लखनऊ। राजधानी के मडिय़ांव थाने के एसएसआई कमलेश्वर यादव पर थाने के ही एक दारोगा द्वारा उत्पीडन के आरोपो की जांच एएसपी ट्रांसगोमती दुर्गेश कुमार को सौंपी गई है। अब इस पूरे प्रकरण की जांच एएसपी ट्रांसगोमती कर रहे है। विदित हो कि मडियांव थाने के अजीज नगर चौकी इंचार्ज हरिप्रसाद अहिरवार ने थाने के एसएसआई कमलेश्वर यादव पर उत्पीडन का आरोप लगाया है। आरोप है कि कमलेश्वर यादव ने विशेष जाती के अपने चहेते 16 सिपाहियों को एक ही क्षेत्र में तैनात कर दिया। इसके बल पर ये सिपाही पूरे क्षेत्र में लूट खसोट और वसूली में लिप्त हो गए जिसका सीधा असर हरिप्रसाद अहिरवार की पुलिसिंग पर पड़ रहा है। बकौल हरिप्रसाद क्षेत्र में दिन भर वसूली में लिप्त रहने के कारण सिपाही क्राइम कंट्रोल पर काम नही कर पा रहे है। बताते चले बीते दिनों ही तात्कालीन इंस्पेक्टर मडिय़ांव अनुशासनहीनता के चलते निलंबित कर दिए गए थे जिसके बाद से कार्यवाहक प्रभार एसएसआई कमलेश्वर यादव के पास ही है। इंस्पेक्टर के निलंबन के बाद ही विभाग में बगावत का बिगुल बज गया है। हालांकि शायद यह समस्या पहले से ही थी लेकिन आवाज अब उठ पाई है। इतना ही नही चौकी इंचार्ज हरिप्रसाद अहिरवार ने इन आरोपो को जीडी पर चढ़ाकर तस्करा भी भर दिया था। इस पूरे मामले में एसएसआई कमलेश्वर यादव ने कहा कि इंस्पेक्टर के निलंबित होते ही दारोगा घर चले गए और गस्त के लिए नही आये जिसकी मैंने शिकायत की तो दारोगा निराधार आरोप लगा रहे है। तत्कालीन इंस्पेक्टर मडिय़ांव नागेश को निलंबित हुए लगभग तीन दिन के ऊपर हो चुका है। राजधानी की बड़ी कोतवालियो में शामिल मडिय़ांव में तीन दिन से कार्यवाहक प्रभार एसएसआई के पास है। ऐसे में राजधानी पुलिस के अधिकारियो पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर इंस्पेक्टर के निलंबन के तीन दिन बाद तक आलाधिकारी क्यों मडियांव के लिए कोई कोतवाल नही ढूंढ पाये है और नए प्रभारी की नियुक्ति क्यों नही हो पाई है। पुलिस विभाग के लिए मडिय़ांव कोतवाली मलाईदार थानों में से गिनी जाती है। ऐसे में सूत्रों का यह भी कहना है कि इस मलाईदार कोतवाली के चार्ज को पाने के लिए तमाम इंस्पेक्टर्स ने आलाधिकारियों की परिक्रमा भी शुरू कर दी है।