स्मृति शेष।
तपन सिन्हा बांग्ला एवं हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध निर्देशक थे। इन्हें 2006 का दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी मिला था। तपन सिन्हा की फ़िल्में भारत के अलावा बर्लिन, वेनिस, लंदन, मास्को अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में भी सराही गईं।
2 अक्टूबर 1924 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में जन्मे तपन सिन्हा की शिक्षा बिहार में हुई थी। वहाँ उनके परिवार के पास विशाल जमीन-जायदाद थी। 1945 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक तपन सिन्हा ने अपना करियर ‘न्यू थिएटर’ में साउंड इंजीनियर के रूप में शुरू किया। वहाँ रहते उन्होंने बिमल राय और नितिन बोस की कार्यशैली को गंभीरता से देखा और सीखा। फ़िल्मकार सत्येन बोस की फ़िल्म ‘परिबर्तन’ का साउंड डिजाइन करने के बाद तपन दा सिन्हा लंदन के पाइनवुड स्टूडियो ने आमंत्रित किया।
तपन सिन्हा ने हमेशा कम बजट की फ़िल्में बनाईं। सामाजिक सरोकार के साथ उनकी फ़िल्में दर्शकों का स्वस्थ मनोरंजन करने में हमेशा कामयाब रहीं। यही वजह है कि उन्हें उन्नीस बार राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए। सामाजिक, कॉमेडी, बाल फ़िल्मों के अलावा साहित्य आधारित फ़िल्में बनाने पर उन्होंने अधिक ध्यान दिया। रवीन्द्रनाथ ठाकुर की रचनाओं पर ‘काबुलीवाला’ तथा ‘क्षुधित पाषाण’ उनकी चर्चित फ़िल्में हैं। नारायण गांगुली कथा सैनिक पर उन्होंने ‘अंकुश’ फ़िल्म बनाई थी। शैलजानंद मुखर्जी की रचना कृष्णा पर उनकी फ़िल्म ‘उपहार’ लोकप्रिय फ़िल्म रही है। तपन सिन्हा की साहित्य आधारित फ़िल्में बोझिल न होकर सिनमैटिक गुणवत्ता से दर्शकों को लुभाने में कामयाब रहीं। बांग्ला के अलावा उन्होंने हिंदी में भी सफल फ़िल्में दीं। कभी-कभार तपन दा ने बंगाल के सबसे महँगे सितारे उत्तम कुमार या हिंदी में अशोक कुमार को अपनी फ़िल्मों का नायक बनाया। बंगाल में जन्मे नक्सलवाद और महिला उत्पीड़न को अधिक गहराई से उन्होंने रेखांकित किया। अमोल पालेकर को लेकर ‘आदमी और औरत’ बहुत चर्चित हुई थी।
तपन सिन्हा के फ़िल्मी सफर में 41 फ़िल्में दर्ज हैं जिनमें से 19 ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीते और लंदन, वेनिस, मास्को तथा बर्लिन में हुए अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सवों में खूब सराहना भी बटोरी। भारत का पहला लाईफ़ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार तपन सिन्हा को दिया गया। 20 जून, 2008 को पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी न्यू अलीपुर के उनके मकान पर जाकर उन्हें ये पुरस्कार दिया। लाईफ टाईम अचीवमेंट श्रेणी को पहली बार राष्ट्रीय पुरस्करों में शामिल किया गया। और भारत की आजा़दी की साठवीं सालगिरह (2008) पर इसे शुरु किया गया।
तपन सिन्हा की अभिनेत्री पत्नी अरुंधति देवी का 1990 में ही निधन हो गया था। तपन सिन्हा का 15 जनवरी 2009 में कोलकाता में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 84 साल के तपन सिन्हा निमोनिया से पीड़ित थे। उन्हें 2008 में दिसंबर को सीएमआरआई में भर्ती कराया गया था।एजेंसी