जिनकी रिसर्च को आधार बनाकर परमाणु बम की नींव रखी गई। न्यूट्रॉन की खोज करने वाले वैज्ञानिक सर जेम्स चैडविक 20 अक्टूबर 1891 का जन्म मेनचेस्टर इंग्लैंड में हुआ था। परमाणु की आन्तरिक संरचना वैज्ञानिकों के लिए आरम्भकाल से ही महती समस्या के रूप में समुपस्थित रही है। इस समस्या के समाधान के लिए अनेक वैज्ञानिकों ने अनेक प्रकार के प्रयत्न किये । 1900 के आरम्भ में वैज्ञानिकों ने यद्यपि यह पता लगा लिया था कि परमाणु के अंदर ऋणात्मक आवेश से युक्त इलेक्ट्रान और धनात्मक आवेशित प्रोटोन होते है किन्तु इन दोनों अर्थात एलेक्ट्रोनो और प्रोटोनो का कुल द्रव्यमान परमाणु के कुल द्रव्यमान से कम बैठता था।
इससे उन वैज्ञानिकों को यह संदेश होने लगा कि परमाणु के अंदर न्यूट्रल कण भी होने चाहिए।| इस तथ्य का सर्वप्रथम अविष्कार 1932 में सर जेम्स चैडविक ने किया।| चैडविक ब्रिटेन के भौतिक शास्त्री के रूप में विख्यात वैज्ञानिक थे। उन्होंने अपने प्रयोगों के आधार पर पता लगाया कि परमाणु के न्यूक्लियस में न्यूट्रान नामक उदासीन कण होते है। इन कणों का द्रव्यमान प्रोटोनो के साथ जोड़ने पर समस्त द्रव्यमान परमाणु के बराबर हो जाता है ।
इस न्यूट्रान के आविष्कार के लिए सर जेम्स चैडविक को 1935 में भौतिकी का नोबेल पुरुस्कार प्रदान किया गया था। यद्यपि परमाणु संरचना से संबधित सभी गुत्थिया आज सुलझ गयी है किसी भी परमाणु के केन्द्रीय भाग को नाभिक कहते है । नाभिक के धनात्मक आवेश वाले प्रोटोन होते है तथा उदासीन कण न्यूट्रान होते है। नाभिक के चारो ओर विभिन्न कक्षाओं में ऋण आवेशित इलेक्ट्रान घूमते रहते है। प्रोटोन का द्रव्यमान न्यूट्रान से कुछ कम होता है। न्यूट्रान कणों की खोज विज्ञान में एक प्रकार से वरदान ही सिद्ध हुयी है। परमाणु बम का निर्माण न्यूट्रानो के द्वारा ही सम्भव हो पाया है।| चूँकि ये कण उदासीन होते है अत: इनके द्वारा नाभिक का विखंडन सम्भव हो पाया है। इससे ही परमाणु उर्जा उत्पन्न करने की विधियाँ भी विकसित की गयी है ।
सर जेम्स चैडविक की शिक्षा मुख्यत: मेनचेस्टर में हुयी थी | वहां वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र थे। 1923 के बाद चैडविक ने रदरफोर्ड प्रयोगशाला के तत्वों के रुपान्तरण पर कार्य किया। इन अध्ययनों के तत्वों के नाभिको पर अल्फा कणों की बौछार की जाती थी जिससे एक तत्व दुसरे तत्व में बदल जाता था । इन्ही अध्ययनों में चैडविक को परमाणु के नाभिको का गहराई से अध्ययन करने का अवसर प्राप्त हुआ। सर जेम्स चैडविक को 1929 में रॉयल सोसाइटी का फैलो नियुक्त किया गया था। 1932 में चैडविक ने यह प्रदर्शित कर दिखाया कि वैरेलियम नामक तत्व पर अल्फा कणों की बौछार करने से जो कण निकलते है उनका द्रव्यमान लगभग प्रोटोनो के बराबर होता है किन्तु उन पर कोई आवेश नही होता।
इन्ही कणों का नाम चैडविक ने न्यूट्रान रखा। चैडविक के इन कणों के दुसरे गुणों का भी अध्ययन किया। इसी आविष्कार के लिए उन्हें नोबेल पुरूस्कार प्रदान किया गया। तदन्तर वे विश्व ख्याति के वैज्ञानिक बन गये। न्यूट्रानो के अविष्कार के कारण ही परमाणु बम जैसे विनाशकारी शस्त्र का आविष्कार भी सम्भव हुआ क्योकि न्यूट्रल कणों से परमाणु के अंदर प्रवेश करने की क्षमता होती है। इन्ही कणों के अविष्कार के आधार पर न्यूट्रान बम का विकास हुआ। इन्ही कणों के आविष्कार के लिए चैडविक को 1932 में ह्यूज मैडल भी प्रदान किया गया था ।
सर जेम्स चैडविक ने जर्मनी के प्रसिद्ध भौतिक शास्त्री हैंस हींगर के साथ भी कार्य किया था । गीगर ने रेडिओधर्मी क्रियाओं को समझने के लिए “गीगर काउंटर” का आविष्कार किया था। श्रुंखला प्रक्रियाओ पर भी चैडविक ने बहुत काम किया था। इन्ही प्रक्रियाओं के फलस्वरूप परमाणु विखंडन सम्भव हो पाया था। चैडविक ने सर्वप्रथम समस्थानिको के अस्तित्व की विवेचना की थी। उसमे उन्होंने यह बताया था कि जब किसी समान प्रोटोनो की संख्या वाले नाभिको के न्यूट्रानो की संख्या असमान होती है तो ऐसे नाभिको को उस तत्व का समस्थानिक कहा जाता है।
समस्थानिको के उपयोगो ने आज विश्व में तहलका मचाया हुआ है । विभिन्न तत्वों के समस्थानिको को रोग निदान एवं उनकी चिकित्सा के लिए प्रयोग में लाया जाता है उदाहरणस्वरूप कोबाल्ट को लीजिये। कोबाल्ट का एक समस्थानिक कैंसर रोग के उपचार में प्रयोग लाया जाता है। इसी प्रकार आयोडीन के समस्थानिक घेंघा रोग के उपचार में प्रयोग में लाये जाते है । इस समय भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र में देश के समस्थानिको का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में किया जा रहा है। इस प्रख्यात वैज्ञानिक का देहांत 24 जुलाई 1974 को कैम्ब्रिज में हुआ था ।एजेन्सी ।