राकेश शर्मा, सोवियत संघ के हीरो भारतीय वायु सेना के पायलट थे जिन्होंने 3 अप्रैल 1984 को लॉन्च हुए सोयुज टी-11 को इंटेरकॉस्मोस प्रोग्राम के तहत उड़ाया था। अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले शर्मा पहले भारतीय थे।
13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में राकेश शर्मा का जन्म हुआ था। सेंट जॉर्जेस ग्रामर स्कूल, हैदराबाद से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी और निज़ाम कॉलेज से वे ग्रेजुएट हुए थे। 35 वे राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी में राकेश शर्मा 1970 में भारतीय वायुसेना में टेस्ट पायलट के रूप में दाखिल हुए थे। 1971 से उन्होंने को एयरक्राफ्ट में उड़ान भरी थी। उनकी कौशल को देखते हुए 1984 में उन्हें भारतीय वायु सेना के स्कवार्डन लीडर और पायलट के पद पर नियुक्त किया गया था।
12 सितम्बर 1982 को सोवियत इंटरकॉसमॉस स्पेस प्रोग्राम और इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन) की तरफ से वे अंतरिक्ष जाने वाले समूह के सदस्य बने।
विंग कमांडर के पद पर रहते हुए वे सेवा से अवकाश हुए थे। 1987 में वे हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में ज्वाइन हुए और 1992 तक HAL नाशिक डिवीज़न में चीफ टेस्ट पायलट के पद पर रहते हुए सेवा की। बाद में HAL के चीफ टेस्ट पायलट पर रहते हुए ही उनका ट्रान्सफर बैंगलोर में किया गया। वे लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस से भी जुड़े हुए थे।
1984 में अंतरिक्ष में जाने वाले वे पहले भारतीय इंसान बने, अंतरिक्ष जाने के लिए उन्होंने सोवियत रॉकेट सोयुज टी-11 से उड़ान भरी थी, जिसे 2 अप्रैल 1984 को बैकोनूर कॉस्मोड्रो मे, कजाख से छोड़ा गया था। वे अंतरिक्ष में 7 दीन 21 घंटे और 40 मिनट तक रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई वैज्ञानिक और तांत्रिक प्रयोग किये जिनमे 43 एक्सपेरिमेंटल सेशन भी शामिल है। उनका ज्यादातर कार्य बायो-मेडिसिन और रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में ही रहा है। उनके क्रू ने जॉइंट टेलीविज़न पर पहले मास्को ऑफिसियल और फिर भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कांफ्रेंस भी की थी। जब इंदिरा गांधी ने पूछा था की अंतरिक्ष से हमारा भारत कैसा दिखाई देता है तो राकेश शर्मा ने जवाब दिया था, सारे जहाँ से अच्छा। उस समय किसी इंसान को अंतरिक्ष में भेजने वाला भारत 14 वा देश बना था।
अंतरिक्ष से लौटने के बाद उन्होंने उन्हें हीरो ऑफ़ सोवियत संघ के पद से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार ने भी उन्हें अपने सर्वोच्च अवार्ड (शांति के समय में) अशोक चक्र से सम्मानित किया था, अशोक चक्र सोवियत संघ के दो और सदस्य मलयशेव और स्ट्रेकलोव को भी दिया गया था, जो राकेश शर्मा के साथ ही अंतरिक्ष में गए थे।
1982 में वे जब रशिया रह रहे थे तब उन्होंने और उनकी पत्नी मधु ने रशिया भाषा भी सीखी थी। उनका बेटा कपिल फ़िल्म डायरेक्टर है ओट बेटी कृतिका मीडिया आर्टिस्ट है।एजेन्सी।