– वीर विनोद छाबड़ा-नासिर खान की सबसे बड़ी पहचान यह थी कि वो दिलीप कुमार के छोटे भाई थे। दिलीप कुमार की बहुत ख्वाईश थी कि नासिर भी बड़े एक्टर कहलाएं। लेकिन मुक़द्दर पर सबका बस नहीं होता, वो कुछ ही फ़िल्में कर पाए। जिसमें ‘गंगा जमुना’ यादगार थी जिसमें वो पुलिस अफसर जमुना बने थे और फ़र्ज़ की खातिर बड़े भाई गंगा को गोली मार देते हैं। बरसों बाद यश चोपड़ा की ‘दीवार’ का क्लाइमैक्स भी इसी पर आधारित रहा।बताया जाता है कि दिलीप कुमार ने ‘गंगा जमुना’ नासिर के लिए ही बनायी थी ताकि भाई का भविष्य सुधर जाए। नाम भी दिया। लेकिन इससे नासिर की फ़िल्मी ट्रेन कुछ दूर तक अच्छी चली। मगर बाद में ठप्प हो गयी।
नासिर खान का जन्म आयशा बेगम और लाला गुलाम सरवर अली खान के साथ बॉम्बे में 12 बच्चों के हिंडको -भाषी अवान परिवार] में हुआ था । उनके पिता जमींदार और फल व्यापारी थे, जिनके पास पेशावर और देवलाली में बाग थे । नासिर खान की पहली शादी दिग्गज फिल्म निर्माता नजीर अहमद खान की बेटी सुरैया नजीर से हुई थी । इस शादी से उन्हें बेटी नाहिद खान हुई। बाद में उनकी शादी अभिनेत्री बेगम पारा से हुई और उनके बेटे अभिनेता अयूब खान हैं।
नासिर खान ने अपने अभिनय की शुरुआत 1945 में आई फिल्म मजदूर से की थी । कुछ फिल्मों के बाद, वह विभाजन के बाद लाहौर चले गए और 1948 में पहली पाकिस्तानी फिल्म तेरी याद में अभिनय किया । उन्होंने 1949 में एक और पाकिस्तानी फिल्म शाहिदा में अभिनय किया। 1951 में उन्होंने बॉम्बे में अपने अभिनय करियर को फिर से शुरू किया, 1950 के दशक में कई फिल्मों में अभिनय किया। नूतन के साथ उनकी फिल्म नगीना (1951)। बड़ी हिट थी। उन दोनों ने यादगार जोड़ी बनाई जिन्होंने दो और फिल्मों, आगोश और शीशम में अभिनय किया।
नासिर अच्छे अभिनेता भी थे. यों तो उन्होंने कोई दर्जन भर फ़िल्में की कीं जिसमें नासिर हुसैन की ‘यादों की बारात’ भी थी जिसमें वो धर्मेंद्र, विजय अरोड़ा और तारिक़ खान के पिता थे. याद करें विलेन अजीत उन्हें गोली मार देता है जब वो गा रहे थे – यादों की बारात निकली है आज दिल के द्वारे…आगे चल कर इसी गाने ने तीनों बिछुड़े भाईयों को मिलाया था. उन्हें आखिरी बार दिलीप कुमार अभिनीत ‘बैराग’ (1977) में देखा गया था जिसमें वो डॉ मिश्रा के छोटे से किरदार में थे. ये उनकी मौत के बाद रिलीज़ हुई थी।
जब मुक़द्दर ठीक न हो तो कुछ भी ठीक नहीं चलता. नासिर की पत्नी बेगम पारा की दिलीप कुमार से नहीं निभती थी. कुछ समय बाद दिलीप कुमार ने ‘गंगा जमुना’ से हुए फायदे से हिस्सा देना बंद कर दिया. दिलीप का कहना था कि बावजूद इसके कि फिल्म अकाउंट बुक्स में बहुत कामयाब बताई गयी लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं था. बाजार से बहुत उधार लिया था उन्होंने. आकंठ क़र्ज़ में डूबे थे वो. मामला कचेहरी तक पहुंच गया. जैसे-तैसे निपटारा हुआ. दिलीप कुमार ने क़सम खायी कि आयंदा फिल्म निर्माण क्षेत्र में नहीं पड़ेंगे और न किसी की फिल्मों के मामले में मदद करेंगे।
नासिर खान की 3 मई 1974 को में लगभग 50 साल की उम्र में मृत्यु हो गयी. बावजूद इसके कि नासिर खान अच्छे अभिनेता थे लेकिन बड़े भाई का ठप्पा लगे होने के कारण वो दिलीप कुमार के भाई ही कहलाये।