नरेश दीक्षित। क्या कोई मुझे समझा सकता है ? आज अग्निपथ योजना का विरोध करने वालों को उपद्रवी बोला जा रहा है । कोचिंग सेंटर संचालकों को उपद्रवी बोला जा रहा है। छात्रों,युवाओं, किसानों,सामाजिक कार्यकर्ताओं को उपद्रवी बोला जा रहा है। पिछले वर्ष किसान जब जनविरोधी कृषि कानूनों को हटवाने के लिए दिल्ली की सीमाओं को घेरकर बैठ गए थे तब उन्हें भी नकली किसान, पाकिस्तानी, चीनी, उग्रवादी, खालिस्तानी और आतंकी व नक्सली, माओवादी और उपद्रवी बोला गया था! क्या भारत मे सारे उपद्रव सिर्फ जनता ही करती है ? तो फिर सरकार क्या करती है? लेकिन बिना जनता की इच्छा जाने, बिना लोगों से पूछे जनविरोधी कानून बनाने वाले देशभक्त हो गए हैं और जनता उपद्रवी ! मोदी 15 लाख का झूठ बोले, 5 करोड़ युवाओं को 5 साल में नौकरी का झूठ बोले तो देश भक्त! नोटबन्दी करके पूरे देश की जनता को लाइनों में लगा दे, सैंकड़ों की जान ले ले तो वो देशभक्त! GST लगाकर लघु उद्यमियों के पेट पर लात मार दे तो मोदी देशभक्त! तमाम सरकारी महकमों को जनता की इच्छा जाने बगैर कोड़ियों के भाव बेच दे तो मोदी देशभक्त! आदिवासियों को मरवाने के लिए, उनकी जल, जंगल, जमीन की लड़ाई को दबाने के लिए सेना भेज दे तो मोदी देशभक्त! गौतम नौलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, जी एन साईंबाबा जैसे जनपक्षधर जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेलों में ठूँस दे तो मोदी देशभक्त! और अब सेना को भी निजी सेना की तरह बना दे तो भी मोदी देशभक्त! अजीब तमाशा चला रखा है संघियों ने। न्यायपालिका,मीडिया और अब सेना को भी अपनी कठपुतली की तरह उपयोग में लाया जा रहा है। 1947 के बाद पहली बार है जब तीनों सेनाओं के सेनाध्यक्षों ने एक साथ सरकार की किसी नीति के पक्ष में खुलकर बोला है । और वापस न लेने का एलान भी कर दिया है। मेरी नजर में यह सब कुछ किसी उपद्रव से बहुत ज्यादा है। यह एक महाषड्यंत्र है।हिटलर अपने मॉडर्न रूप में भारत की सत्ता पर काबिज होकर एक पूरी कौम को तबाह करना चाहता है, देश को बर्बाद करना चाहता है। तो आप ही बताएं उपद्रवी कौन हुआ? और अगर युवाओं ने पूरी ऊर्जा के साथ सरकार के इस जनविरोधी कदम का विरोध किया है तो वो उपद्रवी नही बल्कि क्रांतिकारी हैं । जो काले अंग्रेज शासकों को बता देना चाहते हैं कि हम भगतसिंह के वारिस हैं। कहते हैं कि इंसान को आईने में अपनी ही शक्ल नज़र आती है।
समाज एक आईना है और संघियों को उसमे अपनी ही शक्ल नज़र आती है। यानि वो खुद सबसे बड़े उपद्रवी हैं और उनको सब अपने जैसे ही दिखते हैं। उनकी गलत नीतियों के विरुद्ध संघर्षरत छात्र, युवा भी उन्हें खुद की तरह उपद्रवी ही दिखेंगे। अब तो आप खुद समझ ही गये होंगे कि सबसे बड़ा उपद्रवी कौन है ? सरकार या जनता ??
भगतसिंह के शब्दों में–जो सरकार जनता को उसके मूलभूत अधिकारों से वंचित करती है उस देश के युवाओं का ये अधिकार ही नही बल्कि कर्तव्य बन जाता है कि वे ऐसी सरकार को तबाह कर दें।