ATM का फुल फार्म Automated Teller machine है। पहली एटीएम 27 जून 1967 में लंदन के बारक्लेज बैंक ने लगाई थी।
ATM कड़ी मेहनत के बाद स्कॉटलैंड के इन्वेंटर जॉन शेफर्ड बैरन ने बनाई थी। खास बात यह है कि मशीन बनाने वाले जॉन शेफर्ड बैरन का जन्म 23 जून 1925 को मेघालय के शिलॉन्ग में हुआ था। उस समय उनके स्कॉटिश पिता विलफ्रिड बैरन चिटगांव पोर्ट कमिश्नर्स के चीफ इंजीनियर थे। खास बात यह भी है कि बैरन एटीएम का पिन 6 डिजिट का करने के पक्ष में थे, लेकिन उनकी पत्नी ने उनसे कहा कि 6 डिजिट ज्यादा है और लोग इसे याद नहीं रख पाएंगे। इस कारण बाद में उन्होंने चार डिजिट का एटीएम पिन बनाया। आज भी चार डिजिट का ही पिन चलन में है।
एक मिनट की देरी होने से आया एटीएम का आइडिया : 1965 में एक दिन बैरन को रूपये की जरूरत थी,लेकिन वे बैंक एक मिनट की देरी से पहुंचे थे। बैंक बंद हो गया था और रूपये नहीं निकाल पाए थे। इसके बाद ही उन्होंने परिकल्पना की कि यदि चॉकलेट निकालने वाली मशीन की तरह रूपये निकालने वाली मशीन भी हो, जिससे 24 घंटे कैश निकाल सकें तो कितनी सहूलियत होगी। इसके बाद उन्होंने एटीएम का निर्माण किया।
1968: कार्ड ईटिंग मशीन :बारक्लेज और अन्य बैंकों ने ऐसी एटीएम लगाई, जिसमें रूपये निकालने के लिए कार्ड का इस्तेमाल करना पड़ता था। यह कार्ड बैंक से पहले लेना पड़ता था। एक कार्ड एक बार मशीन में डालने पर बाहर नहीं आता था और हर बार नए कार्ड का इस्तेमाल करना पड़ता था।भारत में पहली बार 1987 में एटीएम की सुविधा शुरू हुई थी। भारत में पहला एटीएम हॉन्गकॉन्ग एंड शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन ने बम्बई अब मुंबई में लगाया था।सोमालिया में देश का पहला एटीएम लगाया गया है।
दो वारदातों में चोरों ने कुछ ही घंटों में 2 दर्जन से ज्यादा देशों के हजारों एटीएम से 4.5 करोड़ डॉलर यानी करीब 2.45 अरब रुपए चुरा लिए थे। इस काम में कंप्यूटर एक्सपर्ट्स शामिल थे, जिन्होंने हैकिंग के जरिए फाइनैंशल इन्फर्मेशन में हेर- फेर की। इसके अलावा कुछ और लोग भी थे, जिन्होंने एटीएम से पैसे निकाले।यह मशीन अभी सलाम सोमाली बैंक ने एक महंगे होटल में लगाई गई है। अभी इस एटीएम से केवल अमेरिकी डॉलर ही निकाले जा सकेंगे।
सोमालिया की अर्थव्यवस्था बहुत ही खस्ताहाल है और इसकी वजह से यहां पर बैंकिंग सेक्टर अविकसित है। जॉन शेफर्ड बैरन की मृत्यु 15 मई 2010 में हुई थी ।