स्मृति शेष। शम्मी आंटी,का असली नाम नर्गिस था, उन्हें इंडस्ट्री में प्यार से शम्मी आंटी बुलाया जाता था। शम्मी आखिरी बार फराह खान और बोमन ईरानी स्टारर फिल्म ‘शीरीं फरहाद की तो निकल पड़ी’ में नजर आई थीं। शम्मी का जन्म बम्बई अब मुंबई के 24 अप्रैल 1929 को पारसी परिवार में हुआ था. तब उनका नाम नर्गिस राबड़ी रखा गया था. वो महज तीन साल की थीं जब उनके पिता चल बसे. इसके बाद अपने परिवार का गुजारा करने के लिए उन्होंने पारसी समाज के काय्रक्रमों में अपनी मां के साथ खाना बनाना शुरू कर दिया शम्मी की एक बड़ी बहन भी थी जिनका नाम नीना राबड़ी था. वो फैशन डिज़ाइनर थीं. शम्मी ने 30 साल की उम्र में फिल्मकार सुलतान अहमद से शादी की लेकिन सात साल बाद इन्होंने तलाक ले लिया.शम्मी तब 18 साल की थी जब उन्हें फिल्मों में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ.1949 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘उस्ताद पेड्रो ’ साइन की. एक्टर और प्रोड्यूसर शेख मुख्तार की इस फिल्म में वो सेकंड लीड में थीं इसके बाद बतौर मेन लीड एक्ट्रेस उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘मल्हार’ साइन की. उनकी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली लेकिन उन्हें अपने अभिनय के लिए हर तरफ से प्रशंसा मिली.दिलीप कुमार के साथ ‘संगदिल’ फिल्म में काम कर उन्होंने सफलता हासिल की। उन्होंने कंगन, भाई-बहन, दिल अपना और प्रीत पराई, आज़ाद, हलाकू, सन ऑफ़ सिंदबाद, राज तिलक, घर संसार, खजांची, हाफ़ टिकट, जब-जब फूल खिले, प्रीत न जाने रीत, उपकार, इत्तेफ़ाक़, सजन’,बाग़ी’, ‘आग का दरिया’, ‘मुन्ना’, ‘रुखसाना’, ‘पहली झलक’, ‘लगन’, ‘बंदिश’, ‘मुसाफ़िरखाना’ में काम किया। शम्मी ने फिल्म ‘कुली नंबर 1’ ‘खुदा गवाह’, ‘हम’, ‘अर्थ’, ‘द बर्निंग ट्रेन’, ‘शीरी फरहाद की तो निकल पड़ी’ हिट फिल्मों में काम किया है।
शम्मी आंटी की सबसे अच्छी दोस्त आशा पारेख के साथ मिलकर शम्मी आंटी ने ‘बाजे पायल’, ‘कोरा क़ागज़’, ‘कंगन’ और ‘कुछ पल साथ तुम्हारा’ धारावाहिकों का निर्माण भी किया.अपने 60 साल के फिल्मी करियर में उन्होंने कई सारे टीवी शोज में भी काम किया. ‘देख भाई देख’, ‘जबान’, ‘संभल के’, ‘श्रीमान श्रीमती’, ‘कभी ये कभी वो’ और ‘फिल्मी चक्कर’ शोज शामिल हैं.शम्मी आंटी का 89 साल की उम्र में 05 मार्च 2018 की रात उनके मुंबई आवास पर निधन हो गया था.एजेन्सी