अभिषेक त्रिपाठी। एक दूसरे से अनजान दो लोग, मिलते हैं कहीं, और हो जाता है मन से मन का मेल। वे अचानक एक धूमकेतु की तरह प्रकट होते हैं, एक चमकदार रोशनी, एक नयी मदमस्त कर देने वाली हवा की तरह, ज... Read more
अभिषेक त्रिपाठी। एक दूसरे से अनजान दो लोग, मिलते हैं कहीं, और हो जाता है मन से मन का मेल। वे अचानक एक धूमकेतु की तरह प्रकट होते हैं, एक चमकदार रोशनी, एक नयी मदमस्त कर देने वाली हवा की तरह, ज... Read more
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