पहले राजमहली षडयंत्र होते थे, अब राजनीतिक घात-प्रतिघात होते हैं। इनके पीछे किसका हाथ है, यह आसानी से पता भी नहीं चलता। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के साथ भी ऐसा ही हुआ है। यह बात किसी से... Read more
पहले राजमहली षडयंत्र होते थे, अब राजनीतिक घात-प्रतिघात होते हैं। इनके पीछे किसका हाथ है, यह आसानी से पता भी नहीं चलता। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के साथ भी ऐसा ही हुआ है। यह बात किसी से... Read more
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