जयंती पर विशेष- मोतीलाल नेहरू प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे। वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक कार्यकर्ताओं में थे। 1928 से लेकर 1929 तक पूरे दो वर्ष तक वे काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। मोतीलाल नेहरू का जन्म (6 मई 1861 ) आगरा में हुआ था। उनके पिता का नाम गंगाधर था। वह पश्चिमी ढँग की शिक्षा पाने वाले प्रथम पीढ़ी के गिने-चुने भारतीयों में थे। वह इलाहाबाद के म्योर सेण्ट्रल कॉलेज में शिक्षित हुए किन्तु बी०ए० की अन्तिम परीक्षा नहीं दे पाये। बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज से “बार ऐट लॉ” की उपाधि ली और अंग्रेजी न्यायालयों में वकील के रूप में कार्य प्रारम्भ किया। नेहरू उपनाम बाद में मोतीलाल ने लगा लिया था, जिसका शाब्दिक अर्थ था नहर वाले। उनके पिता गंगाधर और माता जीवरानी थीं। मोतीलाल नेहरू के पिता की मृत्यु मोतीलाल के जन्म से पूर्व ही हो गयी। मोतीलाल नेहरू का पालन पोषण उनके बड़े भाई नन्दलाल द्वारा हुआ जो इलाहाबाद अब प्रयाग राज में वकील थे।
मोतीलाल नेहरू की पत्नी का नाम स्वरूप रानी था। जवाहरलाल नेहरू उनके एकमात्र पुत्र थे। उनके दो कन्याएँ भी थीं। उनकी बडी बेटी का नाम विजयलक्ष्मी था, जो आगे चलकर विजयलक्ष्मी पण्डित के नाम से मशहूर हुई। उनकी छोटी बेटी का नाम कृष्णा था। जो बाद में कृष्णा हठीसिंह कहलायीं।
उन्होंने अपनी वकालत छोडकर भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में कार्य किया था। 1923 में उन्होने देशबंधु चित्तरंजन दास के साथ काँग्रेस पार्टी से अलग होकर अपनी स्वराज पार्टी की स्थापना की। 1928 में कलकत्ता अब कोलकाता में हुए काँग्रेस अधिवेशन के वे अध्यक्ष चुने गये। 1928 में काँग्रेस द्वारा स्थापित भारतीय संविधान आयोग के भी वे अध्यक्ष बने। इसी आयोग ने नेहरू रिपोर्ट पेश की थी।
मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद अब प्रयाग राज में अलीशान मकान बनबाया और उसका नाम आनन्द भवन रखा। इसके बाद उन्होंने अपना पुराना वाला घर स्वराज भवन काँग्रेस पार्टी को दे दिया। मोतीलाल नेहरू का 6 फ़रवरी 1931 में इलाहाबाद अब प्रयाग राज में निधन हुआ था। एजेन्सी।