महिलाएं पैरों के काले निशानों को ना करें अनदेखा, हो सकता है गंभीर रोग
महिलाएं अक्सर अपने शरीर में दिखने वाले बदलावों को नजरअंदाज कर देती है। मगर छोटी-मोटी दिखने वाली परेशानियां किसी बड़ी बीमारी का इशारा हो सकती है खासकर त्वचा संबंधी समस्याएं। पैरों पर पडऩे वाले काले निशान भी ऐसी ही एक बीमारी का संकेत देते हैं, जिसे इग्नोर करना उचित नहीं है। पैरों पर पडऩे वाले यह निशान क्रोनिक वेनस इन्सफीसियंसी या सीवीआइ का संकेत हो सकते हैं। आपके पैरों में भी ऐसे निशान है तो सतर्क हो जाएं और तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।
क्रोनिक वेनस इन्सफीसियंसी के लक्षण-ज्यादा देर खड़े रहने में परेशानी-पैरों में असहनीय दर्द-पैरों में सूजन-मांसपेशियों में खिंचाव-थकान महसूस होना-त्वचा के अन्य हिस्सों में काले निशान पडऩा-पैरों के निचले हिस्से में काले निशान पडऩा
क्या है क्रोनिक वेनस इन्सफीसियंसी
शरीर के अन्य अंगों की तरह पैरों को भी आक्सीजन की जरूरत पड़ती है, जो हार्ट की आर्टरीज में प्रवाहित शुद्ध रक्त के जरिए पहुंचाई जाती है। पैरों को ऑक्सीजन देने के बाद यह आक्सीजन अशुद्ध खून वेन्स के जरिए वापस पैरों से ऊपर फेफड़े की तरफ शुद्धीकरण के लिए जाती है। किसी कारण से अगर इनकी कार्यप्रणाली धीमी हो जाती है तो पैरों का ड्रेनेज सिस्टम खराब हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि ऑक्सीजन रहित अशुद्ध खून ऊपर चढकर फेफड़े की ओर जाने की बजाए पैरों के निचले हिस्से में जमा होना शुरू हो जाता है, जिससे आपको यह बीमारी हो जाती है।
स्त्रियों को हो सकती है समस्या
वैसे तो यह बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन 30 वर्ष से अधिक उम्र वाली औंरतों में क्रोनिक वेनस इन्सफीसियंसी की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। ज्यादातर स्त्रियों में गर्भावस्था के दौरान या डिलिवरी के बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। इसे दूर करने के लिए वह मालिश और घरेलू उपचार तो कर लेती हैं लेकिन ये इलाज इस बीमारी को खत्म नहीं करता। इससे सिर्फ पैरों को आराम मिलता है। दिनोंदिन बिगड़ते लाइफस्टाइल के चलते महिलाओं में सीविसी की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। लगातार खड़े होकर लकाम करना, घंटों डेस्क पर बैठकर काम करना और शारीरिक गतिविधियां का कम होने के कारण भी महिलाएं इसकी चपेट में जल्दी आ जाती हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
1. अपने पैरों और कमर के चारों ओर कसे हुए कपड़े न पहनें। इसके अलावा ऊंची एड़ी के जूते व सैंडल का प्रयोग कतई न करें। इससे अशुद्ध खून की वापसी में रुकावट पैदा होती है।
2. वेनस इन्सफीसियंसी से ग्रस्त महिलाओं को स्किपिंग, एरोबिक्स या उछल-कूद वाली एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। इस तरह के व्यायाम, उनकी वेन्स को फायदा पहुंचाने के बजाए नुकसान पहुंचाते हैं।
3. बगैर झटका दिए पैर उठाने व मोडने वाले व्यायाम नसों के लिए फायदेमंद हैं। इसके अलावा नियमित मॉर्निंग वॉक करें। यह सबसे आसान और फायदेमंद एक्सरसाइज है। इससे पैरों से ऊपर की ओर वापस जाने वाले रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है, जो व्यक्ति को इस समस्या से बचाता है।
4. रात को सोते समय पैरों के नीचे तकिया लगा लें। इससे पैर छाती से दस या बारह इंच ऊपर रहें और पैरों में ऑक्सीजन रहित खून के जमा होने की प्रक्रिया धीमी हो जाएगी।
5. ऑफिस या घर में ज्यादा समय तक पैर लटकाकर बैठना भी आपके लिए खतरनाक है। ऐसे में या तो आप पैरों के नीचे कोई स्टूल रख लें या लगभग हर 2 घंटे में ब्रेक लें और सीट से उठकर टहलें।
6. भोजन में तेल और घी का कम इस्तेमाल करें और मसालेदार भोजन भी न करें। इस बीमारी से ग्रस्त महिलाओं को कम कैलोरी वाला रेशेदार खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा अपने वजन को कंट्रोल में रखें।
