गुजरात विधान सभा में जब पहले चरण के मतदान का सिर्फ एक दिन शेष था, तभी भाजपा ने अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी किया। चुनाव घोषणा पत्र को अब भाजपा संकल्प पत्र बताती है क्योंकि उसमें जो भी वोट किये जाते हैं इनको पूरा करना है। घोषणापत्र से जारी होने पर कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रहे पाटीदार अनामत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने व्यंग्य भी किया था। इस चुनाव के दौरान हार्दिक पटेल के खिलाफ तीन ऐसी सीडी जारी की गयीं जिन में हार्दिक जैसे किसी युवक को महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था। हार्दिक ने इसी बात को लेकर कहा कि भाजपा सीडी बनाने के चक्कर में घोषणा पत्र ही भूल गयी। हार्दिक ने ट्वीट किया-गुजरात में विकास के साथ-साथ घोषणा पत्र भी लापता है। राज्य की जनता के बीच भी यह कहा जा रहा था कि भाजपा का घोषणा पत्र क्यों नहीं जारी हुआ। वैसे भी सत्तारूढ़ दल का घोषणा पत्र इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि अगली सरकार उन बातों पर कितना अमल करती है। इन्हीं सब कारणों से वित्तमंत्री अरूण जेटली और गुजरात प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जीतू भाई
बधानी ने 7 दिसम्बर को भाजपा का संकल्प पत्र जारी कर दिया। जनता इन्हें याद जरूर रखेगी।
संकल्प पत्र जारी करते हुए वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा कि हम गुजरात के विजन डाक्यूमेंट के साथ सामने आये है। हमारे विजन डाक्यूमेंट का उद्देश्य यह है कि गुजरात में विकास की दर हमने जिस तरह से बढ़ाई है उसे ही बनाये रखें। वैश्विक मंदी के बीच भी अगर हम विकास की यह दर, जो देश के सभी बड़े राज्यों में सबसे ज्यादा है (औसतन 10 फीसद), उसे हम बनाये रखेंगे। इसके साथ ही राज्य के विभिन्न वर्गों और विभिन्न क्षेत्रों के बारे में भी भाजपा का विजन बताया गया है। संकल्प पत्र में कहा गया है कि समस्त गुजरात को एक रखना और हर वर्ग की चिंता करना हमारा मुख्य लक्ष्य है जबकि कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में ऐसे वादे कर रही है जिससे जुड़ी योजनाएं केन्द्र सरकार पहले से ही चला रही है। श्री जेटली ने कांग्रेस पर संकल्प पत्र पर भी जमकर प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस गुजरात में सामाजिक ध्रुवीकरण कर रही है। कांग्रेस की सामाजिक धु्रवीकरण की कोशिश समाज के लिए नुकसान दायक होगी। श्री जेटली ने अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश का नाम नहीं लिया लेकिन संकेत उन लोगों की तरफ ही है। पाटीदारों के लिए कांग्रेस के वादों पर भी घोषणा पत्र में प्रहार किया गया और कहा, कांग्रेस ने जो वादे किये है वे संवैधानिक तौर पर गलत हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार आरक्षण की सीमा 50 फीसद से अधिक नहीं हो सकती।
संकल्प पत्र में गुजरात की समग्र विकास दर (जीएसडीपी) को मुख्य रूप से हाईलाइट किया गया। कहा गया कि गुजरात की जीएसडीपी ग्रोथ दस फीसद दर से विकास कर रही है। हमारा उद्देश्य है कि हर क्षेत्र में जो साधन हैं उन्हें और बढ़ाया जाए। आवास योजना के तहत हर नागरिक के पास अपना घर हों। राज्य में मेडिकल कालेज बढ़ाये जाने पर भी संकल्प पत्र में उल्लेख किया गया है और कहा गया कि चिकित्सा सुविधा के क्षेत्र में हमने अब तक जो भी किया है उस पर गर्व करते है। उन्होंने कहा कि हमारा ग्रोथ रेट ही हमारा इतिहास बताता है। हम अतीत की बातों पर नहीं जाएंगे। भ्रष्टाचार और शिक्षा जैसे विषय सारे देश के मुद्दे है। हां, इतना जरूर है कि हर क्षेत्र में आधुनिक उपकरणों का समावेशन होगा, शिक्षा की गुणवत्ता में विस्तार किया जाएगा। ऐसी व्यवस्था की जाएगी जिससे गंभीर बीमारियों के लिए भी जिला अस्पताल में ही लोगों को उपचार मिले, उन्हें राजधानी अथवा अन्य बड़े अस्पतालों के चक्कर न काटने पड़ें। बीमार लोगों पर दवाओं का भारी बोझ न पड़े, इसलिए जेनरिक और सस्ती दवाओं के केन्द्रों में बढ़ोत्तरी की जाएगी। इसी क्रम में मोबाइल क्लीनिक और 252 सरकारी डायोग्नोस्टिक लैब की स्थापना का भी वादा किया गया है। राज्य को 2022 तक जल जनित बीमारियों से मुक्त करने की बात भी कही गयी।
संकल्प पत्र में युवाओं और महिलाओं के बारे में उत्साहजनक संकल्प जताये गये हैं। युवाओं के लिए कहा गया है कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वरोजगार के अधिकतम अवसर दिये जाएंगे। ऐसे औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना की बात कही गयी जिनसे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कौशल विकास एवं आर्थिक सहयोग से स्टार्ट अप योजना को प्रोत्साहन दिया जाएगा। रोजगार आयोग इस तरह की नीतियां बनाएगा जिससे रोजगार की जरूरतों का समन्वय हो सके। इस प्रकार सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाकर युवाओं की कुंठा को दूर किया जाएगा। इस बात को राज्य के युवाओं ने जरूर नोट किया होगा। राज्य में सरकार किसी भी पार्टी की बने लेकिन युवाओं को रोजगार मिलना चाहिए।
इसी प्रकार भाजपा के संकल्प पत्र में महिलाओं के बारे में भी उम्मीदें जगायी गयी है। महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने की बात कही गयी और कहा गया कि महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से गुजरात देश में एक आदर्श प्रस्तुत करेगा। इसके लिए विशेष कोष की स्थापना की जाएगी। बालिकाओं को मुफ्त उच्च शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी और महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाएगा। युवाओं और महिलाओं के लिए इस प्रकार का संकल्प व्यक्त करने के साथ राज्य के किसानों, व्यापारियों, असंगठित मजदूरों और फुटकर दुकानदारों को भी आश्वासन दिया गया है कि उनका हर प्रकार से हित किया जाएगा।
गुजरात में भाजपा का युग नरेन्द्र मोदी के समय का ही माना जाता है। इससे पहले केशूभाई पटेल मुख्यमंत्री हुआ करते थे, उन्हें कुर्सी से हटाकर 2001 में नरेन्द्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाया गया और 2014 तक वही मुख्यमंत्री रहे। मोदी ने अपने नेतृत्व में प्रदेश में तीन विधान सभा चुनाव भी कराये और भारी बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनी। अगर श्री मोदी के शासन काल को गुजरात से निकाल दिया जाए तो इस सवाल का कोई मतलब नहीं रह जाता कि गुजरात में भाजपा की जड़ें कितनी मजबूत हैं। श्री मोदी जैसे ही देश के प्रधानमंत्री बने तो आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया और उसी दौरान पाटीदारों को आरक्षण देने की मांग को लेकर हार्दिक पटेल ने आंदोलन खड़ा कर दिया। आनंदीबेन पटेल ने स्वास्थ्य का बहाना करके कुर्सी छोड़ी और विजय रूपानी मुख्यमंत्री बने। इस उथल पुथल के बीच भी राज्य की विकास दर 10 फीसद के आसपास ही रही है। यही भाजपा का प्लस प्वाइंट है लेकिन इसबार जिस तरह से कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में भाजपा को चुनौती दी है, वैसी चुनौती भाजपा को कभी नहीं मिली। ऐसे हालात में भाजपा का संकल्प पत्र जनता के सामने आया है। यह देर में आया लेकिन इसे लोग गौर से देख रहे हैं। (हिफी)