जॉन कीट्स का जन्म 31 अक्टूबर 1795 को लंदन में हुआ था। ‘जॉन कीट्स’अंग्रजी साहित्य के प्रखरतम् रोमैंटिक कवियों में से एक हैं।कीट्स ने इश्क को अंग्रजी साहित्य में नया आयाम देते हुए जो उपमाएँ दी ऐसा कार्य अंग्रजी साहित्य में कम ही लोग कर सके।जॉन ने अपने कलाम में अपने प्रेम का प्रकाशन पूरे मन और स्पष्टता के साथ किया है.अपनी भाषा को पढ़ने, सुनने और लिखने में जो आनंद है।ऐसी अनूभूति किसी और भाषा में दुर्लभ है। कई घंटों तक अंग्रेजी भाषा के कवियों के बारे में सुनते हुए ज़िंदगी के विविध पहलुओं से रूबरू होने का मौका मिला। जॉन कीट्स की ज़िंदगी की पीड़ा, मौत से सामना करने वाली स्थितियों, ज़िंदगी में निराशा और दुःख के चरम पर जीवन के परम सत्य से साक्षात्कार के लम्हों से रूबरू होने का मौका तो मिला…..लेकिन उन सारी बातों को अपनी भाषा में लिखते हुए जो आनंद मिला वह अद्भुत है। इसकी तुलना किसी गजल या संगीत सुनने से हो सकती है। प्रकृति के किसी सुंदर दृश्य से या संगीत की किसी धुन से जिसकी कोई भाषा नहीं होती और जो दुनिया के सब इंसानों तक बड़ी सुगमता के साथ आवाजाही करती है।

जॉन कीट्स
जॉन कीट्स अपने जीवन में चरम निराशा के छड़ों में इस तथ्य से रूबरू होते हैं कि “सुंदरता ही सत्य है, सत्य सुंदर है। इस धरती पर हमें बस यही पता है, और हमें बस इतना ही जानने की आवश्यकता है।” जीवन का ऐसा दर्शन उनके ज़िंदगी के विरोधाभाषा को सामने लाता है। अपने जीवन के आख़िरी दिनों में वह रोम चले गए थे। उन्होंने वहीं अपने ज़िंदगी की आख़िरी सांस ली। जॉन कीट्स आधुनिक मनुष्य की कल्पना को आकार देने वाले विचारों को अपनी कविताओं में अभिव्यक्ति देते हैं। उनका एक कथन है, “प्रेम मेरा धर्म है, मैं इसके लिए जान दे सकता हूँ।”
जॉन कीट्स की कविता ‘ओड टू ए नाइटेंगल’ प्रकृति के साथ उनके अनुराग को अभिव्यक्ति देती है। तो वहीं एक कविता में कीट्स ए लेडी विदाउट मर्सी यानि हृद्यहीन या बेवफा स्त्री की कल्पना करते हैं….जो प्रकृति के सुंदर दृश्यों में उनसे मिलती है। लेकिन बाद में वह अदृश्य हो जाती है। कवियों की संवेदनशीलता और नजाकत के बारे में सिर्फ़ कल्पना ही की जा सकती है। अगर वे ख़ुद अपने जीवन के बारे में कुछ न लिखें या उनके समकालीन साहित्य में उनकी झलक न मिले तो उनके जीवन के बारे में कुछ भी अनुमान लगाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। जॉन कीट्स की गिनती रोमांटिसिज़्म के महत्वपूर्ण कवियों में होती है।
उन्होंने इंसानी जीवन के दुःखों से मुक्ति का रास्ता सौंदर्य में खोजा। अपने जीवन के आख़िरी दिनों में उनको डर था कि उनकी मृत्यु के बाद शायद उनको भुला दिया जाएगा। लोगों की स्मृति से वह ओझल हो जाएंगे। लेकिन कीट्स की मौत के बाद उनकी कविताएं फिर से लोगों के बीच लोकप्रिय हो गईं। उनकी कविताओं और प्रेम पत्रों से आज भी दुनिया के बहुत से लेखकों, कवियों और रचनाकारों को प्रेरणा मिलती है। जॉन कीट्स अपनी कविता ‘अ थिंग ऑफ़ ब्युटी’ में लिखते हैं, “सौंदर्य की ख़ुशी सदैव कायम रहती है, इसकी मधुरता बढ़ती रहती है, यह कभी भी ख़त्म नहीं होती….यह एक सपनों भरी नींद है………। 23 फरवरी , 1821. रोम, )एजेंसी।