जयन्ती पर विशेष। तेजी बच्चन का जन्म 12 अगस्त 1914 में फैसलाबाद में सिख परिवार में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। पंजाबी परिवार में जन्मी तेजी बच्चन का मूल नाम तेजी सूरी था। उन्हें अभिनय और गायिकी का भी शौक़ था। कॉलेजों के दिनों में उन्होंने कई नाटकों में अभिनय तथा गायन आदि किया था। अमिताभ बच्चन में अभिनय के गुण अपनी माता तेजी बच्चन से ही आये थे।
अपने समय में कवि हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन की जोड़ी भारत की चर्चित और लोकप्रिय जोड़ी मानी जाती थी। 2004 से तेजी बच्चन का अधिकतर समय बीमारी की वजह से अस्पताल में व्यतीत हुआ, और दिसम्बर, 2007 में उनका निधन हो गया। वे हरिवंश राय बच्चन की जि़ंदगी में दूसरी पत्नी बन कर आई थीं। पहली पत्नी ‘श्यामा के निधन के बाद हरिवंश राय बच्चन ने तेजी से प्रेम विवाह किया था। यह शादी 1941 में हुई थी। तब से 2003 में हरिवंश राय के निधन तक तेजी ने हर क़दम पर पति का साथ निभाया। 2003 में 96 वर्ष की उम्र में डा. हरिवंश राय बच्चन के निधन के बाद से ही तेजी का स्वास्थ्य गिरता गया।
तेजी सूरी से हरिवंश राय बच्चन की मुलाकात बरेली में एक मित्र ‘ज्ञानप्रकाश जौहरी के घर हुई थी, जिनकी पत्नी लाहौर के ‘फतेहचंद कॉलेज में प्राचार्य थीं और तेजी उसी कॉलेज में मनोविज्ञान पढ़ाती थीं। तेजी बच्चन की कविताओं की प्रशंसक थीं, इसलिए दोनों के बीच प्रेम और विवाह होने में देर नहीं लगी। 24 जनवरी, 1942 को इलाहाबाद के जि़ला मजिस्ट्रेट की अदालत में उन्होंने अपना विवाह रजिस्टर कराया। उस समय के रूढि़वादी समाज में यह एक विवादास्पद विवाह था।
तेजी के पिता खजानसिंह लंदन से बैरिस्टरी करके आए थे और उन्होंने लायलपुर में प्रैक्टिस की थी। सरदार खजानसिंह बाद में पटियाला के रेवेन्यू मिनिस्टर बने और अंतत: लाहौर जा बसे। तेजी एक मातृविहीन बालिका थीं। शुरू में कवि बच्चन से तेजी का विवाह खजानसिंह को पसंद नहीं आया था, लेकिन बाद में संबंध सामान्य हो गए। हरिवंश राय बच्चन तेजी बच्चन का बहुत ख़्याल रखते थे और बेहद सम्मान भी करते थे। तेजी हरिवंश राय बच्चन को ‘बच्चन संबोधन से ही बुलाती थीं।
हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन अपने युवा दिनों में साहित्य सम्मेलनों में बहुत मशहूर हुआ करते थे। दोनों की आवाज़ और कवि बच्चन की दिल को छू लेने वाली कविताएँ लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती थीं। तेजी बच्चन दमे की मरीज़ थीं और मुम्बई का नमी वाला वातावरण उन्हें कभी रास नहीं आया। इसलिए वे मुम्बई की बजाय दिल्ली में रहना पंसद करती थी। अमिताभ के फि़ल्म उद्योग में पैर जमाने के शुरुआती दौर में वे हरिवंश राय बच्चन के साथ दिल्ली में ही रहती थीं, बाकी परिवार मुम्बई में रहता था। तेजी बच्चन भी बच्चन जी की ही तरह भगवान श्रीराम और हनुमान की परम भक्त थीं। तेजी एक अभिनेत्री भी थीं। वे कॉलेज के दिनों में नाटकों में भाग लेती थीं। तेजी अच्छी गायिका भी थीं और उन्होंने कई बार मंच पर अपनी कला का जौहर भी दिखाया था। यही नहीं विवाह के बाद भी वे इलाहाबाद और दिल्ली में कई बार मंचों पर अभिनय के लिए उतरी थीं। हरिवंश राय बच्चन ने ‘शेक्सपीयर के कई नाटकों का अनुवाद किया था और तेजी ने कई नाटकों में अभिनय भी किया। अमिताभ में अभिनय के संस्कार अपनी माँ से ही आए।
तेजी बच्चन इलाहाबाद में एक सामाजिक कार्यकर्ता और रंगकर्मी के रुप में जानी जाती थीं। वह आनंद भवन भी आया-जाया करती थीं और वहीं उनकी मुलाकात पंडित जवाहर लाल नेहरू से हुई थी। श्रीमती बच्चन ने ही हरिवंश राय बच्चन का परिचय नेहरु जी से कराया था। अपने समय में कवि हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन की जोड़ी भारत की चर्चित और लोकप्रिय जोड़ी मानी जाती थी। हरिवंशराय बच्चन और तेजी बच्चन जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बेहद कऱीब माने जाते थे। सोनिया गाँधी जब राजीव गाँधी से शादी करके पहली बार भारत आईं तो स्वर्गीय इन्दिरा गाँधी ने उन्हें साड़ी पहनने से लेकर भारतीय संस्कारों, भारतीय परंपराओं और तीज त्यौहारों का महत्व जानने व समझने के लिए तेजी बच्चन के पास ही भेजा था।
अमिताभ बच्चन 26 जुलाई, 1982 को ‘कुली फि़ल्म की शूटिंग के दौरान बुरी तरह जख्मी हो गए थे। दुनिया भर में उनके स्वस्थ होने की दुआएँ की गई थीं। यहाँ तक कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी विदेश दौरे को रद्द कर अमिताभ को देखने अस्पताल पहुँची थीं।
अमिताभ की माँ तेजी बच्चन के कहने पर महानायक की इस फि़ल्म की स्क्रिप्ट में क्लाइमेक्स ही चेंज कर दिया गया था। ‘कुली की मूल स्क्रिप्ट में अंत में अमिताभ बच्चन अभिनीत किरदार को मर जाना था, लेकिन तेजी बच्चन के अनुरोध पर यह सीन बदल दिया गया। इससे पहले अमिताभ कई फि़ल्मों के अंत में मरते हुए दिखाए गए थे, लेकिन ‘कुली में तेजी बच्चन उन्हें मरते हुए नहीं देखना चाहती थीं, क्योंकि इसी फि़ल्म की शूटिंग के दौरान उनके बेटे को नया जीवन मिला था। उन्होंने कुली के निर्देशक मनमोहन देसाई से आग्रह किया कि फि़ल्म के अंत में अमिताभ को मरते हुए न दिखाया जाए।
2004 से तेजी बच्चन ने ज़्यादा समय बीमारी की वजह से अस्पतालों में ही गुज़ारा। खऱाब स्वास्थ्य की वजह से वे अप्रैल में अपने पौत्र अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या की शादी में भी शामिल नहीं हो सकीं थीं। शादी के तुरंत बाद नवविवाहित जोड़े ने अस्पताल जाकर अपनी दादी से आशीर्वाद लिया था। 21 दिसम्बर, 2007 को लंबी बीमारी के बाद मुंबई में तेजी बच्चन का देहांत हो गया। वे 93 वर्ष की थीं। एजेंसी