लखनऊ। स्वप्निल संसार। एजेंसी। येदियुरप्पा को हल्का करके का आँकना गलत होगा वह पहले भी ऐसी ही परिस्थितियों में अपना बहुमत साबित कर चुके हैं आखिर वह इस खेल के पुराने और सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं कर्नाटक में 2008 के विधानसभा चुनावों के बाद भी ऐसा ही बंटा हुआ जनादेश हासिल हुआ था तब बीजेपी ने ‘ऑपरेशन कमल’ के जरिये विधानसभा में बहुमत साबित किया था। वह फिर से वही फॉर्मूला दोहरा सकती है ‘ऑपरेशन कमल’ बीजेपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा की एक कुख्यात रणनीति थी। ‘ऑपरेशन कमल’ के तहत येदियुरप्पा ने विपक्षी पार्टी के विधायकों को पैसे और ताकत के बल पर खरीद लिया था। बीजेपी ने जेडी(एस) और कांग्रेस के 20 विधायकों को तोड़ लिया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और फिर 2008 और 2013 के बीच उपचुनाव में दोबारा चुनाव लड़ाअब भी वह साम दाम दंड भेद से यह रास्ता अपना सकते है 2018 की विधानसभा में बीजेपी को सिर्फ 104 सीटें मिली हैं। बीजेपी को तकनीकी रूप से यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कम से कम 5-6 विधायक इस्तीफा दे दें, जिससे बहुमत का जादुई आंकड़ा 106-108 हो जाए और यह सुनिश्चित कर दे कि बीजेपी उम्मीदवार उपचुनाव जीत जाएं,हालांकि इस बार यह करने के लिए समय बहुत कम है लेकिन एक बात और हैं कि ऐसा जरूरी भी नही है कि कल तक ही यह खेल खेला जाए बाद में आराम से भी इस रणनीति पर काम किया जा सकता है, आखिरकार केंद्र की मोदी सरकार किस दिन काम आएंगी।
डॉ॰ बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा,वे अभी कर्नाटक के मुख्यमंत्री है। उन्होने 2014 का लोकसभा चुनाव शिमोगा लोकसभा क्षेत्र से विशाल अंतर्गत से जीता। भाजपा संगठन में उन्हे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दिया गया लेकिन राज्य की राजनीतिक में उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हे राज्य का अध्यक्ष बना दिया गया। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2008 में जीत के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे। वे 2007 में जद(एस) के साथ गठबंधन टूटने से पहले भी थोड़े समय के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। वे किसी भी दक्षिण भारतीय राज्य में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए उन पर जमीन आवंटन में गड़बड़ी के आरोप लगे उनको क्लीनचीट मिल गई है।
येदियुरप्पा का जन्म 27 फ़रवरी 1943 को भारत के कर्नाटक राज्य के मांड्या जिले के बुक्कनकेरे में हुआ था। उनके पिता का नाम सिद्धलिंगप्पा और माता का नाम पुट्टतायम्मा था। येदियुरप्पा हिंदू धर्म के लिंगायत समुदाय के हैं। कर्नाटक के तुमकुर जिले में येदियुर स्थान पर संत सिद्धलिंगेश्वर द्वारा बनाए गए शैव मंदिर के नाम पर उनका नाम रखा गया था। जब येदियुरप्पा चार साल के थे तब ही इनकी माता की मौत हो गई। उन्होंने कला से स्नातक किया है। 1965 में वे समाज कल्याण विभाग के प्रथम श्रेणी के किरानी चुए गए। लेकिन वे शिकारीपुर चले गए जहां उन्होंने वीरभद्र शास्त्री के चावल कारखानें में किराने की नौकरी कर ली। 1967 में उन्होंने वीरभद्र शास्त्री की पुत्री मैत्रादेवी से शादी कर ली। बाद के दिनों में उन्होंने शिमोगा में हार्डवेयर की दुकान खोली। येदियुरप्पा के दो पुत्र, बी वाई राघवेंद्र और विजयेंद्र एवं दो पुत्री हैं, जिनके नाम, अरूणादेवी, पद्मावती और उमादेवी हैं। 2004 में एक दुर्घटना में उनकी पत्नी चल बसी।
2016 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी की कर्नाटक राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया गया। भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीद्वार घोषित करके कर्नाटक विधानसभा चुनाव, 2018 लड़ा मगर पार्टी 104 सीटें जीतकर 8 सीटें बहुमत से कम रह गयी। राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिये आमंत्रित किया तथा उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
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