यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को झटका
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आज सुप्रीम कोर्ट की ओर से बड़ा झटका लगा है। लोकप्रहरी नाम के एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करना होगा। यूपी में अभी मुलायम सिंह यादव, मायावती, अखिलेश यादव, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और एनडी तिवारी के पास लखनऊ में सरकारी बंगला है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि कोई शख्स एक बार मुख्यमंत्री का पद छोड़ देता है तो वह आम आदमी के बराबर हो जाता है। अदालत ने कहा कि यूपी सरकार ने कानून में संशोधन कर जो नई व्यवस्था दी थी, वह असंवैधानिक है। शीर्ष अदालत के इस फैसले को यूपी सरकार के लिए झटका माना जा रहा है। कोर्ट ने यूपी मिनिस्टर सैलरी अलाउंट ऐंड मिसलेनियस प्रोविजन एक्ट के उन प्रावधानों को रद्द कर दिया है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले में रहने का आधिकार दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने बंगले खाली करने होंगे, उनमें मुलायम सिंह यादव, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, बसपा प्रमुख मायावती, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी शामिल हैं। (हिफी)
पिछड़े वर्ग के लिए चौहान की घोषणाएं
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहले ओबीसी महाकुंभ में पिछड़ा वर्ग के लिए कई घोषणाएं की। इसमें छात्रवृत्ति के लिए अभिभावकों की वार्षिक आय सीमा 75 हजार रुपए से बढ़ाकर तीन लाख करने के साथ निर्वाह (अनुरक्षण) भत्ता दोगुना करने की घोषणा शामिल है। यह वृद्धि मैट्रिक के बाद उच्च शिक्षा संस्थानों में चयन होने तक मिलेगी। सरकार के इस फैसले का खुलासा मीडिया ने पहले ही कर दिया था। मुख्यमंत्री ने विकासखंड स्तर पर छात्रावास खोलने, छात्रावास में जगह नहीं मिलने पर दो विद्यार्थी यदि किराए का मकान लेकर पढ़ाई करते हैं तो किराया सरकार द्वारा देने, विदेशी विश्वविद्यालय में चयन होने पर अब 10 की जगह 50 छात्रों की फीस सरकार भरेगी। काउंसलिंग के दौरान छात्रों से आय प्रमाणपत्र भी नहीं मांगा जाएगा। इसकी जरूरत फीस भरते समय होगी। हर साल दो लाख युवाओं को स्व-रोजगार योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।उधर, मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि मैं किसी उद्योग से संबंधित नहीं हूं और न ही मैं किसी कंपनी का डायरेक्टर हूं और न ही शेयर होल्डर। कमलनाथ ने यहां संवाददाताओं द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘कौन से उद्योग हैं मेरे? क्या मैं किसी उद्योग से संबंधित हूं? कोई बता दे कि मैं किस उद्योग से संबंधित हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं किसी उद्योग से संबंधित नहीं हूं।’ कमलनाथ से सवाल किया गया था कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दो दिन पहले भोपाल में आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने कार्पोरेट घरानों के प्रिय व्यक्ति कमलनाथ को मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया है। (हिफी)
अफस्पा में ढील देंगे रिजिजू
नयी दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संघर्ष वाले क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को विशेषाधिकार प्रदान करने वाले अफस्पा कानून के संदर्भ में कहा कि स्थिति बेहतर होने पर अन्य हिस्से से भी इस कानून को हटाया जा सकता है। रिजिजू ने कहा कि मौजूदा समय में जारी नगा शांति वार्ता पर पूरी ईमानदारी से काम किया जा रहा है और इसका नतीजा सकारात्मक होगा लेकिन उन्होंने अंतिम शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कोई समय-सीमा बताने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि, ‘पिछले चार साल में पूर्वोत्तर में सुरक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है और कई इलाकों से अफस्पा हटा लिया गया है। हमें उम्मीद है कि और बेहतर होने पर आने वाले समय में अन्य हिस्सों से भी इसे हटा लिया जाएगा।’ सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को मेघालय से पूरी तरह और अरुणाचल प्रदेश से आंशिक तौर पर हटा लिया गया है। यह कानून अभी नगालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों में प्रभावी है। यह विवादित कानून जम्मू-कश्मीर में लागू है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रिजिजू ने यह भी कहा कि सुरक्षा स्थिति में सुधार होने के बाद विवादास्पद अफस्पा कानून नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और अन्य इलाकों से भी हटाया जाएगा। (हिफी)
जाति पर विकास को तरजीह दे रहे नीतीश
पटना । जातीय आधार पर मतदान के लिए बदनाम बिहार की राजनीति नए रास्ते पर चल पड़ी है। हालांकि, पक्ष-विपक्ष के नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला सुबह-शाम सरेआम जारी है, किंतु इसके बावजूद अब जातीय गठजोड़ का फार्मूला हाशिये पर है और समूहों को टारगेट करके मानव विकास के आधार पर राजनीति का ट्रेंड सेट किया जाने लगा है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राजग सरकार के पिछले नौ महीने की कार्यशैली एवं गतिविधियों का अवलोकन करें तो सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध युद्ध और सात निश्चय के जरिए किसानों, आधी आबादी, विद्यार्थियों एवं बेरोजगारों के मुद्दों पर सबसे ज्यादा फोकस किया गया है।
जातीय सम्मेलनों, आंदोलनों और वर्ग संघर्ष की पहचान वाले प्रदेश की सियासत में यह नई किस्म का बदलाव है। सत्ता पक्ष ने अगर इसे इसी तरह जारी रखा तो अगले कुछ वर्षों में वोट बैंक के मायने बदलना तय है। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार के शब्दों में मुद्दों पर राजनीति करने वाली सरकार में यह अचानक बदलाव नहीं है। 2005 में जब पहली बार राज्य में नीतीश कुमार की सरकार बनी थी तो पंचायतों और नगर निकायों में आधी आबादी के लिए 50 फीसद आरक्षण देकर तय कर दिया गया था कि जातीय राजनीति के दिन अब लदने वाले हैं। (हिफी)