स्मृति शेष
भीमराज गर्ग- अभिनेता बीएम व्यास ने अपनी बुलंद आवाज, अर्थपूर्ण आंखोंं, डील-डौल और अलग अभिनय शैली द्वारा पौराणिक कथाओं के किरदारों को अपनी फिल्मों के माध्यम से जीवंत कर दिया था। पौराणिक और फैंटेसी फिल्मों के मशहूर चरित्र अभिनेता, बीएम व्यास का पूरा नाम बृज मोहन व्यास था। उनका जन्म 22 अक्टूबर 1920 को चुरू में विजयादशमी के दिन हुआ था। इस पावन पर्व पर जन्मे व्यास जी ने अपने आगामी जीवन में रामायण/ महाभारत पर आधारित कई चरित्र विशेषकर रावण की भूमिका फिल्मों में बखूबी निभाई। उसके बड़े भाई भरत व्यास प्रसिद्ध कवि एवं फिल्म गीतकार थे। व्यास जी ने संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी बल्कि घर पर ही हारमोनियम बजाना सीखा था और अंधे संगीतकार से विभिन्न संगीत वाद्ययंत्र बजाने भी सीखे थे। उसने संस्कृत विषय में ‘शास्त्री’ की परीक्षा पास की थी। 17 वर्ष की आयु में उनकी शादी जमुना से हो गई थी।बीएम व्यास अपने बड़े भाई भरत व्यास के निमंत्रण पर एक राजस्थानी नाटक ‘रामू चणना’ में अभिनय करने के लिए 1940 में बम्बई अब मुंबई चले आए थे। इस नाटक में व्यास जी को न केवल अभिनय करने का अवसर मिला अपितु उन्होंने गाने भी गाये। मुंबई में आ कर व्यास जी ने देवधर संगीत विद्यालय से गायन की शिक्षा लेनी शुरू कर दी। ‘रामू चणना’ नाटक को गीतकार पंडित इंद्र ने देखा तो वह व्यास जी की गायन प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुए थे। उन्होंने ‘रणजीत मूवीटोन’ के मालिक सरदार चंदूलाल शाह से उनकी मुलाकात करवाई, जिन्होंने व्यास जी को फिल्म ‘भर्तृहरि’ में गीत गाने के लिए अनुबंधित कर लिया था। व्यास जी का फिल्मी करियर बतौर पाश्र्वगायक इस फिल्म में पंडित इंद्र द्वारा लिखित गीत ‘अलख निरंजन जय जय जय’ गाकर आरंभ हो गया था।यद्यपि बीएम व्यास फिल्मों में पाश्र्वगायक बनने के लिए मुंबई आए थे, लेकिन भाग्य ने उसे एक सफल चरित्र अभिनेता बना दिया था। व्यास जी ने पृथ्वीराज कपूर से अभिनय का पहला पाठ सीखा था। एक दिन नाटक शकुंतला की रिहर्सल पर अभिनेता केएन सिंह मंत्र का ठीक से उच्चारण नहीं कर पा रहे थे। व्यास जी ने वेद-मंत्र को परिशुद्धता के साथ बोल दिया, जिससे प्रभावित होकर पृथ्वीराज ने रमेश सहगल को ऋषि कण्व की भूमिका के लिए बीएम व्यास का नाम सुझाया। वृद्ध ऋषि कण्व की भूमिका में 24 वर्षीय बीएम व्यास ने जान फूंक दी थी।
बॉम्बे टॉकीज की देविका रानी को व्यास जी के इस रोल ने बहुत प्रभावित किया। देविका रानी ने व्यास जी को जयराज द्वारा निर्देशित फिल्म में एक भूमिका निभाने की ऑफर दे दी। परंतु वह फिल्म अधूरी ही रह गई थी। व्यास जी को पृथ्वी थिएटर में दीवार, पठान, आहुती, गद्दार, कलाकार आदि नाटकों में गीत-संगीत का ताना बाना और अभिनय कौशल का प्रदर्शन करने का अवसर मिला था।जब रमेश सहगल पृथ्वी थिएटर को छोड़कर चेतन आनंद की फिल्म कंपनी इंडिया पिक्चर्स में प्रोडक्शन मैनेजर बने तो उन्होंने अगली फिल्म नीचा नगर (1946) में कामिनी कौशल के भाई की छोटी सी भूमिका व्यास जी को ऑफर कर दी थी। इसके पश्चात व्यास जी ने राज कपूर की फिल्म आग (1948) में छोटी सी भूमिका निभाई थी। परंतु व्यास जी को हिन्दी फिल्म उद्योग में मान्यता राज कपूर की फिल्म बरसात ने दिलवाई थी जिसनें उसने अभिनेत्री नरगिस के पिता की भूमिका निभाई थी। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बेहद सफल रही थी।पृथ्वी थिएटर के नाटक गद्दार का मंचन चल रहा था, जिसमें उन्होंने मौलाना की भूमिका निभाई थी। फिल्मकार केदार शर्मा नाटक देखने आए तो व्यास जी के उर्दू संवाद डिलीवरी से प्रभावित होकर फिल्म शोखियां में एक गनीबाबा की भूमिका निभाने की ऑफर दे दी। व्यास ने अपनी संवाद-शैली से दिलीप कुमार को भी प्रभावित किया। वी शांताराम जब फिल्म दो आंखें बारह हाथ में छह कैदियों की भूमिका के लिए कास्टिंग में व्यस्त थे, व्यास जी ने उससे संपर्क किया तो उनका कद-काठ देख कर जैलिया नाई कैदी की भूमिका करने का अवसर प्रदान किया।बीएम व्यास ने फिल्म ‘आवारा’ में नरगिस के पिता की भूमिका निभाई थी, फिल्म ‘बैजू बावरा’ में मीना कुमारी और ‘तुमसा नहीं देखा’ में शम्मी कपूर के पिता का रोल किया था। फिल्म ‘दो आंखें बारह हाथ’ में जैलिया क़ैदी की और ‘सम्राट चन्द्रगुप्त’ में चाणक्य की भूमिका के लिए उन्हें बहुत सराहा गया था। फिल्म ‘संपूर्ण रामायण’ में बीएम व्यास द्वारा अभिनीत रावण का चरित्र इतना लोकप्रिय हुआ था कि उन्हें धार्मिक फिल्मों में अभिनय करने के लिए ढेरों प्रस्ताव मिलने लगे थे।व्यास जी एक निपुण कलाकार के सभी गुणों को अपने आप में समेटे हुए थे। उसने अधिकतर पौराणिक(संपूर्ण रामायण, श्रीराम भरत मिलाप, हर हर गंगे, जय द्वारकाधीश,महाशिवरात्रि, वीर घटोत्कच, लव-कुश, सिंहलद्वीप की सुंदरी, चांद की दुनिया, माया बाज़ार, शेखचिल्ली, अलादीन और जादुई चिराग) फिल्मों में बुरे व्यक्ति के चरित्र निभाये थे। ऐसा ही एक अविस्मरणीय दृश्य फिल्म संपूर्ण रामायण में व्यास जी पर फिल्माया गाया था। सीता-हरण के दृश्य में रावण को दुविधा में अपने सकारात्मक व नकारात्मक भावना का अलग अलग प्रतिनिधित्व करते हुए नौ सिरों से तर्क करते हुए दिखाया गया था।बीएम व्यास ने विभिन्न भाषाओं की 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया था। व्यास जी की आखिरी उल्लेखनीय फिल्म शाहरुख खान दीपा साही अभिनीत ओह डार्लिंग ये है इंडिया 1995 में रिलीज हुई थी। छह बेटियों और एक बेटे के पिता व चरित्र अभिनेता बीएम व्यास का 11 मार्च, 2013 को मुंबई के कल्याण में निधन हो गया था।