अबु रेहान मुहम्मद बिन अहमद अल-बयरुनी 15 सितम्बर, 973 ख्वारिज़्म, 13 दिसम्बर, 1048 फ़ारसी विद्वान् लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ तथा विचारक थे । वह ‘रबीवा’ का रहने वाला थे । 1017 में ख्वारिज़्म को महमूद ग़ज़नवी द्वारा जीत लिया गया। सुल्तान महमूद ग़ज़नवी के सामने अलबेरूनी को क़ैदी के रूप में ग़ज़नी लाया गया था। उनकी विद्वत्ता से प्रभावित होकर महमूद ग़ज़नवी ने उन्हें राज्य का ‘राज ज्योतिष’ नियुक्त कर दिया। अलबेरूनी ने ‘किताब-उल-हिन्द’ पुस्तक की भी रचना की थी। अलबरूनी अरबी, फ़ारसी, तुर्की, संस्कृत, गणित, खगोल के प्रमुख जानकर थे अल बेरुनी की रचनाएँ अरबी भाषा में हैं पर उसे अपनी मातृभाषा फ़ारसी के अलावा तीन और भाषाओं का ज्ञान था – सीरियाई, संस्कृत, यूनानी। वो भारत और श्रीलंका की यात्रा पर 1017-20 के मध्य आये थे।
चाँद की विभिन्न अवस्था को दर्शाती अलबेरुनी की ये क़िताब दसवी-ग्यारहवीं सदी में लिखी गई थी। यहाँ सूरज को फ़रसी-अरबी लिपि में आफ़ताब लिखा गया है अलबरुनी ने 146 क़िताबें लिखीं – 35 खगोलशास्त्र पर, 23 ज्योतिषशास्त्र की, 15 गणित की, 16 साहित्यिक तथा अन्य कई विषयों पर।
अल-बरुनी चिकित्सा विशेषज्ञ थे और भाषाओं पर भी अच्छा अधिकार रखते थे । गणितज्ञ,भूगोलवेत्ता,कवि,रसायन वैज्ञानिक और दार्शनिक भी थे उन्होनें ही धरती की त्रिज्या नापने का आसान सूत्र पेश किया था । अल-बरुनीने यह भी साबित किया कि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से अधिक होती है।
अल-बरुनी ने किताब-उल-हिन्द की रचना अरबी भाषण में की थी। इस ग्रंथ में अस्सी अध्याय है। इस पुस्तक में वर्णित बाते = धर्म,दर्शन,त्योहार,खगोलिक-विज्ञान,रीति-रिवाज़,प्रथाओं,सामाजिक-जीवन,कानून आदि विषयों पर चर्चा की गई है। एजेन्सी