एक गुमनाम ही नहीं उपेक्षित गायिका ..सुलक्षणा पंडित ! वे संगीतकार जतिन और ललित पंडित की बहन हैं और लव स्टोरी फिल्म से ख्याति प्राप्त अभिनेत्री/गायिका विजयता पंडित की बड़ी बहन हैं ! फिल्मों में गायिका बनने आयी सुलक्षणा को उनके सुंदरता के कारण रोल मिलने लगे तो उनका ध्यान गायिकी में कम और अभिनय में ज्यादा हो गया। एक्ट्रेस और सिंगर सुलक्षणा पंडित का जन्म 12 जुलाई, 1948 को बम्बई अब मुंबई में हुआ था। सुलक्षणा ने अपने गायन का सफर फिल्म ‘तकदीर’ से शुरू किया था, जिसमें उन्होंने फेमस सिंगर लता मंगेशकर के साथ ‘सात संदर पार से..’ गाना गाया था।

सिंगर से एक्ट्रेस तक

सुलक्षणा ने बहुत छोटी आयु से ही किशोर कुमार के साथ स्टेज पर गाना शुरू कर दिया था। जब उन्होनें किशोर कुमार की फिल्म दूर का राही’ में एक गीत गाया-‘बेकरार दिल, तू गाये जा, तभी सुलक्षणा जी की आवाज ने सुनने वालों का मन मोह लिया था। यह नई आवाज ऐसी थी जो आशा-लता को चैलेंज कर सकती थी। कई लोग कहते है कि सुलक्षणा की आवाज में जो उतार-चढ़ाव और माधुर्य है वह किशोर कुमार की ट्रेनिंग का असर है। किशोर और सुलक्षणा में कई वर्ष गहरी आत्मीयता रही है। सुलक्षणा ‘किशोर कुमार शो’ का अभिन्न अंग थी और किशोर कुमार शो बम्बई का यह हाल था कि उनके टिकट ब्लैक में भी नही मिलते थे। इसलिए माना जा सकता है कि सुलक्षणा ने आरम्भिक ट्रेनिंग किशोर से ली।

पर किशोर कुमार ने सुलक्षणा को अपनी प्राइवेट सम्पति, बना कर रखा उनके साथ रह कर सुलक्षणा का अपना व्यक्तित्व दबा रह गया। वह किशोर कुमार की स्टेज गायिका’ बन कर रह गई सुलक्षणा इस स्थिति से ऊब चुकी थी। वह अवसर की ताक में थी जब किशोर कुमार को ‘गुड बाई’ कह सके। ऐसे में सुलक्षणा को ‘संकल्प’ में हीरोइन बनने का ऑफर मिला तो उन्होनें बिना एक पल भी सोच-विचार किए ऑफर स्वीकार कर ली, फिल्म के चंद शॉट होते ही सुलक्षणा की अभिनय-कला निर्माताओं के सामने आ गई। सुलक्षणा को एक के बाद एक फिल्में मिलने लगी।

जब सुलक्षणा हीरोइन बन गई तो उन्होनें कहा “अब मैं अपने सारे गाने स्वयं ही गाऊंगी” शायद यही सुलक्षणा की गलती रही। शुरू में सुलक्षणा ने यही चाहा कि वे अपनी फिल्मों में स्वयं पार्श्व गायन करें परन्तु उनकी इच्छा हर फिल्म में पूरी न हो सकी ! 1971 की फिल्म ‘दूर का राही’ में उनका गाया गीत ‘बेकरार दिल तू गाये जा’ आज भी वही ताजगी लिए हुए है … 1975 में फिल्म ‘संकल्प’ के लिए गाये ‘तू ही सागर है तू ही किनारा …‘ गीत के लिए उन्हें मियां तानसेन अवार्ड मिला और 1976 में फिल्म ‘संकोच’ के गीत ‘बाँधी रे काहे प्रीत…’ के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका के अवार्ड के लिए नामित किया गया था ! सुलक्षणा ने अन्य कुछ फिल्मों – ‘चलते-चलते’, ‘उलझन’, ‘अपनापन’, ‘एक बाप छह बेटे’, ‘गृह प्रवेश’, ”थोड़ी सी बेवफाई’, ‘स्पर्श’, ‘आहिस्ता-आहिस्ता’, ‘साजन की सहेली’ में भी सुन्दर गाने गाये ! फिल्मफेयर पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि मरहूम अभिनेता संजीव कुमार से वे बहुत प्रेम करती थीं और जब उन्होंने शादी करने को कहा तो संजीव कुमार ने यह कह कर इनकार कर दिया कि वे अपने पहले प्यार [हेमा मालिनी] को भुला नहीं पाए हैं ! वे आज तक अविवाहित हैं ! फिल्मों में काम न मिलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गयी थी, घर का सामान तक बिक गया, ऐसी हालत में अभिनेता जितेन्द्र के परिवार ने उनकी बहुत मदद की ![ प्रीति झा ]