
इस्मत आपा के पति फिल्मों से थे इसलिए उन्होंने भी फिल्मों में हाथ आजमाया.‘गरम हवा’ उन्हीं कहानी थी.इस फिल्म की कहानी के लिए उन्हें कैफी आजमी के साथ बेस्ट स्टोरी के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया.उन्होंने श्याम बेनेगल की ‘जुनून (1979)’ में एक छोटा-सा रोल भी किया था.
24अक्तूबर, 1991 को उनका निधन मुंबई मे हो गया. लेकिन विवाद यहां भी कायम रहे.उनका दाह संस्कार किया गया, जिसका उनके रिश्तेदारों ने विरोध किया. हालांकि कई ने कहा कि उनका वसीयत में ऐसा लिखा गया था.
इस्मत आपा की प्रमुख किताबें-कहानी संग्रह: चोटें, छुई-मुई, एक बात, कलियां, एक रात, शैतान-उपन्यास: टेढ़ी लकीर, जिद्दी, दिल की दुनिया, मासूमा, जंगली कबूतर, अजीब आदमी –आत्मकथा: कागजी है पैरहन.सुरेंद्र साम्भाणी की फेसबुक वॉल से।