स्मृति शेष । जसवंत राय शर्मा उपनाम: नक़्श लायलपुरी पंजाब के लायलपुर में 24 फरवरी 1928 को जन्मे थे .नक़्श लायलपुरी 1940 के दशक में हिंदी सिनेमा में करियर बनाने के लिए बम्बई अब मुंबई पहुंचे थे। ( लायलपुर अब पाकिस्तान का हिस्सा है.) उन्हें गीतकार के रूप में पहला मौका 1952 में मिला था, जिसमें उन्होंने ‘‘अगर तेरी आंखों से आंखें मिला दूं’’ गीत लिखा था. लेकिन 1970 के दशक प्रारंभ तक उन्हें खास सफलता नहीं मिल पाई थी. उनकी चर्चित फिल्मों में ‘‘चेतना’’, ‘‘आहिस्ता आहिस्ता’’, ‘‘तुम्हारे लिए’’, ‘‘घरौंदा’’ हैं।
बम्बई अब मुंबई में नक़्श लायलपुरी ने संघर्ष के शुरुआती दिनों में उन्होंने कुछ समय डाक विभाग में भी काम किया था. उन्होंने कई शीर्ष फिल्म निर्देशकों, संगीत निर्देशकों और गायकों के साथ काम किया और सुमधुर, रुमानी और भावनात्मक गीत लिखे, जो लाखों दिलों को छू गया. लायलपुरी के लिख कुछ सर्वश्रेष्ठ गीतों में ‘मैं तो हर मोड़ पर’, ‘ना जाने क्या हुआ’, ‘जो तूने छू लिया’, ‘उल्फत में जमाने की हर रस्म को ठुकरा’ और ‘दो दीवाने शहर में’ शामिल हैं।
बाद के दिनों में गीतों में सतही बातें शामिल करने की मांग से दुखी नक़्श लायलपुरी ने 1990 के अंतिम दशक में बॉलीवुड से संन्यास ले लिया और टेलीविजन के लिए गीत लिखने लगे थे. उन्होंने 2005-06 में संक्षिप्त समय के लिए फिल्मों में वापसी की थी और नौशाद के साथ ‘ताज महल’ और खय्याम के साथ ‘यात्रा’ जैसी फिल्मों के लिए गीत लिखे थे।
नक्श लायलपुरी ने भारत के बंटवारे के दर्द को बहुत ही करीब से महसूस किया था. 1947 में वे शरणार्थियों के एक काफिले के साथ उस पार के पंजाब से भारत में पैदल दाखिल हुए थे. उन्होंने अपना पहला फिल्मी गाना निर्माता जगदीश सेठी की फिल्म के लिए 1951 में लिखा था।
नक्श लायलपुरी गीतकार के रुप में उन्हें बुलंदी बी.आर इशारा की फिल्म ‘चेतना’ से मिली और उसमें उनकी नज्म ‘मैं तो हर मोड़ पर तुमको दूंगा सदा ‘ बहुत ही सराही गई।
नक्श लायलपुरी के फिल्मी गानों की बहुत दिनों तक धूम रही. नक्श ने जयदेव, ख्य्याम, मदन मोहन और रोशन, इन सभी के साथ खूब काम किया, लेकिन विशेष रूप से वह मदन मोहन से काफी प्रभावित थे. उनके गीतों को सभी प्रमुख गायकों ने गाए थे। वह 50 से भी ज्यादा बरसों से हिंदी फिल्मों में उर्दू के गीत लिखते रहे थे 201 6 में उनकी पुस्तक ‘आंगन आंगन बरसे गीत’ उर्दू में प्रकाशित हुई थी.
पिछले कई सालों से वह मुम्बई में गुमनाम जिन्दगी बिता रहे थे. 22 जनवरी 2017 को बीमारी की वजह से वो इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।एजेन्सी।