जयंती पर विशेष स्वप्निल संसार । जयललिता की जीवनी अम्मा जर्नी फ्रॉम मूवी स्टार टु पॉलिटिकल क्वीन के मुताबिक, जयललिता जब सदन से निकल रही थी΄ तभी एक डीएमके विधायक ने उनकी साड़ी इस तरह से खीची कि उनका पल्लू गिर गया। वह जमीन पर गिर गईं। जयललिता ने तभी प्रतिज्ञा ली कि वह विधानसभा मे΄ तभी लौटेगी, जब डीएमके सरकार गिरा देगी। दो साल बाद वो सीएम बन चुकी थी΄। वे करीब 95 फीसदी सीटे΄ जीतकर सबसे कम उम्र की सीएम बनी थी΄।
जयललिता जयराम ऑल इडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडग़म (अन्ना द्रमुक) की महासचिव तथा तमिलनाडु राज्य की मुख्यमत्री थी। वे उन कुछ ख़ास भूतपूर्व प्रतिष्ठित सुपरस्टार्स मे΄ से है΄ जिन्हो΄ने न सिर्फ सिनेमा के क्षेत्र मे΄ प्रतिष्ठा अर्जित किया बल्कि तमिलनाडु की राजनीति मे΄ भी महत्वपूर्ण रहे है΄। राजनीति मे΄ प्रवेश से पहले वे लोकप्रिय अभिनेत्री थी΄ और उन्होने तमिल, तेलुगू, कन्नड़ फिल्मो΄ के साथ-साथ एक हिदी और अग्रेजी फिल्म मे΄ भी काम किया है।
1989 मे΄ तमिल नाडु विधानसभा मे΄ विपक्ष की नेता बनने वाली वे प्रथम महिला थी। 1991 मे΄ वे पहली बार राज्य की मुख्यमत्री बनी΄। 2011 मे΄ जनता ने तीसरी बार जयललिता को तमिलनाडु का मुख्यमत्री चुना। उन्होने राज्य मे΄ कई कल्याणकारी परियोजनाए शुरू की। अपने शुरूआती कार्यकाल मे΄ जयललिता ने जल सग्रहण परियोजना और औद्योगिक क्षेत्र के विकास की योजनाओ΄ जैसे विकास के कार्य किए।
अपने फि़ल्मी कैरियर मे΄ उन्होने 1965 से 1972 के दौर मे΄ ज्यादातर फिल्मे΄ एम.जी. रामचद्रन के साथ की और 1982 मे΄ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भी एमजी रामचद्रन के साथ की। 1984 मे΄ उन्हे΄ तमिलनाडु से राज्यसभा का सदस्य बनाया गया। 1987 मे΄ रामचद्रन के निधन के बाद जयललिता ने खुद को एम.जी. रामच΄द्रन का उराधिकारी घोषित कर दिया। अपने राजनैतिक जीवन मे΄ जयललिता भ्रष्टाचार के मामलो मे विवादो मे भी रही΄। भ्रष्टाचार के मामलो मे उन्हे΄ कोर्ट से सजा भी हो चुकी है।
कोमलवल्ली, जिन्हे΄जयललिता के नाम से भी जानते है, का जन्म 24 फरवरी 1948 को मैसूर मे वेदावल्ली और जयराम के घर हुआ था। उनके परिवार का सम्बन्ध मैसूर के राजसी खानदान से रहा है। उनके दादाजी मैसूर दरबार मे΄ शाही चिकित्सक थे और उन्हो΄ने अपने परिवारजनो के नाम के शुरू मे΄ ‘जय लगाना प्रचलित किया ताकि लोगो΄ को यह ज्ञात हो कि उनका सामाजिक सम्बन्ध मैसूर के राजा जयचमारराजे΄द्र वोडेयार से है। जयललिता जब मात्र दो वर्ष की थी΄ तब उनके पिता का देहांत हो गया। इसके बाद वे अपनी माता और नाना-नानी के साथ रहने बगलुरु आ गयी΄। बगलुरु मे΄ जयललिता ने कुछ साल तक बिशप कॉटन गर्ल्स स्कूल मे΄ पढाई की और फिर उनकी माता जी फिल्मो मे΄ नसीब आजमाने चेन्नई चली गयी΄। चेन्नई आने के बाद उन्हो΄ने चर्च पार्क प्रेजे΄टेशन कान्वे΄ट और स्टेला मारिस कोलेज के शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही जयललिता तेजस्वी विद्यार्थी थी और वे कानून की पढाई करना चाहती थी लेकिन नसीब मे΄ कुछ और ही लिखा था। परिवार की आर्थिक परेशानियो΄ के कारण उनकी माताजी ने उन्हे΄ फिल्मो मे΄ काम करने का सुझाव दिया। महज 15 साल की आयु मे΄ जयललिता ने अपने आप को प्रमुख अभिनेत्री के रूप मे΄ स्थापित कर लिया।
जयललिता ने अपने अभिनय की शुरुआत शकर वी गिरी की अग्रेजी फिल्म “अपिस्टल” से की थी पर इस फिल्म से उन्हे΄ कोई पहचान नही΄ मिली। 1964 मे΄ जयललिता की पहली कन्नड़ फिल्म ‘चिन्नाडा गोम्बे प्रदर्शित हुई। इस फिल्म की काफी सराहना की और जनता ने भी इसे बेहद पसंद किया। 1965 में उन्हो΄ने तमिल फिल्म ‘वे΄निरा अडाई मे΄ काम किया और उसके तुर΄त बाद उन्हो΄ने तेलुगु सिनेमा मे΄ भी प्रवेश किया। अगले कुछ सालो΄ मे΄ तमिल फिल्मो मे΄ अपने प्रभावशाली अभिनय के कारण वे प्रतिष्ठित कलाकार बन गयी΄।
सिनेमा के परदे पर एम.जी. रामच΄द्रन के साथ उनकी जोड़ी काफी सफल रही और दर्शको ने भी इस जोड़ी को बेहद पस΄द किया। उनके फि़ल्मी सफऱ के आखिरी वर्षो मे΄ उन्हो΄ने जयशकर, रविचद्रन और शिवाजी गणेशन जैसे नामी अभिनेताओ के साथ भी काम किया। 1968 मे΄ उन्हो΄ने हिंदी फिल्म ‘इज्ज़त मे΄ काम किया जिसमे΄ धर्मेन्द्र मुख्य अभिनेता थे। 1980 के दशक मे΄ उनका फि़ल्मी करिअर थोड़ा धीमा हो गया। उनकी आखिरी फिल्म थी ‘नाधियाई ठेडी वन्धा कदल जिसके बाद उन्हो΄ने राजनीति से जुडऩे का फैसला किया। ऑल इ΄डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (ए. आई. ए. डी. एम. के.) के स΄स्थापक एम्. जी. रामच΄द्रन ने उन्हे΄ प्रचार सचिव नियुक्त किया और 1984 मे΄ उन्हे΄ राज्यसभा के लिए नामा΄कित किया गया। कुछ ही समय मे΄ वे ए.आई.ए.डी.एम.के. की सक्रिय सदस्य बन गयी΄। उन्हे΄ एम.जी.आर. का राजनैतिक साथी माना जाने लगा और प्रसार माध्यमो मे΄ भी उन्हे΄ ए.आई.ए.डी.एम.के. के उत्तराधिकारी के रूप मे΄ दिखाया गया। जब एम.जी. रामच΄द्रन मुख्यमंत्री बने तो जयललिता को पार्टी के महासचिव पद की जिम्मेदारी सौ΄पी गयी। उनकी मृत्यु के बाद कुछ सदस्यो΄ ने जानकी रामच΄द्रन को ए.आई.ए.डी.एम.के. का उत्तराधिकारी बनाना चाहा और इस कारण से ए.आई.ए.डी.एम.के. दो हिस्सो΄ मे΄ बट गया। एक गुट जयललिता को समर्थन दे रहा था और दूसरा गुट जानकी रामच΄द्रन को। 1988 मे΄ पार्टी को धारा 356 के तहत निष्काषित कर दिया गया। 1989 मे΄ ए.आई.ए.डी.एम.के. फिर से सगठित हो गया और जयललिता को पार्टी का प्रमुख बनाया गया। उसके पश्चात भ्रष्टाचार के कई आरोपो΄ और विवादो΄ के बावजूद जयललिता ने 1991, 2002 और 2011 मे΄ विधानसभा चुनाव जीते।
राजनैतिक जीवन के दौरान जयललिता पर सरकारी पू΄जी के गबन, गैर कानूनी ढग से भूमि अधिग्रहण और आय से अधिक सम्पति अर्जित करने के आरोप लगे है΄। उन्हे΄ ‘आय से अधिक सम्पति के एक मामले मे΄ 27 सितम्बर 2014 को सजा भी हुई और मुख्यमंत्री पद छोडऩा पड़ा पर कर्णाटक उच्च न्यायालय ने 11 मई 2015 को बरी कर दिया जिसके बाद वे पुन: तमिलनाडु की मुख्यमत्री बन गयी΄।
फिल्म ‘पकादा पनमा के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ तामिल अभिनेत्री का पुरस्कार फिल्म ‘श्री कृष्णा सत्या के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ तेलुगु अभिनेत्री का पुरस्कार फिल्म ‘सुर्यकथी के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ तामिल अभिनेत्री का पुरस्कार तमिल नाडू सरकार की ओर से कलैममानी पुरस्कार मद्रास विश्व विद्यालय की तरफ से साहित्य मे΄ मानद डाक्ट्रेट की उपाधि डॉ एमजीआर मेडिकल विश्व विद्यालय, तमिल नाडू ने विज्ञान मे΄ मानद डाक्ट्रेट की उपाधि प्रदान की तमिल नाडू कृषि विश्व विद्यालय ने विज्ञान मे΄ मानद डाक्ट्रेट की उपाधि प्रदान की भार्थिदासन विश्व विद्यालय ने साहित्य मे΄ डॉक्टर की उपाधि दी डॉ अम्बेडकर कानून विश्व विद्यालय ने कानून मे΄ मानद डाक्ट्रेट की उपाधि दी।
एमजी रामच΄द्रन का 1987 मे΄ निधन हुआ तो उनके परिवार वालो΄ ने जयललिता को घर मे΄ नही΄ घुसने दिया। उनकी जीवनी लिखने वाली वासती के मुताबिक, “जयललिता एमजीआर के घर पहु΄ची΄। दरवाजा पीटने लगी΄। काफी देर बाद गेट खुला तो किसी ने नही΄ बताया कि शव कहा΄ रखा है। वह एक कमरे से दूसरे कमरे तक दौड़ी΄। पर हर दरवाजा बंद कर दिया गया।
लेकिन जैसे-तैसे जयललिता एमजीआर के शव पहु΄ती तो उनकी पत्नी जानकी की महिला समर्थक उनके पैरो΄ को कुचलती रही΄, ताकि वह वहा΄ से चली जाए΄। लेकिन जयललिता वही΄ से कही΄ नही΄ गई। जयललिता शव के पास खड़ी रही΄ लेकिन आँखों ΄ से एक आंसू भी नही΄ निकले।
जब एमजीआर का पार्थिव शरीर शव वाहन पर ले जाया गया तो जयललिता भी उसके पीछे पीछे दौड़ी΄। इसके साथ एक सैनिक ने हाथ बढ़ाकर उन्हे΄ ऊपर आने मे΄ भी मदद की। लेकिन तभी जानकी के भतीजे दीपन ने उन्हे΄ धक्का देकर गिरा दिया। हताश जयललिता घर लौट आईं। जब जयललिता मुख्यमंत्री बनी΄, तो कन्या भ्रूण हत्या के मामलो΄ पर सख्ती दिखाई। इसके बाद तमिलनाडु के लिगानुपात मे΄ सुधार हुआ। इसके साथ स्कूल मे΄ बच्चो΄ के लिए पिता के नाम की अनिवार्यता खत्म की। जयललिता ने कहा की स्कूल मे΄ मा΄ का नाम ही काफी है। जयललिता ने ट्रासजेडर्स को स्कूल-कॉलेज मे΄ एडमिशन की व्यवस्था करायी। गरीबो΄ के मुफ्त इलाज की व्यवस्था भी करायी। 1991 मे΄ इसी योजना के चलते जयललिता को ‘अम्मा नाम मिला। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहते हुए जे जयललिता की अस्पताल में काफी दिनों तक बीमार रहने के बाद 5 दिसम्बर 2016 को मौत हो गई थी । फोटो pinterest से