मुबारक साल गिरह- योगिता बाली (13 अगस्त, 1952) रिश्ते में गीताबाली की भानजी हैं, लेकिन फिल्मों में वैसा कमाल नहीं दिखा पाईं, जो गीताबाली ने हासिल किया था। योगिता बाली को उन फिल्मों में ज्यादा देखा गया, जिन्हें प्रथम श्रेणी की तारिकाएँ रिजेक्ट कर देती थीं। अपने करियर के शुरुआती दौर में फिल्म निर्देशकों ने योगिता बाली को सेक्स सिम्बल के रूप में प्रस्तुत किया था। उनसे शारीरिक प्रदर्शन करवाए गए। गाने गवाकर रोमांस कराया गया।
किशोर कुमार को योगिता बाली के साथ फिल्म ‘जमुना के तीर’ में साथ काम करने का मौका मिला। फिल्म तो आधी-अधूरी रह गई। किशोर के रसिया स्वभाव पर फिदा योगिता बाली ने चट मंगनी पट ब्याह रचा लिया। लेकिन 1976 में हुई यह शादी 1978 में टूट गई। कहा जाता है कि इसकी वजह योगिता बाली की माँ का रोजाना की जिंदगी में जरूरत से ज्यादा दखल था। यह दखल किशोर कुमार अक्खड़ और हरफनमौला को जरा भी रास नहीं आया और दोनों ने अलग होने का मन बना लिया। योगिता बाली के साथ उनके निर्देशन में बनी फिल्म शाबाश डैडी याद रखने लायक है। योगिता बाली की पति किशोर कुमार की रोजाना खटपट से गृहस्थी की गाड़ी ठीक से स्टार्ट भी नहीं हो पाई थी कि पंक्चर हो गई।
उसी दौरान मिथुन चक्रवर्ती बॉलीवुड में धूमकेतु की तरह उभरे। उन्हें लंबूजी और अमिताभ जैसी कदकाठी के होने से सेकण्ड अमिताभ मान लिया गया था। मिथुन के साथ योगिता बाली की फिल्म ख्वाब (1980) की शूटिंग चल रही थी। मिथुन अपनी पहली पत्नी हेलेना ल्यूक को तलाक दे चुके थे। उन्हें भी एक अदद बीवी की सख्त जरूरत महसूस हो रही थी। दोनों ने अपने भावी जीवन के ख्वाब साथ-साथ देखे और शादी करने का मन बना लिया। फिल्मकार शक्ति सामंत इस रोमांस के गवाह रहे हैं। योगिता बाली ने किशोर कुमार से तलाक ले लिया। बदले में किशोर कुमार ने फिल्म ख्वाब में पार्श्वगायन करने से इंकार कर दिया। बाद में किशोर कुमार ने मिथुन चक्रवर्ती के लिए कई फिल्मों में नहीं गाया। इसकी वजह से संगीतकार बप्पी लाहिरी, मिथुन के लिए गाने लगे। किशोर कुमार ने योगिता बाली से छुट्टी पाई और योगिता बाली ने मिथुन को अपना हैसबैंड बनाना स्वीकार कर लिया। आज योगिता-मिथुन का बेटा मिमोह फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर प्रारंभ कर चुका है। कहा जाता है कि मिथुन और योगिता बाली में भी आपस में नहीं बनती, लेकिन बच्चों की खातिर वे एक ही छत के नीचे रहते हैं।
योगिता बाली ने अभिनेत्री के रूप में कोई ऐसी छाप नहीं छोड़ी है कि उन्हें गीता बाली, नरगिस, मीना कुमारी या श्रीदेवी की तरह याद रखा जा सके। उनके शुरुआती दौर की फिल्म ‘परवाना’ (1971) आज इसलिए याद की जाती है कि उसमें अमिताभ बच्चन ने नकारात्मक रोल किया था। उसमें योगिता के हीरो थे नवीन निश्चल तथा उन पर फिल्माया गया एक गीत ‘पिया की गली लागे भली’ काफी हिट हुआ था। गुरुदत्त के भाई आत्माराम की ‘मेमसाब’ (1971) एक सस्पेंस थ्रिलर थी, जिसमें योगिता बाली के हीरो थे विनोद खन्ना। ‘समझौता’ (1973) में उनके हीरो उभरते कलाकार अनिल धवन थे, तो उसी साल ‘बनारसी बाबू’ में वे सदाबहार देव आनंद की हीरोइन के रूप में आईं। इसमें देव साहब का डबल रोल था और दूसरी हीरोइन थीं राखी। इसके बावजूद योगिता बाली के करियर को कोई खास लाभ नहीं हुआ। वे अधिकतर फिल्मों में दूसरी हीरोइन या चरित्र भूमिका में ही नजर आने लगीं। ‘नागिन’ (1976) में कलाकारों की भीड़ में वे भी थीं, तो ‘चरित्रहीन’ (संजीव कुमार-शर्मिला), ‘अजनबी’ (राजेश खन्ना-जीनत अमान) आदि में उन्होंने छोटी भूमिकाएं निभाईं। ‘चाचा भतीजा’ (1977) में वे रणधीर कपूर के साथ थीं। मेहमूद द्वारा निर्देशित ‘जनता हवलदार’ (1979) में योगिता को राजेश खन्ना के साथ काम करने का मौका मिला, लेकिन तब तक राजेश खन्ना का दौर समाप्त हो चुका था। आरके बैनर की ‘बीवी ओ बीवी’ (1981) में योगिता को संजीव कुमार के साथ कॉमेडी करने का मौका मिला, लेकिन मुख्य हीरो रणधीर कपूर, हीरोइन पूनम ढिल्लन तथा डबल रोल में संजीव कुमार के होते हुए योगिता पर किसी का ध्यान नहीं आया। ‘लैला’ (1984) में योगिता सुनील दत्त की पत्नी और अनिल कपूर की मां के रोल में आईं।
प्रमुख फिल्में :
परवाना (1971), मेमसाब (1972), समझौता, झील के उस पार, धमकी, अजनबी,सौदा 1974 , नागिन (1976), चाचा भतीजा (1977), कर्मयोगी (1978), शाबाश डैडी (1979), जनता हवलदार (1979), जानी दुश्मन (1979), नौकर (1979), प्यारा दुश्मन (1980), बीवी ओ बीवी (1981), जमाने को दिखाना है (1982)। एजेंसी