अदम गोंडवी जी की पुण्य तिथि पर विशेष।
संजोग वॉल्टर । 18 दिसंबर 2011 खबर आई थी एसजीपीजीआई लखनऊ से, की जनकवि अदम गोंडवी नहीं रहे। कोहरे वाली सर्द सुबह थी, एसजीपीजीआई के एक वार्ड में जनकवि अदम गोंडवी का पार्थिव शरीर बिस्तर पर रखा और वहां अदम गोंडवी जी एक रिश्तेदार था। खुद देखा तब खबर नोट करवायी आज तक को।
कुछ देर के बाद हलचल हुई पता चला की नेता जी यानि मुलायम सिंह यादव आ रहे हैं। अब यह चिन्ता नहीं थी की किसकी बाईट करे ? अब तक कुलदीप द्विवेदी जो उन दिनों सहारा समय लखनऊ में थे आ चुके थे। कुलदीप द्विवेदी के साथ मेरी यह अंतिम स्टोरी थी जो साथ की थी अब पता नहीं कब यह मौका फिर मिलेगा या नहीं पता नहीं।
खैर में हैरान था कि आज तक और सहारा समय के जरिये सब को पता चल चुका था की जनकवि अदम गोंडवी नहीं रहे। उनके अंतिम दर्शन करने पहुंचे सिर्फ मुलायम सिंह यादव। अदम गोंडवी का पार्थिव शरीर लाश के वास्ते वाली गाड़ी से गोंडा रवाना किया गया। शाम को प्रेस नोट देखे तो पता चला की लखनऊ के कई संघटन और सियासी पार्टी के नेता गण यह दावा कर रहे थे सुबह वो सब एसजीपीजीआई पहुंचे जनकवि अदम गोंडवी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने।
जबकि सच यह है की जनकवि अदम गोंडवी के शव के साथ सिर्फ उनका एक भांजा था। एसजीपीजीआई लखनऊ के कुछ कर्मचारियों ने दम गोंडवी के शव को गाड़ी तक पहुंचाया था।
वीडियो में मुलायम सिंह यादव जनकवि अदम गोंडवी को श्रद्धांजलि देते हुए
जनकवि अदम गोंडवी का पार्थिव शरीर
काजू भुने प्लेट में विस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत इतना असर है खादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनाएं तो किस तरह जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें संसद बदल गई है यहां की नखास में
जनता के पास एक ही चारा है बग़ावत यह बात कह रहा हूं मैं होशो-हवास में
हिंदू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िए
अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िए
हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है
दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िए
ग़लतियाँ बाबर की थी; जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाज़ुक वक़्त में हालात को मत छेड़िए
हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज़ ख़ाँ
मिट गए सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िए
छेड़िए इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के खिलाफ़
दोस्त मेरे मजहबी नग़मात को मत छेड़िए
-अदम गोंडवी