अख्तर-उल-ईमान का जन्म 12 नवम्बर 1915 को किला, नजीबाबाद में हुआ था। 9 मार्च 1995.
: जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते।
12 नवम्बर 1915 को किला, नजीबाबाद में हुआ था। उन्होंने बेहतरीनआधुनिक उर्दू नज़्म के संस्थापकों में शामिल। अग्रणी फ़िल्म-संवाद लेखक। फ़िल्म ‘ वक़्त ‘ और ‘ क़ानून ‘ के संवादों के लिए मशहूर। फ़िल्म ‘वक़्त’ में उनका संवाद ‘ जिनके घर शीशे के हों वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते ‘ , आज भी ज़बानों पर