अबुल फजल का पूरा नाम अबुल फजल इब्न मुबारक था। इनका संबंध अरब के हिजाजी परिवार से था। इनका जन्म 14 जनवरी 1551 में हुआ था। इनके पिता का नाम शेख़ मुबारक था। अबुल फजल ने अकबरनामा एवं आइने अकबरी प्रसिद्ध पुस्तक की रचना की। अबुल फजल अकबर के नवरत्नो में थे।
अबुल फजल का पुरा परिवार देशांतरवास कर पहले ही सिंध आ चुका था। फिर हिन्दुस्तान के राजस्थान में अजमेर के पास नागौर में हमेशा के लिए बस गया। इनका जन्म आगरा में हुआ था। अबुल फजल बचपन से ही काफी प्रतिभाशाली बालक थे। उनके पिता शेख मुबारक ने उनकी शिक्षा की अच्छी व्यवस्था की शीध्र ही वह एक गुढ़ और कुशल समीक्षक विद्वान की ख्याति अर्जित कर ली। 20 वर्ष की आयु में वह शिक्षक बन गये। 1573 में उनका प्रवेश अकबर के दरबार में हुआ। वह असाधारण प्रतिभा, सतर्क निष्ठा और वफादारी के बल पर अकबर का चहेता बन गये। वह शीध्र अकबर का विश्वासी बन गये और शीध्र ही प्रधानमंत्री के ओहदे तक पहुँच गये। अबुल फजल इब्न का इतिहास लेखन – वह एक महान राजनेता, राजनायिक और सौन्य जनरल होने के साथ–साथ उन्होने अपनी पहचान एक लेखक के रूप ने भी वह भी इतिहास लेखक के रूप में बनाई। उन्होने इतिहास के परत-दर-परत को उजागर का लोगों के सामने लाने का प्रयास किया। खास कर उनकी ख्याति तब और बढ़ जाती है जब उन्होने अकबरनामा और आईने अकबरी की रचना की। उन्होने भारतीय मुगलकालीन समाज और सभ्यता को इस पुस्तक के माध्यम से बड़े ही अच्छे तरीके से वर्णन किया है। 22 अगस्त 1602 को राजकुमार सलीम के आदेश पर अबुल फजल की हत्या कर दी गई थी क्योंकि राजकुमार सलीम ने उन्हें सम्राट बनने के अपने रास्ते में बाधा मान लिया था। एजेन्सी