आपने अक्सर ही सुंदरवन डेल्टा मैंग्रोव और वहां के शेरों की बातें सुनी भी होंगी और पढ़ी भी होंगी। हो सकता है कि आपके मन में जिज्ञासा भी उठी होगी कि यह किस प्रकार के जंगल हैं या कि यह कोई खास प्रजाति के पेड़ होते होंगे और यह केवल पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के मुहाने पर ही होते हैं या कहीं और भी मैंग्रोव पाए जाते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर यही कहना पर्याप्त होगा कि मैंग्रोव एक प्रकार की प्रजाति है वृक्षों की जो समुद्र तटीय क्षेत्रों में, विशेषकर जहां नदियां सागर में आकर मिलती हैं उन स्थानों पर ही उगती हैं। इनके लिये उष्ण कटिबंधीय मौसम जहां तापमान 20 से 35 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता हो सबसे बेहतर रहता है। समुद्र के खारे जल में स्थित नमक तथा नदियों के मीठे जल के मिश्रण से तट के आस-पास की जमीन में मैंग्रोव बनने का सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है।
यहां के पेड़ों की जड़े पानी के भीतर तथा आपस में अच्छी तरह से गुथी होती हैं और ऐसा लगता है जैसे वृक्ष पानी पर तैर रहे हों। इनकी जड़ों के बीच में काफी जगह भी होती है जिनके भीतर जल में रहने वाली अनेकों छोटी बड़ी मछलियां एवं जीव-जन्तु बसते हैं। इसके अलावा उस क्षेत्र में घड़ियाल इत्यादि सारीसृपों का भी जमावड़ा रहता हैं मैंग्रोव प्राय: ही काफी घने होते हैं जिससे इनके भीतर घुस पाना बेहद कठिन होता है और इस वजह से इनके नीचे सूखी पत्तियों इत्यादि के एकत्रित हो जाने से धीरे-धीरे दलदली भूमि बन जाती है जिसे तटीय भूमि का कटाव नहीं हो पाता और समुद्र की तेज से तेज लहरें भी इन तक आकर शांत हो जाती हैं। भारत में मैंग्रोव गुजरात तथा केरल के कोच्चि में, अंडमान निकोबार तथा पश्चिमी बंगाल तथा बांग्लादेश के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से में पाये जाते हैं।
सन् 2010 में आई सुनामी ने जहां ओडिशा में कहर बरपाया था, वहीं अंडमान में मैंग्रोव जंगलों ने वहां होने वाली तबाही को काफी कम कर दिया था। विश्व के कुल मैंग्रोव वनों का लगभग पचपन प्रतिशत सिर्फ ब्राजील में पाया जाता है। भारत में विश्व के मैंग्रोव वनों का लगभग 8 प्रतिशत है। मैंग्रोव की लकड़ी काफी सख्त होती है और इस पर पानी का प्रभाव कम होता है जिसके कारण इसे फर्नीचर, इमारतों इत्यादि में बहुतायत से प्रयोग किया जाता है। शायद यही वजह है कि धीरे-धीरे मैंग्रोव वनों का प्रतिशत घटने लगा है और इनके अस्तित्व पर संकट गहराने लगा है। इनकी उपयोगिता बताने तथा इनके प्रति लोगों के जागरूक बनाने के लिये हर वर्ष 26 जुलाई को मैंग्रोव दिवस मनाया जाता है।