पुण्य तिथि पर विशेष
विक्रम साराभाई भारत के ‘अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक’ कहा जाता है। पूरा नाम ‘डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई’ था। भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊँचाईयों पर पहुँचाया और अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर देश की उपस्थिति दर्ज करा दी। विक्रम साराभाई ने अन्य क्षेत्रों में भी समान रूप से पुरोगामी योगदान दिया। विक्रम साराभाई का जन्म अहमदाबाद में 12 अगस्त 1919 को हुआ था। साराभाई परिवार एक महत्त्वपूर्ण और संपन्न जैन व्यापारी परिवार था। उनके पिता अंबालाल साराभाई एक संपन्न उद्योगपति थे तथा गुजरात में कई मिलों के स्वामी थे। विक्रम साराभाई, अंबालाल और सरला देवी के आठ बच्चों में से एक थे। ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ की स्थापना आपकी उपलब्धियों में एक थी। डॉ. विक्रम साराभाई विज्ञान की शिक्षा में अत्यधिक दिलचस्पी रखते थे। इसीलिए उन्होंने 1966 में सामुदायिक विज्ञान केंद्र की स्थापना अहमदाबाद में की। आज यह केंद्र ‘विक्रम साराभाई सामुदायिक विज्ञान केंद्र’ कहलाता है। 1966 में नासा के साथ डॉ. साराभाई के संवाद के परिणामस्वरूप जुलाई, 1975 से जुलाई, 1976 के दौरान ‘उपग्रह अनुदेशात्मक दूरदर्शन परीक्षण’ का प्रमोचन किया गया। डॉ. विक्रम साराभाई ने भारतीय उपग्रहों के संविरचन और प्रमोचन के लिए परियोजनाएँ प्रारंभ कीं। इसके परिणामस्वरूप प्रथम भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट, रूसी कॉस्मोड्रोम से 1975 में कक्षा में स्थापित किया गया।अंतरिक्ष की दुनिया में देश को बुलन्दियों पर पहुँचाने वाले और विज्ञान जगत में देश का परचम लहराने वाले महान् वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई की मृत्यु 30 दिसम्बर, 1971 को कोवलम में हुई थी ।
राजेन्द्र अवस्थी (25 जनवरी, 1930, जबलपुर; 30 दिसम्बर, 2009, दिल्ली) प्रसिद्ध साहित्यकार और पत्रकार थे। वे ‘कादम्बिनी पत्रिका’ के सम्पादक थे। उन्होंने जहाँ एक पत्रकार के रूप में कई मापदण्ड स्थापित किये, वहीं अपने साहित्य सृजन में भी अद्भुत सफलता प्राप्त की थी। राजेन्द्र अवस्थी ‘नवभारत’, ‘सारिका’, ‘नंदन’ और ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ के सम्पादक भी रहे थे। उन्होंने कई चर्चित उपन्यासों, कहानियों एवं कविताओं की रचना की। वह ‘ऑथर गिल्ड ऑफ़ इंडिया’ के अध्यक्ष भी रहे थे। दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी ने उन्हें 1997-1998 में साहित्यिक कृति से सम्मानित किया था।
दुष्यंत कुमार हिंदी कवि और ग़ज़लकार थे। समकालीन हिन्दी कविता विशेषकर हिन्दी ग़ज़ल के क्षेत्र में जो लोकप्रियता दुष्यंत कुमार को मिली, वो दशकों बाद विरले किसी कवि को नसीब होती है। दुष्यंत एक कालजयी कवि हैं और ऐसे कवि समय काल में परिवर्तन हो जाने के बाद भी प्रासंगिक रहते हैं। दुष्यंत का लेखन का स्वर सड़क से संसद तक गूँजता है। इस कवि ने कविता, गीत, ग़ज़ल, काव्य, नाटक, कथा आदि सभी विधाओं में लेखन किया लेकिन गज़लों की अपार लोकप्रियता ने अन्य विधाओं को नेपथ्य में डाल दिया।
दुष्यंत कुमार का जन्म बिजनौरके राजपुर नवादा में 1 सितम्बर, 1933 को हुआ था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत कुछ दिन आकाशवाणी, भोपाल में असिस्टेंट प्रोड्यूसर रहे। । दुष्यंत बहुत, सहज और मनमौजी व्यक्ति थे। दुष्यंत का पूरा नाम दुष्यंत कुमार त्यागी था। प्रारम्भ में दुष्यंत कुमार परदेशी के नाम से लेखन करते थे । दुष्यंत कुमार का निधन 30 दिसम्बर 1975 में हुआ था ।
सद्दाम हुसैन अब्द अल-माजिद अल-तिक्रिती 16 जुलाई, 1979 से 9 अप्रैल, 2003 तक इराक़ के राष्ट्रपति रह चुके है। उन्हें 30 दिसम्बर 2006 को उत्तरी बगदाद में फाँसी दी गई थी। 31 की आयु में सद्दाम हुसैन ने जनरल अहमद अल बक्र के साथ मिल कर इराक की सत्ता हासिल की। 1979 में वह खुद इराक के राष्ट्रपति बन गए। 1982 में इराक में हए दुजैल जनसंहार मामले में फाँसी की सजा मिली।
मुबारक साल गिरह
मैनुअल आरों- प्रथम भारतीय शतरंज मास्टर हैं। 1960 से 1980 तक भारत में शतरंज में उनका बोलबाला था। मैनुअल आरों 1959 और 1981 के बीच नौ बार भारत के राष्ट्रीय चैम्पियन रहे। वह भारत के प्रथम खिलाड़ी है, जिन्हें ‘अंतरराष्ट्रीय मास्टर खिताब’ से किया जा चुका है। वे प्रथम शतरंज खिलाड़ी हैं, जिन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।
मैनुअल आरों का जन्म 30 दिसम्बर 1935 को बर्मा (अब म्यांमार) में हुआ था। मैनुअल आरों भारतीय राज्य तमिलनाडु में पले बढ़े। यहीं उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा भी पूर्ण की। उन्होंने अपनी बी.एस.सी की डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की।