अबु रेहान मुहम्मद बिन अहमद अल-बयरुनी अबू रयहान, पिता का नाम अहमद अल-बरुनी) अल बेरुनी (973-1048) फ़ारसी विद्वान लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ तथा विचारक थे । अल बेरुनी की रचनाएँ अरबी भाषा में हैं पर उसे अपनी मातृभाषा फ़ारसी के अलावा कम से कम तीन और भाषाओं का ज्ञान था – सीरियाई, संस्कृत, यूनानी। वो भारत और सिलोन (श्रीलंका) की यात्रा पर 1017-20 के मध्य आये थे । महमूद ग़ज़नी, जिसने भारत पर कई बार आक्रमण किये, के कई अभियानों में वो सुल्तान के साथ थे । अलबरुनी को भारतीय इतिहास का पहला जानकार कहा जाता था। प्रारम्भ में अलबरूनी ख़्वारिज्म के ममुनि शासक का मंत्री थे क्योंकि शासक उसकी विद्वता से प्रभावित थे ।
अब्बासी शासन के पतनोन्मुख दिनों में उसका जन्म ख्वारज़्म में 15 सितम्बर, 973 में हुआ था। यह स्थान अब उज़्बेकिस्तान में है। उन्होंने गणित और खगोलविज्ञान अबू नस्र मंसूर से सीखी। वे अवेसिन्ना के साथी थे। अफ़ग़ानिस्तान और दक्षिण एशिया की यात्रा पर वो महमूद गज़नवी के साथ उसके काफ़िले में गए थे । भारत में रहते हुए उन्होंने भारतीय भाषाओं का अध्ययन किया और 1030 में तारीख़-अल-हिन्द (भारत के दिन) क़िताब लिखी। उसकी मृत्यु ग़ज़नी, अफ़ग़ानिस्तान (उस समय इसे अफ़गानिस्तान नहीं कहा जाता था बल्कि फ़ारस का हिस्सा कहते थे) 13 दिसम्बर, 1048 में हुई।
चाँद की विभिन्न अवस्था को दर्शाती अलबेरुनी की ये क़िताब दसवी-ग्यारहवीं सदी में लिखी गई थी। यहाँ सूरज को फ़रसी-अरबी लिपि में आफ़ताब लिखा गया है अलबरुनी ने 146 क़िताबें लिखीं – 35 खगोलशास्त्र पर, 23 ज्योतिषशास्त्र की, 15 गणित की, 16 साहित्यिक तथा अन्य कई विषयों पर।
अल-बरुनी चिकित्सा विशेषज्ञ थे और भाषाओं पर भी अच्छा अधिकार रखते थे । इसके साथ ही वह मशहूर गणितज्ञ, भूगोलवेत्ता, कवि, रसायन वैज्ञानिक और दार्शनिक भी थे। उन्होने ही धरती की त्रिज्या नापने का आसान फार्मूला पेश किया। बरुनी ने ये भी साबित किया कि प्रकाश का वेग ध्वनि के वेग से अधिक होती है।एजेंसी।