राकेश अचल-कभी-कभी बहुत कुछ अनायास ही हो जाता है.कोई करता नहीं है.आजकल यही सब हो रहा है .कोई कर नहीं रहा है ,बस हो रहा है. जिस देश में घर-घर मोदी होना चाहिए था उस देश में अब घर-घर हाहाकार हो रहा है .कोई किसी की सुनने वाला नहीं है,कोई किसी के आंसू पोंछने वाला नहीं है.इसके लिए किसी नेता या सरकार को कोसने की वजाय इसे वक्त का सितम मान लेना ही भला है.
अब देखिये सरकार ने हजारों नौजवानों को सेना में भर्ती करने के लिए एक चार साला योजना ‘ अग्निपथ ‘ बनाई किन्तु नौजवान इस योजना से खुश होने के बजाय भड़क गए ,उन्होंने अचानक देश के अनेक राज्यों में ऐसा बवाल खड़ा किया की जगह-जगह अग्निपथ बन गए.सार्वजनिक सम्पत्ति को नुक्सान हुआ.जनता भयाक्रांत हो गयी .अब भारत कोई कुवैत तो है नहीं जहाँ आप अपनी मर्जी से कहीं भी,कभी भी ‘ अग्निपथ ‘ बनाएं तो सरकार आपको या तो जेलों में ठूंस दे या फिर देश निकाला दे दे .ये भारत है भारत में जब सरकार कुछ भी कर सकती है तो जनता को भी कुछ भी करने की आजादी है .सरकार कहाँ-कहाँ बुलडोजर लेकर घूमती फिरेगी ? अब कर अमरीका रहा है और हमारे देश के शेयर बाजारों में कोहराम मचा हुआ है. आम निवेशक के हजारों करोड़ रूपये रोजाना डूब रहे हैं ,लेकिन सरकार कुछ नहीं कर सकती. सरकार जब कोरोनाकाल में नदियों में शवों के विसर्जन को नहीं रोक पायी,आक्सीजन नहीं दे पायी तो बेचारी शेयर बाजार को गिरने से कैसे रोक सकती है ? निफ्टी 52 हफ्ते के सबसे निचले स्तर पर आ गया है .भारतीय रूपये के गिरने की खबरें तो अब पुरानी हो गयीं हैं .अब कोई भी गिरे हमें कोई खास फर्क नहीं पड़ता .क्योंकि हमें गिरने की आदत हो चुकी है .गिरना राष्ट्रीय चरित्र जो बन चुका है.तेजी से गिरते हुए देश को सम्हालने की जरूरत है. लेकिन जब देश में माननीय नरेंद्र मोदी जैसा सबल नेतृत्व है तो किसी को घबड़ाने की कोई जरूरत नहीं .वे गिरते को उठाने और उठते को गिराने की कला में दक्ष हैं .वे कहाँ तक गिर सकते हैं इसका अंदाजा राहुल गांधी और उनकी माँ तक को नहीं था ,लेकिन वे कितने ऊपर उठ सकते हैं ये आप अग्निपथ के तोहफे को देखकर समझ सकते हैं .मोदी जी को सबकी चिंता है लेकिन दुर्भाग्य कि मोदी जी की चिंता किसी को नहीं है .उनके पास अगर माँ न होतीं तो उनकी चिंता करने वाला सचमुच कोई और न होता .वे सौभाग्यशाली हैं और अपने भाग्य का सुख भोग रहे हैं .जनता का ,पार्टी का इसमें कोई योगदान नहीं है .अगर हो तो सबको बता देना.आपको याद होगा कि मोदी सरकार ने जब किसानों की भलाई के लिए तीन क़ानून बनाये थे तब भी उनके साथ अच्छा सलूक नहीं हुआ था. उस समय भी देश के किसान साल बाहर तक सड़कों पर डटे रहे और अंतत: मोदी सरकार को तीनों क़ानून वापस लेना पड़े .इससे भला सरकार का क्या बिगड़ा ? जो बिगड़ा किसानों का बिगड़ा. आज भी अग्निपथ को लेकर युवक और राजनीतिक दल जो बवाल काट रहे हैं उससे सरकार का क्या बिगड़ना है.जो बिगड़ेगा युवाओं और राजनीतिक दलों का बिगड़ेगा .बिगाड़ के डर से मोदी सरकार कोई राजधर्म थोड़े ही छोड़ देगी .अगर ऐसा होता तो डर के मारे भाजपा राज्य सभा चुनाव में किसी मुसलमान को टिकिट न दे देती ? नहीं दिया न ! देश में घर-घर मोदी की अनुगूंज के बजाय घर-घर हाहाकार सुनकर मुझे अक्सर तकलीफ होती है. रोज एक के बाद एक नए शिगूफे की वजह से हमारी नजरों से दीन -दुनिया की दूसरी रोचक खबरें ओझल हो जातीं हैं. किसी को पता ही नहीं चलता कि शैलेश लोढ़ा ‘ तारक मेहता का उलटा चश्मा ‘ उतारकर बाहर आ गए हैं . किसी को पता नहीं चलता कि ‘ दी कश्ममीर फ़ाइल ‘ बनाये बिना कार्तिक आर्यन ने भूल- भुलैया-2 के जरिये 200 करोड़ से ज्यादा कमा लिए हैं. कोई नहीं जान पाया कि सोनम कपूर का शाही अंदाज में बेबी शावर हो चुका है .किसी को नहीं पता कि भारत चीन के दबाब में म्यांमार को आसियान देशों की बैठक में नहीं बुला रहा .कोई नहीं जानता कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका ने फिर से यूक्रेन की मदद कर दी है .
कहने का असहय ये है कि देश और दुनिया की तमाम अच्छी खबरें कोहराम में डूबी जा रहीं हैं. अब खबर आ रही है कि देश के पेट्रोल पम्पों पर सूखा पड़ गया है. सरकार ने डीजल-पेट्रोल सस्ता कर दिया है तो अब माल नहीं है. जरूर इसके पीछे कोई न कोई साजिश है ,वरना पेट्रोल पम्पों पर कभी सूखा पड़ता है क्या ? तब नहीं पड़ा जब पेट्रोल-डीजल आसमान के भाव पर थे .मुझे लगता है कि अब जनता कोहराम नहीं मचाती ,बल्कि कोहराम मचाने का काम ठेके पर दिया जाता है. जनता तो गाय है.कुछ बोलती ही नहीं .आप जितना चाहे उतना निचोड़ लें. गाय होकर भी जनता गधे की तरह मंहगाई का बोझ ढोने के लिए हर समय तैयार दिखाई देती है .सरकार ने कितना बोझ लाद दिया लेकिन गाय रुपी जनता ने उफ़ तक नहीं की.
देश में कोहराम के चलते सब राम-कृष्ण को भूल गए हैं. भूल गए हैं कि देश का अगला राष्ट्रपति भी चुना जाना है .ज्ञानवापी का अता-पता नहीं है .राहुल गांधी तक पूरी विनम्रता के साथ ईडी के साथ सहयोग कर रहे हैं जबकि बेचारे की माँ को कोरोना हो गया है ,लेकिन राहुल ने इसका रोना कहीं नहीं रोया,कभी नहीं रोया .हालाँकि सरकार राहुल को रुलाने की भरपूर कोशिश कर रही है .तीस-तीस घंटे पूछताछ करा रही है ईडी के जरिये .इतनी लम्बी पूछताछ तो हजारों करोड़ रूपये लेकर विदेशों में जा छिपे किस उद्योगपति से नहीं की गयी .खैर ये सरकारी मामला है .हम और आप क्या जाने ? राहुल के बाप-दादाओं ने भले अपनी 200 करोड़ की सम्पत्ति देश को दान की होगी लेकिन राहुल ने तो 90 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग की है न ? जो करेगा,सो भरेगा. मै माननीय प्रधानमंत्री जी की जीवटता की वजह से ही उनका मुरीद हूँ . कभी-कभी उन पर दया आती है .हम और आप तो रो-धोकर ,कोहराम मचाकर अपने मन को समझा लेते हैं लेकिन पंत प्रधान कहाँ जाएँ ? उनके पास तो अटल जी जैसा कोई मानद बेटी-दामाद भी नहीं है. डॉ मन मोहन सिंह जैसा परिवार भी नहीं हैं. जो हैं वे सब पीएमओ से मीलों दूर रहते हैं ,किसी काम के नहीं .लेकिन वे लोह पुरुष हैं .काठ-कबाड़ के नहीं लोहे के बने हैं ,इसलिए सब सह लेते हैं .भगवान उनकी सहनशीलता बनाये रखे.