लखनऊ। वॉल्टर बर्ली ग्रिफिन में लखनऊ विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी का डिजाइन तैयार करने आए थे। वॉल्टर बर्ली ग्रिफिन लैंडस्कैप डिजाइनिंग के लिए मशहूर थे। शिकागो स्थित प्रेइरे स्कूल से प्रभावित वॉल्टर बर्ली ग्रिफिन ने अनोखी वास्तु शैली का विकास किया और उन्होंने पत्नी मैरियोन माहोनी ग्रिफिन के साथ मिलकर काम किया। 28 सालों में ग्रिफिन दंपति ने 350 से अधिक इमारतों, लैंडस्केप और शहरी परियोजनाओं के डिजाइन तैयार किया। उन्होंने अपनी जिंदगी के अंतिम 15 महीने लखनऊ में बिताए थे। वॉल्टर बर्ली ग्रिफिन जिस समय सिडनी डेवलपमेंट ऐसोसिएशन के साथ मिलकर काम कर रहे थे। उसी समय उन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय के पुस्कालय का डिजाइन तैयार करने का सौदा हासिल किया। वॉल्टर बर्ली ग्रिफिन लखनऊ विश्वविद्यालय के पुस्कालय का डिजाइन कर स्वदेश लौटना चाह रहे थे। एक-एक कर 40 से भी अधिक इमारत डिजाइन करने की जिम्मेदारी मिल गई। जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ की इमारत का डिजाइन, महमूदाबाद के राजा के संग्रहालय और पुस्तकालय का डिजाइन, जहांगीराबाद के राजा के लिए जनाना कमरों का डिजाइन, पायनियर प्रेस बिल्डिंग, नगर निगम कार्यालयों का डिजाइन, कई निजी मकानों का नक्शा तथा किंग जार्ज पंचम के स्मारक का डिजाइन प्रमुख थे।
वॉल्टर बर्ली ग्रिफिन ने 1936-37 में यूनाइटेड प्रोविंसिस एग्जीबिशन ऑफ इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर के डिजाइन का करार भी हासिल कर लिया था। 160 एकड़ में फैली इस परियोजना में 53 इमारतों का नक्शा बनाने का काम शामिल था जिसमें सेंट थॉमस वेस्लियन मैथोडिस्ट चर्च, स्टेडियम, एरिना, मस्जिद, इमामबाड़ा, आर्ट गैलरी, रेस्त्रां, बाजार, पैविलियन और टावर प्रमुख थे। हालांकि इस विशाल योजना का कुछ ही हिस्सा पूरी तरह बन पाया।
वॉल्टर बर्ली ग्रिफिन भारत की संस्कृति और इसके वास्तुशिल्प से बेहद प्रभावित थे। उनकी पत्नी मैरियोन कई परियोजनाओं में अपने पति की मदद करने के लिए अप्रैल 1936 में लखनऊ चली गयीं थीं। ये 1937 के शुरूआती दिनों की बात है। वॉल्टर बर्ली ग्रिफिन का लखनऊ के किंग जार्ज अस्पताल में पिताश्य का आपरेशन हुआ और उसके 6 दिन बाद पेट की झिल्ली के रोग के कारण 11 फरवरी, 1937 को 61 वर्ष की आयु में वॉल्टर बर्ली ग्रिफिन निधन हो गया था। वॉल्टर बर्ली ग्रिफिन को निशातगंज की क्रिश्चियन सिमिट्री में दफनाया गया था । साभार