राकेश अचल-भारतवर्ष को कमलायन बनाने के लिए भाजपा द्वारा चलाया जा रहा ‘ऑपरेशन लोटस ‘ आजकल सभी की दिलचस्पी का विषय है । इस समय देश में दो ही तरह के आपरेशन चल रहे हैं। एक ‘ऑपरेशन लोटस ‘और दूसरा ‘ऑपरेशन ईडी ‘। किसी दूसरे दल के पास कोई ‘आपरेशन’ है ही नहीं, इसीलिए उनकी चर्चा भी नहीं है। भाजपा के ‘आपरेशन लोटस’ का मकसद देश को विपक्ष विहीन लोकतंत्र में बदलने का है । आजादी के बाद ये एक अभिनव प्रयास है । ‘ लोटस’ यानी कमल की खेती कीच में होती है, ये कीच आम कीच से भिन्न है, इसे सत्ता की कीच कहा जाता है, सत्ता की कीच में भ्र्ष्टाचार का जल और मिटटी होती है, वैसे कमल कीचड़ की जगह पानी में भी पैदा होता है ,लेकिन कीचड़ के कमल की बात ही कुछ और है। भाजपा के देवदुर्लभ कार्यकर्ताओं और नेताओं के निशि-याम श्रम का ही नतीजा है कि देश में कमल की खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है। यानि अब भारत कृषि प्रधान देश तो है किन्तु कमल की खेती प्रधान देश है । कमल की खेती ने दूसरे दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी अपनी और आकर्षित किया है । शायद ही कोई ऐसा दल बचा होगा जिसके नेता और कार्यकर्ता कमल की खेती करने के लिए भ्र्ष्टाचार के कीचड़ में उतरने के लिए उतावले न हों,आज देश के आधे से अधिक सूबों में भाजपा अपने बूते या सहयोगियों के बूते कमल की खेती कर रही है। भाजपा का कमल की खेती बनाम ‘ आपरेशन लोटस ‘ लगातार जारी है। झारखंड में करोड़ों की रकम के साथ पकडे गए कांग्रेस के विधायक भी इसी आपरेशन का हिस्सा बताये जाते हैं ।
कमल की खेती में संलग्न लोग ईडी ,सीबीआई जैसी व्याधियों से बची रहते हैं । बहुतों ने तो कमलदल सिर्फ इसी वजह से अपनाया, क्योंकि ईडी और सीबीआई कभी भी उनकी गर्दन नाप सकती थी। आपरेशन लोटस का हिस्सा बनने पर भाजपा की अपनी प्रोत्साहन योजना है, इसके तहत आप राज्य सभा में जा सकते हैं। केंद्रीय मंत्री बन सकते हैं । केंद्र की राजनीति में दिलचस्पी न हो तो मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। मंत्री बनना तो चुटकियों का काम है,आप शिव सैनिक हों या हाथ के पंजे वाले ,इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ऑपरेशन लोटस में सभी के लिए कोई न कोई भूमिका पहले से उपलब्ध है। आने वाले दिनों में राजनीति में काम करने वालों के लिए शायद दो ही विकल्प रह जायेंगे। पहला कि आप कमल की खेती कीजिये या फिर ईडी के मेहमान बनिये। ‘ आपरेशन लोटस’ में आप अप्रत्यक्ष रूप से भी हिस्सा ले सकते हैं । बहन मायावती,भाई नतीश कुमार ,भाई अरविंद केजरीवाल ,या औबेदुल्ला औवेसी की तरह आप बाहर से भी कमल की खेती का समर्थन कर सकते हैं। बाहर से समर्थन देने में आपकी पूछ पर ईडी अपना पैर नहीं रखती । लेकिन फायदा प्रत्यक्ष खेती में ही है। आप सीधे कीचड़ में उतरिये और ईमानदार किसान की तरह कमल की खेती कीजिये, कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता । कमल की खेती में कमल का हर हिस्सा काम आता है, फिर चाहे वो कीचड़ हो,कमलदंडी हो ,कमल गट्टे हों या कमल का पुष्प हो। कमल लक्ष्मी जी की पहली पसंद है, आप देखते होंगे इसी वजह से कमलदल के लोग कंगाल नहीं हैं, कमल के किसानों की दोस्ती भी लक्ष्मी पतियों से होती हैपंडित जी बता रहे थे कि कमल गण्डा है, मौलवी साहब बोले -कमल ताबीज है,डाक्टर साहब बोले -कमल वैक्सीन है, यानि कमल बहुउद्देशीय है,आइये ‘ आपरेशन लोटस ‘ की कामयाबी के लिए दुआएं करें । इस समय देश के जितने भी बड़े लक्ष्मीपति हैं वे सब कमलदल के सगे मित्र हैं, जो लोग कमलदल के साथ पटरी नहीं बैठा पाए,ऐसे कोई 8 हजार लक्ष्मीपति अपनी लक्ष्मी समेट कर विदेशों में बस गए। कमल किसानी की ये आठ साल की सबसे बड़ी उपलब्धि हैपंडित जी बता रहे थे कि कमल गण्डा है, मौलवी साहब बोले -कमल ताबीज है,डाक्टर साहब बोले -कमल वैक्सीन है, यानि कमल बहुउद्देशीय है,आइये ‘ आपरेशन लोटस ‘ की कामयाबी के लिए दुआएं करें । हमें इसकी सराहना करना चाहिए । साक्ष्य कहते हैं जो कमल से नफरत करता है या दूरी बनाकर चलना चाहता है ,या कमल की खेती के आड़े आता है उसे ईडी अपने रडार पर ले लेती है। माँ ,बेटा ,दामाद सबके सब लपेटे में आते हैं। किसी सूबे का मंत्री लपेट में आता है तो किसी सूबे का कोई प्रवक्ता, ईडी को तो शिकार से मतलब। ईडी तो जिन्न है,उसे तो हुक्म चाहिए। इधर हुक्म मिला नहीं कि उधर शिकार पर फंदा कैसा नहीं। ईडी के फंदे से डरने वाले लोग आजकल मौन साधकर बैठे हैं। ऐसे लोगों के कुछ नामों का जिक्र मै पहले ही कर चुका हूँ, जो चतुर ,चालक होते हैं वे ईडी के फंदे से अपने आपको बचा लेते हैं। हमारे कमलनाथ को ही ले लीजिये, ईडी ने उन्हें साफ़ माफ़ कर दिया, उनकी तरफ देखा तक नहीं,बताया जा रहा है कि इस समय महाराष्ट्र और झारखंड में ‘आपरेशन लोटस’ पर गंभीरता से काम चल रहा है। महाराष्ट्र में शिव सेना के प्रवक्ता संजय राउत अंदर जा चुके हैं, झारखण्ड में पुलिस द्वारा पकडे गए कांग्रेस के 3 विधायकों ने भी मान लिया है कि वे ‘आपरेशन लोटस’ के तहत ही रकम लेकर असम जा रहे थे लेकिन पकडे गए, ऑपरेशन लोटस के लिए छत्तीसगढ़ और राजस्थान की मिटटी पानी का भी परीक्षण लम्बे समय से चल रहा है,किन्तु अभी अनुकूल रिपोर्ट न आने से काम रुका हुआ है। कमल की खेती में कामयाबी मृदा परीक्षण की रिपोर्ट आने के बाद ही मिलती है, मध्यप्रदेश में आप देख ही चुके हैं, कर्नाटक इस कामयाबी का गवाह पहले से हैं , पूरा पूर्व आजकल कमल की खेती से लहलहा रहा है,‘आपरेशन लोटस’ से जुड़े लोग दक्षिण में कमल की खेती न हो पाने से निराश हैं, केरल,तमिलनाडु,आंध्र,तेलंगाना जैसे सूबों की जमीन दलदली तो है लेकिन वहां कमल के बजाय काजू की खेती ज्यादा होती है, हालाँकि काजू फैनी के लिए मशहूर गोवा में भाजपा का ‘ऑपरेशन लोटस’ कामयाब हो चुका है। देश में कमल की बढ़ती खेती को देखते हुए मुझे पूरी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हम कमल का निर्यात करने की स्थिति में आ जायेंगे, कम से कम हम अपने पड़ौसी देशों में तो आपरेशन कमल के तहत कुछ न कुछ हासिल कर ही सकते हैं। पंडित जी बता रहे थे कि कमल गण्डा है, मौलवी साहब बोले -कमल ताबीज है,डाक्टर साहब बोले -कमल वैक्सीन है, यानि कमल बहुउद्देशीय है,आइये ‘ आपरेशन लोटस ‘ की कामयाबी के लिए दुआएं करें ।