शिक्षक वही जो केवल शिक्षा नहीं बल्कि दीक्षा भी प्रदान करे, ऐसी दीक्षा जो हमारे जीवन को एक नई दिशा और हमारे जीवन की दशा को बदल दे
शिक्षक वही जो सिर्फ जीविका नहीं लेकिन जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन गुरूकुल में धूमधाम से शिक्षक दिवस मनाया गया। ऋषिकुमारों ने वेद मंत्रों का पाठ कर गुरूजनों का आह्वान किया और स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के सान्निध्य में पौधा रोपण कर शिक्षक दिवस मनाया गया।
इस अवसर पर डाॅ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के विचारों को याद करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि डाॅ राधाकृष्णन जी ने शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत योगदान दिया है उनके विचार आज की युवा पीढ़ी को जीवंत और जाग्रत करने वाले है। स्वामी जी ने कहा कि भारत की परम्परा गुरु और शिष्य की परम्परा है और उसी भाव से ही सदियों से यह परम्परा चलती आ रही है। शिष्य का समर्पण और गुरु की कृपा का ज्ञान के माध्यम से बरसना तथा ज्ञान का आदान-प्रदान ही गुरु-शिष्य का सम्बंध है।
स्वामी जी महाराज ने सभी शिक्षकों को नमन करते हुये कहा कि बालक की पहली शिक्षक उसकी माँ होती है। माता-पिता से प्राप्त संस्कारों को शिक्षक ही आकार देते है। जो हमारे जीवन की दिशा को बदलते है वह होते है हमारे शिक्षक, गुरु, आचार्य। उनका स्थान शिष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि शिक्षक अपने शिष्यों को एक ओर तो जीविका के लिये तैयार करते है वही दूसरी ओर जीवन के लिये भी तैयार करते है। शिक्षक वही होते है जो केवल शिक्षा न दे बल्कि जीवन को नई दिशा प्रदान करे; दीक्षा प्रदान करे। ऐसी दीक्षा प्रदान करे जो जीवन को दिशा दे तथा जीवन की दशा भी बदल दे; हमारी सोच को बदल दे। उन्होने कहा की हमारी सोच बदलेगी तो हमारे सितारे बदल जायेगे; हमारी दिशा बदलेगी तो हमारी दशा बदल जायेगी इसलिये बहुत जरूरी था इस रिश्ते को कायम रखना अतः आज के युग में भी शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है।
स्वामी जी महाराज ने सभी शिक्षकों एवं शिक्षक दिवस परम्परा के सभी आयोजकों को बधाई दि की उन्होने इस परम्परा को कायम रखा है। उन्होने कहा कि हम इंटरनेट के युग में जी रहे है, इंटरनेट बहुत जरूरी है, इससे स्पीड बढ़ती है, पूरे विश्व का ज्ञान प्राप्त होता है। आज के समय में कुछ भी जानना हो तो इंटरनेट पर चले जाइये तो आप कुछ भी जान सकते है लेकिन यदि खुद को जानना हो तो उसके लिये इनरनेट की जरूरत है। इंटरनेट बाहर का ज्ञान कराता है लेकिन इनरनेट भीतर का ज्ञान कराता है। स्वामी जी ने कहा आज इंटरनेट और इनरनेट के बीच में जो सेतु बनाये वही सच्चा शिक्षक; शिक्षा और दीक्षा के बीच में जो सेतु बनाये वही श्रेष्ठ शिक्षक इसलिये आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वामी जी ने सभी विद्याथियों का आह्वान किया और कहा कि वे अपनी जिम्मेदारियों को समझे और राष्ट्र को गौरवान्वित करने वाले पथ की ओर बढ़े।