स्मृति शेष। धीरेन्द्र नाथ गांगुली बंगाली सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक थे। धीरेन्द्र नाथ गांगुली को ‘धीरेन्द्र गांगुली’ या डी.जी. के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय सिनेमा में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए इन्हें 1975 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। धीरेन्द्र गांगुली का जन्म 26 मार्च 1893 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। इन्होंने अपनी शिक्षा ‘विश्व भारती विश्वविद्यालय’, शांतिनिकेतन से ग्रहण की और बाद में हैदराबाद के राज्य आर्ट स्कूल में हेडमास्टर बने।
कलकत्ता में ही धीरेन्द्र गांगुली ने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर इण्डो-ब्रिटिश फ़िल्म कम्पनी की स्थापना की। 1921 में धीरेन्द्र गांगुली ने व्यंग फ़िल्म ‘इंग्लैण्ड रिटर्नड’ बनाई। फ़िल्म की कहानी ऐसे भारतीय पर केंद्रित थी जो बहुत लंबे समय बाद विदेश से अपने देश लौटता है। वापस लौटने के बाद उसके साथ क्या-क्या घटनाएं घटती है उसे व्यंग्यात्मक तरीके से प्रदर्शित किया गया था। यह फ़िल्म तब काफ़ी सफल रही। इस फ़िल्म की सफलता को देखकर जमशेद जी ने इसके वितरण अधिकार ख़रीद लिए। बाद में इण्डो- ब्रिटिश फ़िल्म कम्पनी ने दो फ़िल्में बनाई और धीरेन्द्र गांगुली फिर हैदराबाद चले आए। यहां उन्होंने दो सिनेमाघर तथा प्रयोगशाला स्थापित की। लोटस फ़िल्म कंपनी के बैनर तले उन्होंने हैदराबाद के निजाम के संरक्षण में 1923 से 1927 के बीच दस फ़िल्में बनाई। लेकिन जब ग्यारहवीं फ़िल्म ‘रजिया सुल्तान’ बनी तो निजाम नाराज हो गए और उन्होंने धीरेन्द्र गांगुली को हैदराबाद छोड़कर चले जाने को कहा। इस फ़िल्म में एक मुस्लिम महिला और एक हिन्दू युवक के बीच प्रेम दर्शाया गया था। धीरेन्द्र नाथ गांगुली कलकत्ता लौट गए और वहां उन्होंने ब्रिटिश डोमिनियन फ़िल्म् कम्पनी की स्थापना की। उधर कलकत्ता में जमशेद जी मदन और धीरन गांगुली सक्रिय हुए तो बम्बई अब मुम्बई के बाद कोल्हापुर में बाबूराव पेंटर ने भी फ़िल्म निर्माण में हाथ आजमाया। 18 नवम्बर 1978 को उनका देहांत हो गया था। एजेन्सी।