मुबारक साल गिरह। शरद गोविंदराव पवार वरिष्ठ राजनीतिज्ञ हैं। वह राज्यसभा के सदस्य और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने 1999 में की थी। शरद पवार अलग-अलग समय पर तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। 1991-1993 के दौरान केन्द्र सरकार में रक्षामंत्री और 2004-2014 के मध्य कृषि मंत्री भी रह चुके हैं। वे भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर भी आसीन रहे। शरद पवार भारत की सर्वाधिक प्रभावशाली राजनैतिक हस्तियों में आते हैं। पांच दशक लंबे अपने राजनैतिक जीवन में उन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं हारा। दो मौके ऐसे भी आए, जब वे भारत के प्रधानमंत्री हो सकते थे।
शरद गोविंदराव पवार का जन्म 12 दिसम्बर, 1940 को के पुणे में हुआ था। उनके पिता गोविंदराव पवार बारामती के कृषक सहकारी संघ में कार्यरत थे और उनकी माता शारदाबाई पवार कातेवाड़ी में परिवार के फार्म का देख-रेख करती थीं। शरद पवार ने पुणे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध ब्रिहन महाराष्ट्र कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से शिक्षा प्राप्त की है।
शरद पवार का विवाह प्रतिभा शिंदे से हुआ। पवार दंपत्ति की एक पुत्री है जो बारामती संसदीय क्षेत्र से सांसद है। शरद पवार के भतीजे अजित पवार भी महाराष्ट्र की राजनीति में प्रमुख स्थान रखते हैं और पूर्व में महाराष्ट्र राज्य के उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं। शरद पवार के छोटे भाई प्रताप पवार मराठी दैनिक ‘सकल’ का संचालन करते हैं।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री यशवंतराव चौहान को शरद पवार का राजनैतिक गुरु माना जाता है। 1967 में शरद पवार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बारामती विधान सभा क्षेत्र से चुनकर पहली बार महाराष्ट्र विधान सभा पहुंचे। 1978 में पवार ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और जनता पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनायी और पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। 1980 में सत्ता में वापसी के बाद इंदिरा गाँधी सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को बर्खास्त कर दिया। 1980 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिली और ए. आर. अंतुले के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी। 1983 में पवार भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस (सोशलिस्ट) के अध्यक्ष बने और अपने जीवन में पहली बार बारामती संसदीय क्षेत्र से लोक सभा चुनाव जीता। उन्होंने 1985 में हुए विधान सभा चुनाव में भी जीत अर्जित की और राज्य की राजनीति में ध्यान केन्द्रित करने के लिए लोक सभा सीट से त्यागपत्र दे दिया। विधान सभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस (सोशलिस्ट) को 288 में से 54 सीटें मिली और शरद पवार विपक्ष के नेता चुने गए।
1987 में शरद पवार कांग्रेस पार्टी में वापस आ गए। जून 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकरराव चौहान को केन्द्रीय वित्त मंत्री बना दिया जिसके बाद शरद पवार राज्य के मुख्यमंत्री बनाये गए। 1989 के लोक सभा चुनाव में महाराष्ट्र के कुल 48 सीटों में से कांग्रेस ने 28 सीटों पर विजय हासिल की। फ़रवरी 1990 में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी और कांग्रेस पार्टी ने कुल 288 सीटों में से 141 सीटों पर विजय हासिल की पर बहुमत से चूक गयी। शरद पवार ने 12 निर्दलीय विधायकों से समर्थन लेकर सरकार बनायी और मुख्यमंत्री बने।
1991 लोक सभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या कर दी गयी जिसके बाद अगले प्रधानमंत्री के रूप में नरसिंह राव और एन. डी. तिवारी के साथ-साथ शरद पवार का नाम भी आने लगा। लेकिन कांग्रेस संसदीय दल ने नरसिंह राव को प्रधानमंत्री के रूप में चुना और शरद पवार रक्षा मंत्री बनाये गए। मार्च 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकरराव नाईक के पद छोड़ने के बाद शरद पवार एक बार फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। वे 6 मार्च 1993 में मुख्यमंत्री बने, पर उसके कुछ दिनों बाद ही महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई 12 मार्च को बम धमाकों से दहल गई और सैकड़ों लोग मारे गए।
1995 के विधान सभा चुनाव में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन ने कुल 138 सीटों पर विजय हासिल की जबकि कांग्रेस पार्टी केवल 80 सीटें ही जीत सकी। शरद पवार को इस्तीफा देना पड़ा और मनोहर जोशी प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने। 1996 के लोक सभा चुनाव तक शरद पवार राज्य विधान सभा में बिपक्ष के नेता रहे और लोक सभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने विधान सभा से त्यागपत्र दे दिया। 1998 के मध्यावधि चुनाव में शरद पवार के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने महाराष्ट्र में 48 सीटों में से 37 सीटों पर कब्ज़ा जमाया। शरद पवार 12वीं लोक सभा में विपक्ष के नेता चुने गए।
1999 में जब 12वीं लोकसभा भंग कर दी गयी और चुनाव की घोषणा हुई तब शरद पवार, तारिक अनवर और पी. ए. संगमा ने कांग्रेस के अन्दर ये आवाज़ उठाई कि कांग्रेस पार्टी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार भारत में जन्म लिया हुआ चाहिये, न कि किसी और देश में। जून 1999 में ये तीनों कांग्रेस से अलग हो गए और ‘नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी’ की स्थापना की। जब 1999 के विधान सभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, तब कांग्रेस और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी ने मिलकर सरकार बनायी। 2004 में लोकसभा चुनाव के बाद शरद पवार यू.पी.ए. गठबंधन सरकार में शामिल हुए और उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया। 2012 में उन्होंने 2014 का चुनाव न लड़ने का एलान किया ताकि युवा चेहरों को मौका मिल सके।भारत कोष से।