जयंती पर विशेष
प्रकाश बियानी-दुनिया के ब्लेड्स व रेजर मार्केट के 70 फीसदी हिस्से पर प्रोक्टर एंड गेम्बल का आज कब्जा है तो इसका श्रेय जिलेट ब्रांड को है। दुनिया का 26वें बहुमूल्य ब्रांड जिलेट को 2005 में प्रोक्टर एंड गेम्बल ने 57 अरब डॉलर में जिलेट एंड कंपनी से खरीदा था। 1901 में स्थापित जिलेट एंड कंपनी के संस्थापक थे किंग केम्प जिलेट।
इनोवेटर मां–पिता की संतान, आग ने किया था परिवार तबाह
5 जनवरी 1855 में अमेरिका के विस्कोसिस प्रांत में जन्मे किंग केम्प जिलेट के मां-पिता चीजों को बेहतर बनाने वाली जुगत करने वाले इनोवेटर थे। 1871 में शिकागो की भीषण आग में परिवार का हार्डवेयर बिजनेस तबाह हो गया। गरीबी से जूझ रहे परिवार की मदद के लिए किंग केम्प घुमंतु सेल्समेन बन गए। वे जो चीज बेचते थे, उसमें सुधार भी करते रहते थे। उन्हें इसके चार पेटेंट भी मिल गए, पर बिजनेस वर्ल्ड ने उनकी आइडियाज में रुचि नहीं ली। 40 साल की उम्र में वे क्रॉउन कॉर्क एंड सील कंपनी के सेल्समेन थे। एक दिन सुबह शेव करते समय कुंद धार वाले उस्तरे से परेशान हो गए। उन्हें जल्दी घर से निकलना था और दाढ़ी ठीक से नहीं बन रही थी। पूरे दिन उनके दिमाग में यह बात घूमती रही कि उस्तरे का कम खर्च वाला विकल्प क्या हो सकता है। संयोग से उसी दिन उन्होंने एक व्यापारी को बोतल खोलते देखा। उसने बोतल की कॉर्क सील को खोला और फेंक दिया। यह देखकर किंग केम्प के दिमाग में एक विचार जन्मा। क्या ऐसा रेजर नहीं बन सकता, जिसमें सस्ती यूज एंड थ्रो ब्लेड हो।
वैज्ञानिकों ने सिरफिरा कहा तो खुद ने ही बना दी डिजाइन और कंपनी
अपने इस आयडिया से वे इतने उत्तेजित थे कि वे धातु वैज्ञानिकों तक पहुंच गए और उनसे पूछा- क्या स्टील की धारदार महीन चादर बन सकती है? धातु वैज्ञानिकों ने उन्हें सिरफिरा कहा। जिद्दी किंग केम्प ने ब्लेड की एक डिजाइन स्वयं बनाई और एक मैकेनिक स्टीवन पोर्टर से रेजर बनवाया। 1901 में किंग केम्प को मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनालॉजी से ही प्रशिक्षित टेक्नोक्रेट विलियम निकरसन मिले। उन्होंने पतली स्टील ब्लेड को बेहतर सपोर्ट देने के लिए किंग केम्प के ओरिजनल मॉडल का हैंडल व फ्रेम बदली और ब्लेड्स की मॉस प्रोडक्शन करने वाली मशीन डिजाइन की। इसके बाद किंग केम्प और निकरसन ने अमेरिकन सेफ्टी रेजर कंपनी स्थापित की। 1903 में इस कंपनी ने रेजर बनाना शुरू किए। ब्लेड बनाने की लागत ज्यादा थी। यह तब ही घट सकती थी, जब भारी मात्रा में ब्लेड बने और बिके। किंग केम्प ने ब्लेड पैकेट के साथ रेजर फ्री में बेचे।
पहले साल 51 रेजर और 168 ब्लेड बिके थे जिलेट के
जिलेट ब्रांड का यह पहला मॉस मार्केटिंग कैम्पेन सफल रहा। पहले साल 51 रेजर और 168 ब्लेड बिके थे। दूसरे साल 90,884 रेजर्स और 1,23,648 ब्लेड्स बिकी। किंग केम्प ने कंपनी का नाम बदला जिलेट सेफ्टी रेजर कंपनी। सन् 1908 में इस कंपनी ने ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस और जर्मनी में मेन्यूफेक्चरिंग सुविधाएं जुटाई। सन् 1915 में कंपनी ने 4.50 लाख रेजर्स और 7 करोड़ ब्लेड्स बेची। अमेरिकी सरकार ने प्रथम विश्वयुद्ध के मोर्चों पर तैनात अपने सैनिकों के लिए जिलेट सेफ्टी रेजर कंपनी से 35 लाख रेजर और 3.50 करोड़ ब्लेड खरीदी। इसके बाद तो जिलेट ब्रांड रेजर व ब्लेड घर-घर पहुंच गए। किंग केम्प जिलेट सेलेब्रिटी हो गए, क्योंकि रेजर के हर पैकेट पर तब उनका चेहरा छपता था। उन दिनों नॉन-इंगलिश देशों में लोग दुकानदारों से कहते थे- ‘आदमी के चेहरे वाली ब्लेड दो।’ किंग केम्प जहां जाते लोग उन्हें पहचान जाते और यह देखकर चौंकते कि ब्लेड के पैकेट पर रियल पर्सन छपता है, यह मार्केटिंग इमेज नहीं है।
बोर्ड रूम की लड़ाई हारे संस्थापक, कंपनी से बाहर, दिवालिया हुए
एपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स जैसा वाकया जिलेट के संस्थापक के साथ भी हो चुका है। 1918 में बोर्ड रूम बैटल हारने पर किंग केम्प जिलेट कंपनी से बाहर हो गए। लगभग कंपनी के शेयर उन्हें मिले, पर ग्रेट डिप्रेशन काल के दौरान उनका मूल्य घट गया और वे दिवालिया हो गए। वैयक्तिक पूंजीवाद के कट्टर विरोधी किंग केम्प ने तत्कालीन कारोबारी तौर-तरीकों और प्रतिस्पर्धा की निंदा करने वाली द ह्यूमन ड्रिफ्ट और वर्ल्ड कारपोरेशन जैसी पुस्तकें लिखी। 9 जुलाई 1932 को उनका कैलिफोर्निया में निधन हो गया।
वारेन बफेट ने खरीदा, अब प्रॉक्टर एंड गैंबल के साथ
1938 में जिलेट ने बेसबाल और फुटबाल की प्रतियोगिताओं का प्रायोजक बनने की प्रचार रणनीति अपनाई जो सफल रही। 1936 में जिलेट के प्रबंधकों ने प्रॉडक्ट पोर्टफोलियो फैलाया। शेविंग क्रीम लांच किया और छोटी-छोटी कंपनियों का अधिग्रहण किया । 1955 में पैपर मैट कंपनी के अधिग्रहण के साथ जिलेट ने स्टेशनरी बाजार में इंट्री ली। कंपनी ने टॉयलेटरीज प्रॉडक्ट, लक्जरी परफ्यूम, इलेक्ट्रानिक्स, डिजीटल उपकरण, सिगरेट लाइटर, स्मोक अलार्म जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनियों का विलय कर कारोबार का विस्तार किया। 1971 में जिलेट ने रेजर ट्रैक टू ट्विन ब्लेड शेविंग सिस्टम लांच किया। ओरल-बी लैब का अधिग्रहण कर डेंटल केयर बाजार में प्रवेश किया। इससे जिलेट को फायदा हुआ, लेकिन सरप्लस पैसा खत्म हो गया । अधिग्रहण के लिए इच्छुक कॉरपोरेट हंटर्स से परेशान कंपनी के बोर्ड ने शेयरों का बड़ा हिस्सा जाने माने निवेशक वॉरेन बफेट को 60 करोड़ डॉलर में बेचा। बदले में बुफेट ने कंपनी प्रबंधन को यह अधिकार दे दिया कि अधिग्रहण के किसी भी फैसले को नकारने का पहला अधिकार जिलेट बोर्ड का होगा। 1996 में जिलेट ने बैटरी बनाने वाली कंपनी ड्यूरासेल इंटरनेशनल को 7 अरब डॉलर में खरीदा। जिलेट की वित्तीय स्थिति भारी दबाव में आ गई । कंपनी ने इस संकट से उबरने के लिए ऐसे उत्पाद पेश किए जो पहले से ज्यादा सस्ते, लक्जरी टच वाले और गुणवत्ता से भरे थे। इनमें सेंसर एक्सेल व थ्री ब्लेड सिस्टम रेजर मैक 3, फ्यूजन पॉवर खूब मशहूर हुए। तमाम रणनीतियों और बचाव के बावजूद जिलेट के संकटमोचक 2005 में अमेरिका की ही प्रॉक्टर एंड गैंबल कंपनी से हार गए।
भारत में जिलेट
जिलेट ब्रांड को भारत लाने वाले उद्यमी हैं कोलकाता के एडवेंटज ग्रुप के चेअरमेन सरोज पोद्दार। 1970 में श्री पोद्दार ने जिलेट के नियंत्रक मंडल से भारत में संयुक्त वेंचर लगाने को कहा था, पर उन्हें जवाब मिला- बड़ी भागीदारी पैरेंट कंपनी की होगी। तीन साल बात नहीं बनी। 1977 में सहमति हुई और इंडियन शेविंग प्रॉडक्ट्स लि. (आईएसपीएल) का गठन हुआ। इसके बाद सात साल सरकारी अनुमति मिलने में लग गए। सेबी के दिशा निर्देशों के कारण सरोज पोद्दार को 2014 में अपनी भागीदारी का बड़ा हिस्सा बेचना पड़ा है। जिलेट इंडिया आज यहां ग्रूमिंग, पोर्टेबल पॉवर और ओरल केयर उत्पाद बेचती है। इनमें शामिल है शेविंग सिस्टम, कार्टिलेज, ब्लेड्स, टायलेटरीज बैटरी, टूथ ब्रश, टूथपेस्ट और ओरल केयर। भिवंडी (राजस्थान) और बड्डी (हिमाचल प्रदेश) में जिलेट ब्रांड उत्पादों के मेन्यूफेक्चरिंग प्लांट्स हैं।