राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुये कहा कि ‘मैंने पुस्तक मेला उद्घाटन कार्यक्रम मांग कर लिया है। समाचार पत्रों में पढ़ा कि आयोजक ने राज्यपाल राम नाईक को उद्घाटन के लिये आमंत्रित किया है। मुझे उनका पत्र नहीं मिला जबकि राजभवन काफी करीब है। मैंने आयोजक को फोन किया। राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, पिछले चार वर्षों से मैं मेले का उद्घाटन कर रहा हूँ। पांचवें मेले में न आता तो मेरा रिकार्ड टूट जाता। अगले वर्ष मैं राज्यपाल रहूं न रहूं पर मेरी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!! मेरी उपस्थिति दर्ज कराती रहेगी। मेरी मराठी पुस्तक का पांच भाषाओं हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, गुजराती और संस्कृत में अनुवाद हो चुका है तथा निकट भविष्य में यह जर्मन, अरबी, फारसी एवं सिंधी में भी प्रकाशित होगी।’
श्री नाईक ने कहा कि लखनऊ की विशेषता है कि यहाँ 8 राज्य विश्वविद्यालय हैं, 5 निजी विश्वविद्यालय हैं, 1 केन्द्रीय विश्वविद्यालय है तथा 1,200 महाविद्यालय हैं। ऐसे में पुस्तक मेला ज्ञान बढ़ाने में सहायक है। पुस्तकें खरीदकर पढ़ें क्योंकि उससे लेखक और प्रकाशक दोनों को चेतना और उत्साह मिलता है। सांस्कृतिक जीवन में पुस्तकों का बहुत महत्व है। कुछ लोगों का कहना है कि पठन संस्कृति को ग्रहण लग रहा है, जबकि वास्तव में किताबें कभी अकेलापन नहीं महसूस होने देती हैं। पुस्तक मेले में अलग-अलग भाषाओं की किताबें मिलती हैं। भाषाएं एक-दूसरे को जोड़ती हैं। यह पुस्तक मेले में देखने को अच्छे ढंग संे मिलता है। उन्होंने कहा कि पुस्तक मेला ज्ञान बढ़ाने में सहायक होता है।
राज्यपाल ने कवि स्वर्गीय गोपाल दास ‘नीरज’ को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि उनकी कविता बहुत श्रेष्ठ होती थी तथा उनके गीत भी बहुत लोकप्रिय है। गोपाल दास ‘नीरज’ ने पांच दशक तक कविता के मंच पर राज किया। कालजयी रचनाएं उन्हें सदा जीवित रखेंगी तथा लोग उनकी रचनाओं से साहित्य का महत्व समझेंगे। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों आपस में मित्र थे और कविता के कारण उनमें जुड़ाव था। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय अटल जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था और उन्होंने विभिन्न भूमिकाओं में समाज की सेवा की।
इस अवसर पर विधि मंत्री श्री बृजेश पाठक ने कहा कि पुस्तकों का अपना महत्व है। मेले में एक ही पंडाल के नीचे विभिन्न प्रकार की रूचि रखने वालों की पुस्तक मिल सकती है। उन्होंने कहा कि पुस्तक व पुस्तक मेला ज्ञान का स्रोत हैं।
कार्यक्रम में सर्वेश अस्थाना,सुनील जोगी तथा जेश पाण्डेय ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन आयोजक देवराज अरोड़ा द्वारा दिया गया।

राज्यपाल ने राष्ट्रीय पुस्तक मेला 2018 का उद्घाटन किया
पिछले चार वर्षों से मेले का उद्घाटन कर रहा हूँ, पांचवें में न आता तो मेरा रिकार्ड टूट जाता – राज्यपाल
लखनऊः। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने रविन्द्रालय प्रागंण में आयोजित ‘राष्ट्रीय पुस्तक मेला 2018’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विधि मंत्री बृजेश पाठक, कवि सुनील जोगी, कवि सर्वेश अस्थाना, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राजेश त्रिपाठी, पुस्तक मेला के आयोजक देवराज अरोरा व बड़ी संख्या में साहित्यकार और पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे। 5 से 14 सितम्बर तक चलने वाला पुस्तक मेला स्वर्गीय कवि गोपाल दास ‘नीरज’ को समर्पित है।