स्मृति शेष। निर्माता-निर्देशक मोहन सहगल ने अपनी फिल्म ‘सावन भादो’ के जरिये दो नए कलाकारों को अवसर दिया। अभिनेत्री रेखा कुछ साउथ की फिल्म कर चुकी थीं और हिंदी फिल्मों में पदार्पण कर रही थी। उनके नायक थे नवीन निश्चल।
मोहन सहगल को उनके शुभचिंतकों ने कहा कि यह जोड़ी बेमेल है। उस समय अभिनेत्री बनने के लिए पहली आवश्यकता होती थी कि रंग गोरा हो। रेखा साँवली होने के साथ-साथ बदसूरत दिखाई देती थी। दूसरी ओर नवीन निश्चल एकदम गोरे-चिट्टे थे और उनकी त्वचा दमकती थी। मोहन सहगल ने किसी की बात नहीं सुनी और वही किया जो उनके दिल को अच्छा लगा। सावन भादो रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर सफल फिल्म साबित हुई। नवीन निश्चल को पहली ही फिल्म में कामयाबी मिली और बॉलीवुड को नया हीरो मिल गया। नवीन निश्चल के घर निर्माताओं की लाइन लग गई और नवीन निश्चल ने बिना सोचे समझे ढेर सारी फिल्में साइन कर ली। 1971 में 6 फिल्में रिलीज हुई, जिसमें से बुड्ढा मिल गया को ही औसत सफलता मिली। नवीन निश्चल को समझ में आ गया कि उन्होंने गलती की है, लेकिन इसका उनके करियर पर गंभीर असर हुआ। नवीन निश्चल ने पहली फिल्म की कामयाबी के बाद लगातार नाकामयाबी देखी। इसके बाद उन्होंने विक्टोरिया नं. 203 और धर्मा जैसी सुपरहिट फिल्में दी। चेतन आनंद की फिल्म हँसते जख्म (1973) में उनके अभिनय की सराहना हुई। इसमें वे प्रिया राजवंश के साथ नजर आए और फिल्म के गाने आज भी गुनगुनाए जाते हैं।
नवीन निश्चल ने जब करियर आरंभ किया था तब वह दौर रोमांटिक फिल्मों का था। राजेश खन्ना सुपरस्टार थे और लोग उनके दीवाने थे। नवीन निश्चल के अभिनय में राजेश खन्ना की झलक देखने को मिलती है। इसलिए उन्हें उन निर्माताओं ने साइन कर लिया जो राजेश को अपनी फिल्मों में नहीं ले सकते थे। इसलिए उन्हें गरीबों का राजेश खन्ना कहा जाने लगा। नवीन निश्चल का अभिनय रोमांटिक और फैमिली ड्रामा में ज्यादा सहज नजर आता था। ऐसा लग रहा था कि वे बतौर हीरो लंबी पारी खेल सकेंगे, लेकिन अचानक हिंसात्मक फिल्मों की बॉलीवुड में भरमार हो गई।
फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टीट्यूट पुणे से गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले पहले छात्र नवीन निश्चल असफलता से मुक़ाबला करते रहे और कुछ समय बाद भाग्य ने उनका फिर साथ दिया। उन्हें सायरा बानो के साथ फ़िल्म विक्टोरिया नं. 203 (1972) करने का मौक़ा मिला। फ़िल्म हिट हो गयी, लेकिन फ़िल्म की कामयाबी का श्रेय प्राण और अशोक कुमार की जोड़ी को मिला। इसके बाद फिर सुपर हिट फ़िल्म धर्मा (1973) के हीरो नवीन निश्चल बने, लेकिन फ़िल्म की कामयाबी का सेहरा फ़िल्म के संगीत और प्राण के सिर बंध गया।
शोले और जंजीर जैसी फिल्मों की कामयाबी से निर्माता-निर्देशकों का ध्यान एक्शन फिल्मों की ओर चला गया और नवीन निश्चल जैसे अभिनेता हाशिये पर चले गए। एक्शन भूमिकाओं में नवीन निश्चल फिट नहीं बैठते थे। लिहाजा नवीन निश्चल ने चरित्र भूमिकाएँ निभाना शुरू की और परदे पर वे नजर आते रहे। उनका अभिनीत टीवी धारावाहिक ‘देख भाई देख’ भी काफी पॉपुलर हुआ था। नवीन निश्चल की आखिरी फिल्म ब्रेक के बाद थी। जीवन के अपने आखिरी दिनों में नवीन निश्चल तमाम उलझनों और पचड़ों में फंसे थे। अपने भाई से संपत्ति को लेकर उनका विवाद खासा सुर्खियां बटोरता रहा। 2006 में उनकी पत्नी गीतांजली ने खुदकुशी कर ली थी और इस मामले में नवीन निश्चल को थाने के चक्कर काटने पड़े थे। हालांकि, 2011 में उन्हें कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी थी। इसी दौरान, उनके भाई ने उन्हें घर से निकाल दिया था और यह मामला भी काफी तूल पकड़ा था। नवीन निश्चल का कहना था कि उनकी दूसरी पत्नी बेहद मूडी थी और उन्हें घर से भी बाहर निकाल चुकी थी। गीतांजली की भी यह दूसरी शादी थी। नीलू कपूर, नवीन निश्चल की पहली पत्नी थी जो फिल्म निर्देशक शेखर कपूर की बहन है। नवीन निश्चल का नाम पदमिनी कपिला जोड़ा जाने लगा और बात हद से बढ़ गई तो नीतू ने उनसे तलाक ले लिया। उन्होंने करीब 100 से अधिक फिल्मों में काम किया। बुढ़्ढा मिल गया फिल्म का उनका गीत-रात कली एक ख्वाब में आई-आज भी सुना जाता है।
नवीन निश्चल का अपने जन्म दिन से एक दिन बाद 19 मार्च 2011 को मुंबई में उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।
प्रमुख फिल्में
सावन भादो (1970), बुड्ढा मिल गया (1971), विक्टोरिया नं. 203 (1972), धर्मा (1973), हँसते जख्म (1973), धुँध (1973), दो लड़के दोनों कड़के (1979), द बर्निंग ट्रेन (1980), होटल (1981), अनोखा बंधन (1982), देश प्रेमी (1982), सोने पे सुहागा (1988), राजू बन गया जेंटलमैन (1992), आशिक आवारा (1993), आस्था (1997), खोसला का घोसला (2006) ब्रेक के बाद (2010)एजेन्सी।