पुण्य तिथि पर विशेष।
स्वप्निल संसार। इन्द्र कुमार गुजराल देश के 13वें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे जेल भी गये। अप्रैल 1997 में प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में विभिन्न पदों पर काम किया। वे संचार मन्त्री, संसदीय कार्य मन्त्री, सूचना प्रसारण मन्त्री, विदेश मन्त्री और आवास मन्त्री महत्वपूर्ण पदों पर रहे। राजनीति में आने से पहले उन्होंने कुछ समय तक बीबीसी की हिन्दी सेवा में पत्रकार के रूप में भी काम किया था।
1975 में उन्हें सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय से हटा दिया गया और विद्याचरण शुक्ल को यह पद सौंप दिया गया। लेकिन बाद में उन्हीं इन्दिरा गान्धी की सरकार में मास्को में राजदूत के तौर पर गुजराल ने 1980 में सोवियत संघ के द्वारा अफ़गानिस्तान में हस्तक्षेप का विरोध किया। उस समय भारतीय विदेश नीति में यह बहुत बड़ा बदलाव था। उस घटना के बाद ही आगे चलकर भारत ने सोवियत संघ द्वारा हंगरी और चेकोस्लोवाकिया में राजनीतिक हस्तक्षेप का विरोध किया।
इन्द्र कुमार गुजराल का जन्म 4 दिसम्बर 1919, झेलम अब पाकिस्तान में हुआ था। इन्द्र कुमार गुजराल के पिता का नाम अवतार नारायण और माता का पुष्पा गुजराल था। उनकी शिक्षा दीक्षा डी०ए०वी० कालेज, हैली कॉलेज ऑफ कामर्स और फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज लाहौर में हुई।
हिन्दी, उर्दू और पंजाबी भाषा में निपुण होने के अलावा वे कई अन्य भाषाओं के जानकार भी थे और शेरो-शायरी में काफी दिलचस्पी रखते थे। इन्द्र कुमार गुजराल की पत्नी शीला गुजराल का निधन 11 जुलाई 2011 को हुआ था । उनके दो बेटों में से नरेश गुजराल राज्य सभा सदस्य रहे है और दूसरा बेटा विशाल है। इन्द्र कुमार गुजराल के छोटे भाई सतीश गुजराल विख्यात चित्रकार तथा वास्तुकार भी है।
इन्द्र कुमार गुजराल लम्बे समय से डायलिसिस पर चल रहे थे। 19 नवम्बर 2012 को छाती में संक्रमण के बाद उन्हें हरियाणा स्थित गुड़गाँव के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहाँ इलाज के दौरान ही उनकी हालत गिरती चली गयी। 27 नवम्बर 2012 को वे अचेतावस्था में चले गये। काफी कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। आखिरकार 30 नवम्बर 2012 को उनकी आत्मा ने उनका शरीर छोड़ दिया। इन्द्र कुमार गुजराल ने अपनी आत्मकथा अंग्रेजी भाषा में लिखी थी जो उनके जीवित रहते प्रकाशित भी हुई थी ।