कल्याण सिंह राजनीतिज्ञ, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। उन्हें लोग ‘बाबूजी’ के नाम से भी सम्बोधित करते थे। कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी, 1932 को अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ। उनका तालुक लोधी समुदाय से था। उनके पिता का नाम तेजपाल सिंह लोधी एवं माता का नाम सीता देवी था। सन 1952 में कल्याण सिंह ने रामवती देवी से शादी की। इस दंपति से एक बेटे (राजवीर सिंह) और एक बेटी (प्रभा वर्मा) का जन्म हुआ। कल्याण सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे। स्कूल में रहते हुए ही वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बन गए थे। कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह और पोते संदीप सिंह भी राजनेता और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं।
कल्याण सिंह 24 जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये 6 दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। 1993 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में वह अतरौली और कासगंज से विधायक निर्वाचित हुये। चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी-बहुजन समाज पार्टी ने गठबन्धन सरकार बनायी। विधान सभा में कल्याण सिंह विपक्ष के नेता बने।
कल्याण सिंह 21 सितम्बर 1997 से 12 नवम्बर 1999 तक पुनः उत्तर प्रदेश के दुबारा मुख्यमंत्री बने। 21 अक्टूबर 1997 को बहुजन समाज पार्टी ने कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। कल्याण सिंह पहले से ही कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल के सम्पर्क में थे और उन्होंने तुरन्त शीघ्रता से नयी पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का घटन किया और 21 विधायकों का समर्थन दिलाया। इसके लिए उन्होंने नरेश अग्रवाल को ऊर्जा विभाग का कार्यभार सौंपा। दिसम्बर 1999 में कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और जनवरी 2004 में पुनः भाजपा से जुड़े। 2004 के आम चुनावों में उन्होंने बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा। 2009 में उन्होंने पुनः भाजपा को छोड़ दिया और एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय सांसद चुने गये।
कल्याण सिंह अपने लंबे राजनीतिक जीवन में अक्सर सुर्खियों में रहे। मस्जिद विध्वंस मामले में अदालत में लंबी सुनवाई चली। इस बीच वह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे। राजस्थान के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद सितंबर 2019 में वह लखनऊ लौटे और फिर से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की विशेष अदालत के समक्ष मुकदमे का सामना किया और अदालत ने सितंबर 2020 में उनके समेत 31 आरोपियों को बरी कर दिया।
कल्याण सिंह ने दो बार भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ा। पहली बार 1999 में पार्टी नेतृत्व से मतभेद के चलते उन्होंने भाजपा छोड़ी। 2004 में उनकी भाजपा में वापसी हुई। इसके बाद 2009 में कल्याण सिंह ने भाजपा के सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया और आरोप लगाया कि उन्हें भाजपा में अपमानित किया गया। इस दौरान कल्याण सिंह ने ‘राष्ट्रीय क्रांति पार्टी’ बनाकर अपने विरोधी मुलायम सिंह यादव से भी हाथ मिलाने से परहेज नहीं किया।
कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री रह चुके बालेश्वर त्यागी ने जो याद रहा शीर्षक से एक किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने कल्याण सिंह की प्रशासनिक दक्षता और दूरदर्शिता से जुड़े कई संस्मरण लिखे हैं। कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए अफसरों को सही काम करने के लिए पूरी छूट दी थी।
नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए जब भाजपा नेताओं का खेमा लामबंद हो रहा था तो कल्याण सिंह ने मोदी की वकालत की। मोदी के नेतृत्व में 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया। कल्याण सिंह ने 4 सितम्बर 2014 को राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली। उन्होंने 28 जनवरी 2015 से 12 अगस्त 2015 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला।
लंबे समय से बीमार चल रहे कल्याण सिंह का 21 अगस्त, 2021 को 89 साल की उम्र में लखनऊ के ‘संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान’ में निधन हो हुआ। उन्हें 4 जुलाई, 2021 को संक्रमण और बेहोशी के बाद भर्ती किया गया था। इससे पहले राम मनोहर लोहिया ऑफ मेडिकल साइंस में उनका इलाज चल रहा था। यहाँ के डॉक्टरों ने अनुसार उनको गुर्दों की बीमारी थी । एजेन्सी