संजोग वॉल्टर। एजेन्सी। वैजयन्ती माला बाली हिन्दी सिनेमा के सुनहरे दौर की अभिनेत्री वैजयंती माला का आज (13 अगस्त 1936) जन्मदिन है । क्लासिकल डांस में निपुण और दो दशकों से ज्यादा समय तक हिंदी फिल्मों पर राज करने वाली इस अदाकारा को ‘ट्विंकल टोज’ के नाम से भी जाना जाता है। मल्टी टैलेंटेड वैजयंती माला का जन्म 13 अगस्त 1936 को मद्रास (चेन्नई) में तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम एम.डी. रमन और मां का नाम वसुंधरा देवी था। उनकी मां 1940 के दशक की तमिल एक्ट्रेस थीं। वैजयंती माला ने 13 साल की उम्र में ही एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था। उन्होंने 1949 में आई तमिल फिल्म ‘वड़कई’ से एक्टिंग की शुरुआत की। हिंदी सिनेमा में उन्होंने 1951 में आई फिल्म ‘बहार’ से कदम रखा था। वैजयंती माला की कामयाब फिल्मों में ‘नई दिल्ली’, ‘नया दौर’ और ‘आशा’ शामिल हैं। 1964 में आई फिल्म ‘संगम’ में निभाया राधा का उनका बोल्ड किरदार और उन पर फिल्माया गाना’ मैं क्या करूं राम मुझे बुढ्ढा मिल गया’ काफी प्रसिद्ध हुआ। इसके बाद फिल्म ‘ज्वेल थीफ’ में उन पर फिल्माया गया गाना ‘होठों पे ऐसी बात’ अब भी लोगों की जुबां पर है।
वैजयंती माला ने 1957 में आई फिल्म ‘देवदास’ में चंद्रमुखी की भूमिका निभाई थी, जिसके लिए उन्हें उसी साल फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्हें 1959 में फिल्म ‘मधुमती’, 1962 में ‘गंगा जमुना’ और 1965 में ‘संगम’ के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया। सालों तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली मंझी हुई वैजयंती के अलावा वैजयंती माला बेहतरीन डांसर भी हैं। वह भरतनाट्यम की डांसर, कर्नाटक शैली की सिंगर और डांस टीचर भी रही हैं।
हर फिल्मी कलाकार की तरह अफवाहों का सिलसिला उनके जीवन का भी हिस्सा रहा है। अपने फिल्म करियर के दौरान वह दिलीप कुमारऔर राज कपूर के करीब आईं। राज कपूर की पत्नी ने जब उनके रिश्ते पर प्रश्न उठाया तो वह इसी शर्त पर मानीं कि वैजयंती, राज कपूर के साथ काम नहीं करेंगी। ‘संगम’ के बाद वैजयंती माला और राज कपूर की लोकप्रिय जोड़ी टूट गई।
दक्षिण भारत से आकर राष्ट्रीय अभिनेत्री का दर्जा पाने वह पहली अभिनेत्री हैं।
अपने सुनहरे दौर में वैजयन्ती माला तमिल फ़िल्मों में लौट आईं जहाँ उसे वंजीकोट्टई वालिबन, इरुम्बु थिरई, बग़दाद थिरु डॉन और निलावु में अपार सफलता मिली। 1961 में दिलीप कुमार की गंगा-जमुना फ़िल्म में वैजयन्ती माला को देहाती लड़की धन्नो के रूप में देखा गया जो भोजपुरी में बात करती थी। आलोचकों ने उसके पात्र की प्रशंसा की और कुछ ने तो इसे उसका सर्वश्रेष्ठ अभिनय घोषित किया। गंगा-जमुना के कारण उन्हें फ़िल्मफ़ेयर का दूसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ। 1962 से वैजयन्ती माला की अधिकांश फ़िल्में या तो औसत दर्जे की सफलता प्राप्त करने लगी या फिर नाकाम होने लगी।
हर फिल्मी कलाकार की तरह अफवाहों का सिलसिला उनके जीवन का भी हिस्सा रहा है। अपने फिल्म करियर के दौरान वह दिलीप कुमार और राज कपूर के करीब आईं। राज कपूर की पत्नी ने जब उनके रिश्ते पर प्रश्न उठाया तो वह इसी शर्त पर मानीं कि वैजयंती,राज कपूर के साथ काम नहीं करेंगी।
‘संगम’ के बाद वैजयंती माला और राज कपूर की लोकप्रिय जोड़ी टूट गई। उन्हें भी अपने जीवन में नाकामयाबी की भी मार झेली,लेकिन फिर उन्होंने देव आनंद के साथ 1967 में आई सफल फिल्म ‘ज्वेल थीफ ‘ से नई शुरुआत की। इस दौरान उनके जीवन में आए डॉ. चमनलाल बाली। एक बार वैजयंती माला को निमोनिया हो गया था, जिसका इलाज डॉ. बाली कर रहे थे। डॉ. बाली भी उनके प्रशंसकों में से एक थे। वैजयंती माला का इलाज करते-करते दोनों में प्यार हो गया और 10 मार्च, 1968 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए। उनका एक बेटा है। डॉ. बाली राज कपूर के फैमली डॉक्टर थे जो की शादी शुदा थे। वैजयंती माला से उनकी शादी तब ही हो सकती जब अपनी पत्नी को तलाक देते। डॉ. बाली की पत्नी ने उस दौर एक हिसाब से एक बड़ी धनराशि हर्जाने में मांग ली। वैजयंती माला ने इस राशि का भुगतान किया। तब हुए उनके ।
अपने करिअर के अंत में वैजन्ती माला ने सूरज, ज्वेल थीफ, प्रिन्स संघर्ष में काम किया। इन में से अधिकांश फिल्में वैजयन्ती माला के फिल्म उद्योग को छोड़ने के बाद रिलीज़ हुई थी ।
तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गाँधी ने 1984 में दक्षिण मद्रास से लोकसभा के कांग्रेस आई से टिकट दिया। 1984 के बाद 1989 में भी उन्होंने यहाँ से जीत हासिल की थी। 1993 में उन्हें राज्य सभा भेजा गया। बाद में उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गयी थी।